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हाईकोर्ट फैसला : ब्लैक कैट कमांडो को सेवा से हटाने का आदेश रद्द - Black Cat Commands Service Case

राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ के ब्लैक कैट कमांडो को गैर हाजिर रहने के चलते सेवा से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह उसे सभी सेवा परिलाभों सहित सेवा में बहाल करे.

Order to remove black cat commands from service canceled,  Black Cat Commands Service Case,  CRPF Black Cat Commands Non-Spot Case
ब्लैक कैट कमांडो को सेवा से हटाने का आदेश रद्द
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Published : Mar 16, 2021, 8:11 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ के ब्लैक कैट कमांडो को गैर हाजिर रहने के चलते सेवा से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह उसे सभी सेवा परिलाभों सहित सेवा में बहाल करे. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कांस्टेबल सज्जन सिंह की याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा कि सीआरपीएफ ने सीआरपीएफ एक्ट, 1949 की धारा 11 के तहत याचिकाकर्ता को सेवा से हटाया है. जबकि उसे लघु दंड ही दिया जा सकता है. वहीं सेवा से हटाने समय संबंधित अफसरों ने यह भी नहीं देखा कि याचिकाकर्ता को समय-समय पर गैर हाजिर रहने के लिए नौ महीने की क्वार्टर गार्ड की सजा से दंडित किया जा चुका है.

पढ़ें- डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए VDO और दलाल गिरफ्तार, रिश्वत में 6 लाख और एक दुकान भी मांगा

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की बीमारी के कारण वर्ष 2006 के कुछ महिनों सेवा से गैर हाजिर रहा. इस पर विभाग ने जांच के बाद 18 सितंबर 2007 को उसे सेवा से हटा दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने लंबे समय तक सीआरपीएफ में नौकरी की है. इस दौरान उत्कृष्ठ सेवा के चलते वह 28 नवंबर 1997 से 30 नवंबर 2002 तक एनएसजी में भी रहा है.

इसलिए केवल गैर हाजिरी के चलते उसे सेवा से हटाना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को समस्त परिलाभ के साथ पुन: सेवा में रखने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ के ब्लैक कैट कमांडो को गैर हाजिर रहने के चलते सेवा से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह उसे सभी सेवा परिलाभों सहित सेवा में बहाल करे. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कांस्टेबल सज्जन सिंह की याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा कि सीआरपीएफ ने सीआरपीएफ एक्ट, 1949 की धारा 11 के तहत याचिकाकर्ता को सेवा से हटाया है. जबकि उसे लघु दंड ही दिया जा सकता है. वहीं सेवा से हटाने समय संबंधित अफसरों ने यह भी नहीं देखा कि याचिकाकर्ता को समय-समय पर गैर हाजिर रहने के लिए नौ महीने की क्वार्टर गार्ड की सजा से दंडित किया जा चुका है.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की बीमारी के कारण वर्ष 2006 के कुछ महिनों सेवा से गैर हाजिर रहा. इस पर विभाग ने जांच के बाद 18 सितंबर 2007 को उसे सेवा से हटा दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने लंबे समय तक सीआरपीएफ में नौकरी की है. इस दौरान उत्कृष्ठ सेवा के चलते वह 28 नवंबर 1997 से 30 नवंबर 2002 तक एनएसजी में भी रहा है.

इसलिए केवल गैर हाजिरी के चलते उसे सेवा से हटाना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को समस्त परिलाभ के साथ पुन: सेवा में रखने को कहा है.

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