जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की ओर से दुष्कर्म का स्पष्ट आरोप लगाने के बावजूद आरोपी को केस से निकालने पर तिजारा पुलिस उपाधीक्षक कुशाल सिंह को तत्काल निलंबित करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने डीजीपी को कहा है कि जांच अधिकारी के निलंबन के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश मुनफेद की द्वितीय जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पीड़िता ने अपने बयान में याचिकाकर्ता सहित एक अन्य तौफीक के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया है. पुलिस मामले में उचित जांच नहीं कर रही है और मामले में सिर्फ याचिकाकर्ता को आरोपी बना रही है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि पुलिस ने तौफीक को क्लीन चिट देते हुए एफआर पेश कर दी है.
पढ़ें- रेलवे में नौकरी के नाम पर 7 लाख की ठगी करने वाला ठग उज्जैन से गिरफ्तार
इस पर अदालत ने मामले में जांच अधिकारी को पेश होने के आदेश दिए. सुनवाई के दौरान तिजारा सीओ कुशाल सिंह अदालत में पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि तौफीक की मोबाइल लोकेशन हरियाणा के विभिन्न स्थानों की आ रही थी. इसके चलते माना गया कि वह मामले में शामिल नहीं था. इस पर कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में तौफीक पर भी स्पष्ट आरोप लगाया है.
इसके अलावा पीड़िता ने बयान में अपनी उम्र 14 साल बताई है, लेकिन जांच अधिकारी ने उसे 19 साल मान ली. अदालत ने माना कि जांच अधिकारी आरोपी को बचाकर गंभीर अपराध कर रहे हैं. ऐसे में तत्काल निलंबित करने के लिए डीजीपी को आदेश भेजा जा रहा है. बता दें कि अलवर के खुशखेड़ा थाना इलाके से गत वर्ष नाबालिग पीड़िता का अपहरण कर दुष्कर्म करने का मामला दर्ज किया गया था.