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मिलीभगत में शामिल मीटर रीडर और सहायक अभियंताओं पर कार्रवाई के आदेश

उपभोक्ता आयोग ने करीब 2.50 लाख रुपए के बिजली का बिल भेजने के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा कि मीटर रीडर की मिलीभगत से कम रीडिंग दर्ज की जा रही थी. वहीं विभाग के सहायक अभियंताओं ने भी अपने सुपरवीजन में लापरवाही की है.

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रीडर और अभियंता पर कार्रवाई के आदेश
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Published : Nov 17, 2020, 7:40 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने करीब ढाई लाख रुपए के बिजली का बिल भेजने के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि मीटर रीडर की मिलीभगत से कम रीडिंग दर्ज की जा रही थी. इसके अलावा विभाग के सहायक अभियंताओं ने भी अपने सुपरवीजन में लापरवाही की है.

ऐसे में विद्युत विभाग के प्रमुख सचिव और प्रबंध निदेशक जिम्मेदार मीटर रीडर्स और सहायक अभियंताओं के खिलाफ जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई करें. आयोग ने यह आदेश भरतपुर निवासी शिवराम शर्मा की अपील पर दिए.

यह भी पढ़ें: पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा: अभ्यर्थियों को आपत्ति दर्ज कराने का अंतिम मौका, अब 18 नवंबर तक दर्ज कराई जा सकेगी ऑनलाइन आपत्ति

अपील में कहा गया कि उसने आटा चक्की के लिए बिजली कनेक्शन ले रखा है, जिसका सितंबर 2013 तक का बिल जमा कराने के बाद मीटर जल गया. वहीं नवंबर 2013 में उसका दो लाख 48 हजार रुपए का बिल जारी कर दिया. जबकि लगातार चक्की चलाने के बाद भी इतना बिल नहीं आ सकता.

वहीं दूसरी ओर विद्युत विभाग का कहना था कि उपभोक्ता ने मीटर जलाने की कोशिश की थी. उपभोक्ता मीटर रीडर से मिलीभगत कर कम रीडिंग दर्ज करवा रहा था. ऐसे में नया मीटर लगाने के बाद बकाया यूनिट का खर्च जोड़ा गया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश देते हुए अपील को खारिज कर दिया है.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने करीब ढाई लाख रुपए के बिजली का बिल भेजने के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि मीटर रीडर की मिलीभगत से कम रीडिंग दर्ज की जा रही थी. इसके अलावा विभाग के सहायक अभियंताओं ने भी अपने सुपरवीजन में लापरवाही की है.

ऐसे में विद्युत विभाग के प्रमुख सचिव और प्रबंध निदेशक जिम्मेदार मीटर रीडर्स और सहायक अभियंताओं के खिलाफ जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई करें. आयोग ने यह आदेश भरतपुर निवासी शिवराम शर्मा की अपील पर दिए.

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अपील में कहा गया कि उसने आटा चक्की के लिए बिजली कनेक्शन ले रखा है, जिसका सितंबर 2013 तक का बिल जमा कराने के बाद मीटर जल गया. वहीं नवंबर 2013 में उसका दो लाख 48 हजार रुपए का बिल जारी कर दिया. जबकि लगातार चक्की चलाने के बाद भी इतना बिल नहीं आ सकता.

वहीं दूसरी ओर विद्युत विभाग का कहना था कि उपभोक्ता ने मीटर जलाने की कोशिश की थी. उपभोक्ता मीटर रीडर से मिलीभगत कर कम रीडिंग दर्ज करवा रहा था. ऐसे में नया मीटर लगाने के बाद बकाया यूनिट का खर्च जोड़ा गया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश देते हुए अपील को खारिज कर दिया है.

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