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SPECIAL: Corona से पहले कई महामारियों से लड़कर आगे बढ़ा है जयपुर

कोरोना काल में लोग संक्रमण से डरे हुए हैं. इसी संक्रमण के डर से लंबे समय तक लॉकडाउन भी रहा. हालांकि अब जीवन दोबारा पटरी पर लौट रहा है. लेकिन जयपुर इससे पहले भी कई महामारियों से जूझ चुका है. जिनमें 'ताऊन महामारी' और प्लेग भी शामिल है. देखें रिपोर्ट...

Pandemic spread in Jaipur,  plague disease, Pandemic history in rajasthan
इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत से बातचीत
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Published : Jun 15, 2020, 10:25 PM IST

जयपुर. पूरा देश फिलहाल वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है. शायद 2020 कोरोना की वजह से ही याद रखा जाएगा. इस वक्त जो मंजर पूरे देश में देखने को मिल रहा है. कुछ इसी तरह के मंजर का सामना जयपुर कई बार कर चुका है. सवाई जयसिंह के समय की 'ताऊन महामारी' हो या सवाई रामसिंह द्वितीय के समय की प्लेग महामारी. दोनों का ही सामना जयपुर ने किया है.

कोरोना से पहले भी कई महामारियों से लड़ चुका है जयपुर

कोरोना काल में लोग संक्रमण से डरे हुए हैं. इसी संक्रमण के डर से लंबे समय तक लॉकडाउन भी रहा. हालांकि अब लॉकडाउन में शिथिलता आने के साथ शहर दोबारा पटरी पर लौट रहा है. लेकिन जयपुर इससे पहले भी कई महामारियों से जूझ चुका है. जयपुर और आमेर रियासत में बरसों पहले संक्रामक रोगों से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होने की जानकारी मिलती है. उन्हीं में से एक थी, 'ताऊन' नामक महामारी.

पढ़ें- SPECIAL: 100 साल पहले भी भरतपुर में आई थी एक महामारी, लोग डर से घरों में हो गए थे कैद

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि मिर्जा राजा जयसिंह के समय आई इस संक्रामक बीमारी से हर दिन 100 से 120 लोग मरा करते थे. ये बीमारी सवा सौ दिन तक आमेर रियासत में फैली रही. इसके बाद लाल बुखार नामक रोग भी फैला. इसमें रोजाना 10 से 15 लोग तक दम तोड़ते रहे. हालांकि, पुरानी बस्ती के बालानंद मठ और ब्रह्मपुरी में चिकित्सा शिविर लगाकर इस बीमारी पर नकेल कसी गई.

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत से बातचीत

वहीं, सवाई रामसिंह के समय जयपुर में सन 1871 में प्लेग फैला. जिससे लगभग 50 वर्षों तक जयपुर के लोग लड़ते रहे. 1897 से 1920 के कई साल तो ऐसे थे, जब प्लेग से हजारों लोग मरे. ऐसा कोई घर नहीं था, जहां कोई प्लेग का शिकार ना हुआ हो.

पढ़ें- चूरूः प्लेग महामारी के हीरो 'स्वामी गोपालदास'

हालांकि, महाराजा माधो सिंह द्वितीय के समय जयपुर चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलजंग सिंह खानका ने प्लेग रोग का रोकथाम किया. वर्तमान महिला चिकित्सालय जो उस वक्त मेयो अस्पताल के नाम से जाना जाता था. वहां रोग निवारण शिविर लगाया गया. उस समय लोगों में डर नहीं था और ना ही जयपुर रियासत में लॉकडाउन किया गया. यहां तक की तीज त्योहार और जयपुर की शान गणगौर की सवारी तक निकाली गई.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना से पहले तबाही मचा चुकी हैं ये महामारियां, देखें रिपोर्ट

देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर रियासत के समय आयुर्वेद आचार्य स्वामी लक्ष्मी राम ने आयुर्वेदिक दवाइयों से जाड़े का बुखार, प्लेग और लाल बुखार जैसी बीमारियों का इलाज किया था. संभव है कि कोरोना का उपचार भी आयुर्वेद में मिले. बहरहाल, जयपुर हर बार महामारियों से लड़ा है और उन से जीतकर आगे बढ़ा है. फिलहाल, जयपुरवासी वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ रहे हैं और अगर प्रशासन की ओर से जारी की गई एडवाइजरी की पालना के साथ ही सुरक्षा बरती जाती है, तो जयपुर इस महामारी को भी हराकर आगे बढ़ेगा.

