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27 हजार पंचायत सहायक काली दिवाली मनाने को मजबूर, 7 महीने से नहीं मिला मानदेय

प्रदेश के तमाम विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों की दिवाली एक बार फिर बिना मानदेय के बीत जाएगी. यह वही संविदाकर्मी हैं, जो कई साल से नियमितीकरण की आस को लेकर स्थाई कर्मचारियों की तरह सम्मान योग्यता रखते हुए भी उतने ही घंटे कार्य कर वक्त पर मानदेय के लिए तरस जाते हैं. पंचायत सहायकों को पिछले तीन से सात महीने के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है.

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मानदेय का नहीं हुआ भुगतान
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Published : Nov 12, 2020, 7:52 PM IST

जयपुर. पंचायत राज विभाग और शिक्षा विभाग के बीच अहम कड़ी निभा रहे 27 हजार पंचायत सहायक एक बार फिर दिवाली पर बिना मानदेय के ही गुजारा करने के लिए मजबूर होंगे. प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र चौधरी का कहना है कि तमाम पंचायत सहायकों को तीन से लेकर सात महीने के मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है. मानदेय का भुगतान नहीं होने का कारण सरकार के पास बजट की कमी को बताया जा रहा है.

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मानदेय का नहीं हुआ भुगतान

चौधरी ने कहा कि एक तरफ सरकार पंचायत सहायकों को नियमित करने की बात कह रही है. दूसरी तरफ वक्त पर मानदेय भी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. ऐसी स्थिति में पंचायत सहायक केवल आश्वासन के भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र चौधरी का कहना है कि सरकार समय रहते विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों की मांगों और समस्याओं का समाधान करे और नियमितीकरण का रास्ता निकाल ले. वरना मजबूर होकर एक बार फिर से आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी.

यह भी पढ़ें: फिर उठी आरक्षण की मांग, 18 नवंबर को जाटों ने बुलाई महापंचायत

राजस्थान विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सांवल सिंह राठौड़ का कहना है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के बाद विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों के नियमितीकरण का वादा किया था. जो आज तक पूरा नहीं हुआ है. यहां तक कि मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है और न ही वंचित विद्यार्थी मित्रों को नियुक्ति दी जा रही है. न ही कोर्ट में सुलझे हुए मामलों को सुलझाया जा रहा है. बता दें कि इससे पहले पंचायत सहायक शाम को नियमित करने और मानदेय का भुगतान करने को लेकर प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही.

जयपुर. पंचायत राज विभाग और शिक्षा विभाग के बीच अहम कड़ी निभा रहे 27 हजार पंचायत सहायक एक बार फिर दिवाली पर बिना मानदेय के ही गुजारा करने के लिए मजबूर होंगे. प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र चौधरी का कहना है कि तमाम पंचायत सहायकों को तीन से लेकर सात महीने के मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है. मानदेय का भुगतान नहीं होने का कारण सरकार के पास बजट की कमी को बताया जा रहा है.

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मानदेय का नहीं हुआ भुगतान

चौधरी ने कहा कि एक तरफ सरकार पंचायत सहायकों को नियमित करने की बात कह रही है. दूसरी तरफ वक्त पर मानदेय भी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. ऐसी स्थिति में पंचायत सहायक केवल आश्वासन के भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र चौधरी का कहना है कि सरकार समय रहते विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों की मांगों और समस्याओं का समाधान करे और नियमितीकरण का रास्ता निकाल ले. वरना मजबूर होकर एक बार फिर से आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी.

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राजस्थान विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सांवल सिंह राठौड़ का कहना है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के बाद विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों के नियमितीकरण का वादा किया था. जो आज तक पूरा नहीं हुआ है. यहां तक कि मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है और न ही वंचित विद्यार्थी मित्रों को नियुक्ति दी जा रही है. न ही कोर्ट में सुलझे हुए मामलों को सुलझाया जा रहा है. बता दें कि इससे पहले पंचायत सहायक शाम को नियमित करने और मानदेय का भुगतान करने को लेकर प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही.

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