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बाड़ेबंदी के दौरान Covid-19 गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर जांच के आदेश

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Published : Sep 12, 2020, 9:47 PM IST

आमेर की निचली अदालत ने दिल्ली रोड स्थित होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर जांच के आदेश दिए है. इस मामले में सीएम अशोक गहलोत सहित 112 लोगों के खिलाफ परिवाद पेश किए गए थे.

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जिला एवं सेशन न्यायालय

जयपुर. आमेर की निचली अदालत ने दिल्ली रोड स्थित होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर सीएम अशोक गहलोत सहित 112 लोगों के खिलाफ पेश परिवाद को जांच के लिए आमेर थाना पुलिस को भेजा है. इसके साथ ही अदालत ने पुलिस को जांच नतीजा अविलंब अदालत में पेश करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश ओम प्रकाश की ओर से दायर परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि कोरोना संक्रमण के चलते देश में हजारों लोगों की मौत हो गई है. वहीं, केंद्र और राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर संक्रमण रोकने के लिए लोगों को एकत्रित होने पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद गत 19 जून को राज्यसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री गहलोत ने विधायकों की एक होटल में बाड़ेबंदी की थी.

पढ़ें- पुलिसकर्मियों की पीसीसी पर मंडराया कोरोना का खतरा, अग्रिम आदेशों तक पीसीसी स्थगित

वहीं, गत 13 जुलाई से एक बार फिर दर्जनों विधायकों को एक साथ रखा गया. इस दौरान विधायक मनोरंजन कर रहे थे और गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही थे. जबकि गाइडलाइन की पालना नहीं करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान है.

परिवाद में कहा गया कि एक ओर 50 लोग बिना अनुमति एकत्रित नहीं हो सकते. वहीं, दूसरी ओर निजी होटल में विधायकों सहित कुल करीब 200 लोग एक साथ एकत्रित हुए. इनमें से कई लोगों की उम्र 60 साल से अधिक भी थे. इसके यहां एकत्रित करने की किसी अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले को जांच के लिए आमेर थाना पुलिस को भेजा है.

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कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी फीस नहीं लौटाने पर मांगा जवाब

RU ने कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी फीस नहीं लौटाने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के चलते कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी विद्यार्थियों को फीस नहीं लौटाने पर उच्च शिक्षा सचिव और एलन कोचिंग, कोटा सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं. यह आदेश न्यायाधीश अशोक गौड़ ने राघव सक्सेना में अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता गोविंद उपाध्याय ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने एलन कोचिंग में गत जनवरी माह में प्रवेश लेकर पूरे साल की फीस जमा करा दी थी. कोचिंग में फरवरी से लेकर 6 मार्च तक अध्ययन कराया गया. वहीं, बाद में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण कोचिंग क्लास बंद हो गई.

याचिका में कहा गया कि एक याचिकाकर्ता की ओर से फीस जमा कराने के बाद एक भी दिन क्लास नहीं हुई. इस पर कोचिंग प्रशासन ने ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने को कहा. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इससे इंकार कर दिया. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से फीस मांगने पर कोचिंग प्रशासन ने फीस लौटाने से इनकार कर दिया. इस संबंध में मुख्य सचिव को भी शिकायत भेजी गई. लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

चयन के बाद दस्तावेज सत्यापन से इंकार क्यों

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 की मेरिट सूची में आने के बावजूद अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मनोहर लाल और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 13 अप्रैल 2018 को व्याख्याता भर्ती के लिए आवेदन मांगे, जिसमें याचिकाकर्ता ने आवेदन कर दिया. वहीं, आयोग ने 19 सितंबर 2019 को संशोधित विज्ञापन जारी किया.

पढ़ें- जयपुर: ABVP कार्यसमिति की बैठक संपन्न, बैठक में सदस्यता अभियान का पोस्टर लॉन्च

याचिका में कहा गया कि गत 24 जुलाई को भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी हो गया, जिसमें सफल होने पर याचिकाकर्ता को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया. याचिका में कहा गया कि आयोग ने दस्तावेज सत्यापन के दौरान उसका चयन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि आवेदन के समय वह एमए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत था.