जयपुर. पूरा देश फिलहाल वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है. शायद 2020 कोरोना की वजह से ही याद रखा जाएगा. इस वक्त जो मंजर पूरे देश में देखने को मिल रहा है. कुछ इसी तरह के मंजर का सामना जयपुर कई बार कर चुका है. सवाई जयसिंह के समय की 'ताऊन महामारी' हो या सवाई रामसिंह द्वितीय के समय की प्लेग महामारी. दोनों का ही सामना जयपुर ने किया है.

कोरोना से पहले भी कई महामारियों से लड़ चुका है जयपुर

कोरोना काल में लोग संक्रमण से डरे हुए हैं. इसी संक्रमण के डर से लंबे समय तक लॉकडाउन भी रहा. हालांकि अब लॉकडाउन में शिथिलता आने के साथ शहर दोबारा पटरी पर लौट रहा है. लेकिन जयपुर इससे पहले भी कई महामारियों से जूझ चुका है. जयपुर और आमेर रियासत में बरसों पहले संक्रामक रोगों से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होने की जानकारी मिलती है. उन्हीं में से एक थी, 'ताऊन' नामक महामारी.

पढ़ें- SPECIAL: 100 साल पहले भी भरतपुर में आई थी एक महामारी, लोग डर से घरों में हो गए थे कैद

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि मिर्जा राजा जयसिंह के समय आई इस संक्रामक बीमारी से हर दिन 100 से 120 लोग मरा करते थे. ये बीमारी सवा सौ दिन तक आमेर रियासत में फैली रही. इसके बाद लाल बुखार नामक रोग भी फैला. इसमें रोजाना 10 से 15 लोग तक दम तोड़ते रहे. हालांकि, पुरानी बस्ती के बालानंद मठ और ब्रह्मपुरी में चिकित्सा शिविर लगाकर इस बीमारी पर नकेल कसी गई.

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत से बातचीत

वहीं, सवाई रामसिंह के समय जयपुर में सन 1871 में प्लेग फैला. जिससे लगभग 50 वर्षों तक जयपुर के लोग लड़ते रहे. 1897 से 1920 के कई साल तो ऐसे थे, जब प्लेग से हजारों लोग मरे. ऐसा कोई घर नहीं था, जहां कोई प्लेग का शिकार ना हुआ हो.

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हालांकि, महाराजा माधो सिंह द्वितीय के समय जयपुर चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलजंग सिंह खानका ने प्लेग रोग का रोकथाम किया. वर्तमान महिला चिकित्सालय जो उस वक्त मेयो अस्पताल के नाम से जाना जाता था. वहां रोग निवारण शिविर लगाया गया. उस समय लोगों में डर नहीं था और ना ही जयपुर रियासत में लॉकडाउन किया गया. यहां तक की तीज त्योहार और जयपुर की शान गणगौर की सवारी तक निकाली गई.

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देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर रियासत के समय आयुर्वेद आचार्य स्वामी लक्ष्मी राम ने आयुर्वेदिक दवाइयों से जाड़े का बुखार, प्लेग और लाल बुखार जैसी बीमारियों का इलाज किया था. संभव है कि कोरोना का उपचार भी आयुर्वेद में मिले. बहरहाल, जयपुर हर बार महामारियों से लड़ा है और उन से जीतकर आगे बढ़ा है. फिलहाल, जयपुरवासी वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ रहे हैं और अगर प्रशासन की ओर से जारी की गई एडवाइजरी की पालना के साथ ही सुरक्षा बरती जाती है, तो जयपुर इस महामारी को भी हराकर आगे बढ़ेगा.

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