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जयपुर: दम तोड़ती सरकार की अंगदान की मुहिम, 1 साल में नहीं हो पाया एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट

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Published : Nov 28, 2019, 7:55 PM IST

जयपुर में सरकार की ओर से चलाई जा रही अंगदान की मुहिम अब धीरे-धीरे दम तोड़ती नजर आ रही है. इसका मुख्य कारण सरकार की कछुआ चाल है. हैरान करने वाली बात तो ये है कि पिछले 1 साल में एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया है.

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दम तोड़ती सरकार की अंगदान की मुहिम

जयपुर. जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिले इसके लिए सरकार की ओर से अंगदान की मुहिम चलाई गई थी. इसकी शुरुआत की गई थी प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल से. बता दें कि पिछले कुछ समय से सरकार की कछुआ चाल के चलते यह मुहिम दम तोड़ती नजर आ रही है. पिछले 1 साल में एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया है.

दम तोड़ती सरकार की अंगदान की मुहिम

अंगदान की मुहिम को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च तो कर रही है, लेकिन यह मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही है. दरअसल ब्रेन डेड हो चुके मरीज के अंग किसी अन्य जरूरतमंद मरीज के काम में आ सकते हैं.

पढ़ेंः जयपुर: संगठन को मजबूत करने में लगे सतीश पूनिया, 29 नवंबर को प्रदेश के भाजपा सांसदों की लेंगे बैठक

इसे लेकर सरकार ने ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों को जागरूक करने के लिए NOTO यानी 'नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन' की तर्ज पर SOTO यानी 'स्टेट ऑर्गन टिशु ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन' की शुरुआत की थी. लेकिन चिकित्सकों की आपसी खींचतान और सरकार के ढुलमुल रवैए के चलते नतीजे शून्य है. ऐसे में ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों की काउंसलिंग को लेकर अभी भी सफलता नहीं मिल पा रही है.

अंगदान को लेकर आंकड़े

प्रदेश में अब तक 32 ब्रेन डेड पेशेंट का हो चुका है कैडेबर ट्रांसप्लांट. इसके तहत 104 लोगों की जान सॉलिड ऑर्गन देकर बचाई गई है. इसके तहत 57 मरीजों को किडनी, 29 मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट और 16 मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. वहीं, इसके अलावा एक फेफड़े और एक अग्नाशय का भी प्रत्यारोपण किया गया है. इसके साथ ही कुल मिलाकर 118 लोगों को नया जीवनदान इसके तहत मिला है.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में संविधान और मूल कर्तव्यों पर चर्चा के दौरान आर्टिकल 370 और 35 A का हुआ जिक्र

बता दें कि राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को अंगदान दिवस को लेकर मेडिकल कॉलेज के बच्चों और फैकेल्टी मेंबर्स को फिल्म भी दिखाई गई. यह फिल्म अंगदान को लेकर प्रेरित करती है.

जयपुर. जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिले इसके लिए सरकार की ओर से अंगदान की मुहिम चलाई गई थी. इसकी शुरुआत की गई थी प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल से. बता दें कि पिछले कुछ समय से सरकार की कछुआ चाल के चलते यह मुहिम दम तोड़ती नजर आ रही है. पिछले 1 साल में एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया है.

दम तोड़ती सरकार की अंगदान की मुहिम

अंगदान की मुहिम को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च तो कर रही है, लेकिन यह मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही है. दरअसल ब्रेन डेड हो चुके मरीज के अंग किसी अन्य जरूरतमंद मरीज के काम में आ सकते हैं.

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इसे लेकर सरकार ने ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों को जागरूक करने के लिए NOTO यानी 'नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन' की तर्ज पर SOTO यानी 'स्टेट ऑर्गन टिशु ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन' की शुरुआत की थी. लेकिन चिकित्सकों की आपसी खींचतान और सरकार के ढुलमुल रवैए के चलते नतीजे शून्य है. ऐसे में ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों की काउंसलिंग को लेकर अभी भी सफलता नहीं मिल पा रही है.

अंगदान को लेकर आंकड़े

प्रदेश में अब तक 32 ब्रेन डेड पेशेंट का हो चुका है कैडेबर ट्रांसप्लांट. इसके तहत 104 लोगों की जान सॉलिड ऑर्गन देकर बचाई गई है. इसके तहत 57 मरीजों को किडनी, 29 मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट और 16 मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. वहीं, इसके अलावा एक फेफड़े और एक अग्नाशय का भी प्रत्यारोपण किया गया है. इसके साथ ही कुल मिलाकर 118 लोगों को नया जीवनदान इसके तहत मिला है.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में संविधान और मूल कर्तव्यों पर चर्चा के दौरान आर्टिकल 370 और 35 A का हुआ जिक्र

बता दें कि राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को अंगदान दिवस को लेकर मेडिकल कॉलेज के बच्चों और फैकेल्टी मेंबर्स को फिल्म भी दिखाई गई. यह फिल्म अंगदान को लेकर प्रेरित करती है.

Intro:जयपुर- जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिले इसके लिए सरकार की ओर से अंगदान की मुहिम चलाई गई थी और इसकी शुरुआत की गई थी प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल से लेकिन पिछले कुछ समय से सरकार की कछुआ चाल के चलते लगभग लगभग यह मुहिम दम तोड़ती नजर आ रही है और पिछले 1 साल में एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया है


Body:अंगदान की मुहिम को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च तो कर रही है लेकिन यह मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही है दरअसल ब्रेन डेड हो चुके मरीज के अंग किसी अन्य जरूरतमंद मरीज के काम में आ सकते हैं इसे लेकर सरकार ने ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों को जागरूक करने के लिए नोटो यानी नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की तर्ज पर सोटो यानी स्टेट ऑर्गन टिशु ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत की थी लेकिन चिकित्सकों की आपसी खींचतान और सरकार के ढुलमुल रवैए के चलते नतीजे शून्य है ऐसे में ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों की काउंसलिंग को लेकर अभी भी सफलता नहीं मिल पा रही है

अंगदान को लेकर आंकड़े

प्रदेश में अब तक 32 ब्रेन डेड पेशेंट का हो चुका है कैडेबर ट्रांसप्लांट इसके तहत 104 लोगों की जान सॉलिड ऑर्गन देकर बचाई गई है इसके तहत 57 मरीजों को किडनी 29 मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट और 16 मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है इसके अलावा एक फेफड़े और एक अग्नाशय का भी प्रत्यारोपण किया गया है और कुल 118 लोगों को नया जीवनदान इसके तहत मिला है

अंगदान दिवस पर दिखाई गई फिल्म

राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज मैं आज अंगदान दिवस को लेकर मेडिकल कॉलेज के बच्चों और फैकेल्टी मेंबर्स को अंगदान को लेकर जागरूक करती एक फिल्म भी दिखाई गई जो अंगदान को लेकर प्रेरित करती है

बाईट-डॉ मनीष शर्मा , नोडल अधिकारी RNOS
बाईट- डॉ एसजे मेहता संयुक्त निदेशक सोटो


Conclusion:
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