इस याचिका को चुनौती देते हुए कहा गया कि भर्ती के संशोधित विज्ञापन की तिथि को याचिकाकर्ता ने पात्रता हासिल कर ली थी. ऐसे में उसे चयन से वंचित नहीं किया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. आमेर की निचली अदालत ने दिल्ली रोड स्थित होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर सीएम अशोक गहलोत सहित 112 लोगों के खिलाफ पेश परिवाद को जांच के लिए आमेर थाना पुलिस को भेजा है. इसके साथ ही अदालत ने पुलिस को जांच नतीजा अविलंब अदालत में पेश करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश ओम प्रकाश की ओर से दायर परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि कोरोना संक्रमण के चलते देश में हजारों लोगों की मौत हो गई है. वहीं, केंद्र और राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर संक्रमण रोकने के लिए लोगों को एकत्रित होने पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद गत 19 जून को राज्यसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री गहलोत ने विधायकों की एक होटल में बाड़ेबंदी की थी.

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वहीं, गत 13 जुलाई से एक बार फिर दर्जनों विधायकों को एक साथ रखा गया. इस दौरान विधायक मनोरंजन कर रहे थे और गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही थे. जबकि गाइडलाइन की पालना नहीं करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान है.

परिवाद में कहा गया कि एक ओर 50 लोग बिना अनुमति एकत्रित नहीं हो सकते. वहीं, दूसरी ओर निजी होटल में विधायकों सहित कुल करीब 200 लोग एक साथ एकत्रित हुए. इनमें से कई लोगों की उम्र 60 साल से अधिक भी थे. इसके यहां एकत्रित करने की किसी अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले को जांच के लिए आमेर थाना पुलिस को भेजा है.

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कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी फीस नहीं लौटाने पर मांगा जवाब

RU ने कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी फीस नहीं लौटाने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के चलते कोचिंग क्लास बंद होने के बाद भी विद्यार्थियों को फीस नहीं लौटाने पर उच्च शिक्षा सचिव और एलन कोचिंग, कोटा सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं. यह आदेश न्यायाधीश अशोक गौड़ ने राघव सक्सेना में अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता गोविंद उपाध्याय ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने एलन कोचिंग में गत जनवरी माह में प्रवेश लेकर पूरे साल की फीस जमा करा दी थी. कोचिंग में फरवरी से लेकर 6 मार्च तक अध्ययन कराया गया. वहीं, बाद में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण कोचिंग क्लास बंद हो गई.

याचिका में कहा गया कि एक याचिकाकर्ता की ओर से फीस जमा कराने के बाद एक भी दिन क्लास नहीं हुई. इस पर कोचिंग प्रशासन ने ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने को कहा. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इससे इंकार कर दिया. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से फीस मांगने पर कोचिंग प्रशासन ने फीस लौटाने से इनकार कर दिया. इस संबंध में मुख्य सचिव को भी शिकायत भेजी गई. लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

चयन के बाद दस्तावेज सत्यापन से इंकार क्यों

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 की मेरिट सूची में आने के बावजूद अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मनोहर लाल और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 13 अप्रैल 2018 को व्याख्याता भर्ती के लिए आवेदन मांगे, जिसमें याचिकाकर्ता ने आवेदन कर दिया. वहीं, आयोग ने 19 सितंबर 2019 को संशोधित विज्ञापन जारी किया.

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याचिका में कहा गया कि गत 24 जुलाई को भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी हो गया, जिसमें सफल होने पर याचिकाकर्ता को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया. याचिका में कहा गया कि आयोग ने दस्तावेज सत्यापन के दौरान उसका चयन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि आवेदन के समय वह एमए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत था.

इस याचिका को चुनौती देते हुए कहा गया कि भर्ती के संशोधित विज्ञापन की तिथि को याचिकाकर्ता ने पात्रता हासिल कर ली थी. ऐसे में उसे चयन से वंचित नहीं किया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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