जयपुर. देश-दुनिया में अपनी पहचान रखने वाली राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक परकोटे का एक हिस्सा बीते 11 सितंबर को धराशाई हो गया. जयपुर की 293 साल पुरानी इन्हीं दीवारों और दरवाजों ने यूनेस्को को आकर्षित किया था. लेकिन इसको संजोए रखने वाले हाथ बंधे हुए हैं. यही नहीं परकोटे में करीब 1500 से ज्यादा हवेलियां जर्जर हैं, जिन्हें ना तो संवारा जा रहा है और ना ही ढहाया जा रहा. ऐसे में लोगों के लिए पग-पग पर खतरा मंडरा रहा है.
बीते दिनों जयपुर में जमकर हुई बारिश के दौरान कई जगह पुरानी इमारतों के धराशाई होने की तस्वीरें सामने आई. यही नहीं 11 सितंबर को घाट गेट दरवाजे का बुर्ज भी अचानक भरभरा कर गिर गया. गनीमत रही कि घटना के वक्त आस-पास कोई नहीं था. इसलिए जनहानि होने से बच गई. घाट गेट के साथ ही चांदपोल, गंगापोल और जोरावर सिंह गेट की दीवार का हिस्सा भी गिर चुका है. लेकिन इनको संवारना तो दूर इनकी तरफ प्रशासन देखने तक को तैयार नहीं. यहां प्रशासन खतरे का पोस्टर लगा कर इतिश्री कर लेता है या फिर उस जगह को खाली करा लिया जाता है.
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वहीं, कुछ यही हालात पुरानी ऐतिहासिक हवेलियों के हैं. परकोटे में मौजूद करीब 1575 हवेलियां जर्जर अवस्था में है. इन जर्जर हवेलियों के आसपास बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं, जिन्हें हमेशा इन हवेलियों के धराशाई होने का डर सताता रहता है. इसके लिए कई बार नगर निगम और जिला प्रशासन को लिखा जा चुका है. निगम ने इन जर्जर इमारतों के मालिकों को नोटिस थमाया, लेकिन इन्हें गिराने की कार्रवाई नहीं की गई.
राज्य सरकार ने विश्व विरासत में शामिल परकोटे की दीवारों और यहां कि हवेलियों को संजोने की जिम्मेदारी नगर निगम और स्मार्ट सिटी को सौंप रखी है. बावजूद इसके अफसरों की लापरवाही और अनदेखी ने आज इन्हें सुधार के बजाय ढहने के कगार पर ला दिया है, जिसका असर यूनेस्को रैंक पर भी पड़ सकता है.