जयपुर. शहर में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना के संक्रमण और बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने संक्रमितों के इलाज के लिए जयपुरिया अस्पताल सहित कुछ अस्पताल के संबंध में आदेश भी निकाले. लेकिन अब इन्हीं आदेशों का विरोध भी शुरू हो गया है. पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने चिकित्सा विभाग के इस आदेश का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए सराफ ने चिकित्सा विभाग का यह निर्णय वापस लिए जाने की मांग की है.
कालीचरण सराफ ने अपने पत्र के जरिए लिखा कि जयपुरिया के आसपास घनी आबादी क्षेत्र है और यहां झालाना, महावीर नगर, आदिनाथ नगर, जय अंबे नगर, मिलाप नगर, हिम्मतनगर, इंदिरा नगर, मालवीय नगर, टोंक रोड आदि की कॉलोनियों से बड़ी संख्या में लोग उपचार करवाने आते हैं. इस अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी आसपास की कॉलोनियों में ही किराए पर रहते हैं. ऐसे में चिकित्सा विभाग के इस आदेश के बाद क्षेत्रवासियों मकान मालिकों और अन्य लोगों इस के काम में जुटे चिकित्सा कर्मियों के साथ भेदभाव और अभद्रता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. कालीचरण सराफ ने कहा यह क्षेत्र अभी तक कोरोना संक्रमण से मुक्त था, लेकिन संक्रमित मरीजों को यहां रखने के निर्णय से इलाज के लिए आने वाले लोगों के साथ आसपास के क्षेत्र में भी संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाएगी. इन सभी आशंकाओं से क्षेत्र के निवासियों में दहशत का माहौल व्याप्त है.
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कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री से जयपुरिया अस्पताल में मरीजों का इलाज कराने के चिकित्सा विभाग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि, क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा को देखते हुए यह आदेश सरासर अनुचित और अमानवीय है. इसके साथ ही कोरोना से बचाव के लिए चिकित्सा विभाग की ओर सो लिए जा रहे निर्णय पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है. सराफ के अनुसार शहर को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इस विषय में गंभीरतापूर्वक विचार कर चिकित्सा विभाग को अपने आदेश पर तुरंत रोक लगाकर क्षेत्र की जनता को भय और चिंता से मुक्त करना चाहिए.
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक आदेश निकालकर शहर के कुछ अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए तय किया था. ताकि संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के दौरान कुछ ही अस्पतालों पर भार ना पड़े. लेकिन विभाग के इस आदेश का भी विरोध शुरू हो गया है.