जयपुर. विपक्ष के रूप में सदन के भीतर भाजपा की क्या रणनीति रहेगी, इस बारे में ईटीवी भारत ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से खास बात की. कटारिया की मानें तो आने वाला विधानसभा का मानसून सत्र संक्षिप्त होगा. भाजपा जनता से जुड़े तत्कालीन बड़े मुद्दों को योजनाबद्ध तरीके से उसमें उठाने का प्रयास करेगी, ताकि जनता की बात सरकार तक पहुंचे और सदन में उसका जवाब आ सके.
वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि हमें इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है कि आने वाले विधानसभा सत्र के दौरान भी गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार या पुनर्गठन हो जाए. क्योंकि प्रदेश सरकार के मुखिया लगातार मंत्रिमंडल विस्तार और पुनर्गठन टालने का ही प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में 12 जिलों में होने वाले पंचायत राज चुनाव को केवल 6 जिलों में ही करवाए जा रहा है और अब विधानसभा सत्र की तारीखों का एलान कर दिया गया.
कटारिया ने कहा कि विधानसभा सत्र के बाद 2 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा और फिर बचे हुए 6 जिलों में पंचायत राज चुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा. मतलब साफ है कि इस तरह नगरी सरकार को ही चलाने का प्रयास किया जा रहा है. कटारिया ने यह भी कहा कि भाजपा को गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार की उम्मीद कम ही है, लेकिन जैसे ही विस्तार होगा, एक बड़ा विस्फोट भी होगा.
पिछले सत्रों में लगाए सवालों के नहीं मिले जवाब...
राजस्थान विधानसभा के सत्र तो लगातार हो रहे हैं और इसमें विधायक अपने-अपने क्षेत्रों से जुड़े सवाल भी लगाते हैं. जिसमें से पूछ कर जवाब मिलते हैं, लेकिन अधिकतर के लिखित जवाब अब तक नहीं मिले. केवल मौजूदा सत्र ही नहीं, बल्कि पिछले कई विधानसभा सत्र में लगाए गए विधायकों के सवालों का अब तक इंतजार है. इसकी पीड़ा भी विधायकों को है और बतौर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इसे गलत मानते हैं.
कटारिया के अनुसार न तो विभाग मुस्तैद है न मुख्य सचिव. नेता प्रतिपक्ष के अनुसार यदि विभागों की समुचित मॉनिटरिंग हो तो विधायकों को उनके लगाए गए सवालों के सही समय पर जवाब तो मिले, लेकिन विभागों के सही तरीके से मॉनिटरिंग की ही नहीं जा रही. क्योंकि कई विभागों के तो मंत्री हैं ही नहीं. कटारिया ने कहा कि एक मंत्री कई विभाग संभालेगा तो यही स्थिति होगी. सदन के भीतर भी विभाग किसी और के पास जवाब कोई और देता है, जो सिर्फ खानापूर्ति ही होती है. इस मामले में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से भी शिकायत की थी.