जयपुर. महंगाई के खिलाफ राजधानी जयपुर में होने जा रही राष्ट्रव्यापी रैली की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी पूरी तरीके से जुट चुकी है. ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाते हुए इस महंगाई हटाओ रैली (Mehangai Hatao Rally) को सफल बनाने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. कांग्रेस संगठन के साथ ही राज्य की गहलोत सरकार भी इस रैली को सफल बनाने के लिए मंत्रियों, विधायकों, संगठन के पदाधिकारियों और नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी हैं. राज्य के हर जिलों से भीड़ जुटाने के लिए की जा रही कवायद के बीच पंचायती राज चुनाव (Panchayati Raj Elections in Rajasthan) की तारीखों के टकराव ने समस्या खड़ी कर दी है.
राजस्थान के 4 जिलों करौली, कोटा, बारां और श्रीगंगानगर में पंचायती राज चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में इन जिलों से अब ज्यादा संख्या में लोग 12 दिसंबर को होने वाली महारैली में नहीं आ सकेंगे. इसकी भरपाई के लिए कांग्रेस पार्टी को अन्य जिलों में ज्यादा ताकत लगानी होगी. दरअसल इन 4 जिलों में तीन चरण में मतदान होना है. जिसमें से पहले चरण का मतदान 12 दिसंबर को ही होगा और उसी दिन कांग्रेस महारैली जयपुर में होगी. ऐसे में इन चार जिलों के लोगों को तो कांग्रेस पार्टी न के बराबर ही मान कर चल रही है.
स्थानीय मंत्रियों को दी गई दूसरे जिलों की जिम्मेदारी
12 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी की ओर से होने जा रही रैली में कोटा, करौली,बारां और श्री गंगानगर से लोगों की संख्या में तो कमी रहेगी. इसके साथ ही इन 4 जिलों के चुनाव के नतीजों पर भी रैली का असर पड़ सकता है. इसका कारण है की ज्यादातर स्थानीय नेता रैली को सफल बनाने के लिए जुट चुके हैं, वही इन क्षेत्रों से जो मंत्री प्रभारी बनाए गए हैं. उनका पूरा ध्यान अब रैली को सफल बनाने पर है. साथ ही जो मंत्री इन चारों जिलों के स्थानीय हैं, उन्हें दूसरे जिलों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. जिसके चलते ये मंत्री चुनाव में अपने क्षेत्र में ध्यान नहीं दे सकेंगे. कम से कम 12 दिसंबर को होने जा रहे पहले चरण का चुनाव तो इससे प्रभावित होगा.
बता दें की करौली जिले से मंत्री रमेश मीणा आते हैं, उन्हें भरतपुर जिले का प्रभार दिया गया है. इसी प्रकार बारां जिले से मंत्री प्रमोद जैन भाया को झालावाड जिले का प्रभार दिया है. कोटा से मंत्री शांति धारीवाल के पास जयपुर जिले का प्रभार है. जहां यह रैली आयोजित होनी है. ऐसे में जिन तीनों मंत्रियों के कहने पर ज्यादातर टिकट दिए गए होंगे. वह तीनों मंत्री ही इन चुनावों में 12 दिसंबर को पहले चरण के मतदान से दूर रहेंगे. ऐसे में 12 दिसंबर को जहां पार्टी को चार जिलों से इस रैली में आने वाले लोगों की संख्या में कमी का सामना करना पड़ेगा. वहीं इसका असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ सकता है.
चुनावों से ठीक पहले बदले गए 4 में से 3 प्रभारी मंत्री
जिन 4 जिलों में चुनाव होने हैं. उसमें टिकट देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. साफ है कि प्रभारी मंत्रियों ने भी इसमें अपनी भूमिका निभाई होगी. लेकिन मतदान होने से पहले ही 4 में से 3 जिलों बारां, कोटा ओर गंगानगर जिलों के प्रभारी मंत्री बदल दिए गए हैं. जहां कोटा में परसादी लाल मीणा को लालचंद कटारिया की जगह प्रभारी मंत्री बनाया गया है. वहीं, बारां का प्रभारी मंत्री टीकाराम जुली की जगह राजेंद्र गुढ़ा को बनाया गया है.
इसी प्रकार श्रीगंगानगर के प्रभारी मंत्री बी डी कल्ला की जगह अब यह जिम्मेदारी गोविंद राम मेघवाल को दी गई है. हालांकि करौली जिले की जिम्मेदारी अब भी मंत्री अशोक चांदना के पास है. लेकिन उनके पास करौली के साथ ही धौलपुर जिले का प्रभार भी है. ऐसे में उनका ज्यादा फोकस धौलपुर जिले पर रहेगा. जहां से वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को जयपुर महंगाई के खिलाफ होने वाली रैली में भिजवा सकें.