जयपुर. राजधानी की यातायात व्यवस्था और आबोहवा को ध्यान में रखते हुए 100 मिडी बस और 100 इलेक्ट्रिक बस जेसीटीएसएल के बेड़े से जोड़ने का निर्णय लिया गया था. लेकिन इनमें से महज 47 मिडी बस ही शहर की सड़कों पर संचालित हो रही हैं. जबकि 53 मिडी बसें बगराना डिपो पर धूल फांक रही हैं. जबकि इलेक्ट्रिक बसें अभी सड़क पर ही नहीं उतर पाई है.
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जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड की सैकड़ों बसें कंडम हो चुकी हैं. जो बसें फिलहाल संचालित हैं, उनकी भी हालत कुछ खास नहीं है. ऐसे में बीते दिनों जेसीटीएसएल की 50 नई मिडी बसों को हरी झंडी दिखाई गई. लेकिन तत्कालीन जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा को 4 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए एसीबी की ओर से ट्रैप हो जाने के बाद, नई आई 50 मिडी बसें भी शक के घेरे में आ गई. जिनका अब तक संचालन नहीं हो सका है.
वहीं इलेक्ट्रिक बसों की तो अब तक मुंह दिखाई भी नहीं हो सकी है. इस संबंध में जेसीटीएसएल ओएसडी अशोक शर्मा ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े से जोड़ने की तैयारी चल रही है. हाल ही में जो सैंपल बस आई है, उसका निरीक्षण सीआईआरटी की ओर से किया गया है. इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा रहा है. जल्द ही कार्रवाई पूरी होगी.
बता दें कि जेसीटीएसएल इन बसों को खरीदेगा नहीं बल्कि इनका प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. इलेक्ट्रिक बस के लिए जेसीटीएसएल प्रति किलोमीटर 66.50 रुपए भुगतान करेगा.
अभी यह है स्थिति
वर्तमान में शहर में 225 बसें संचालित हैं. 25 रूट पर लो फ्लोर बसें चल रही हैं. प्रतिदिन औसत 1 लाख यात्री इन बसों में सवार होते हैं. टोडी, बगराना और विद्याधर नगर डिपो से संचालित हो रही हैं बसें. नई 100 मिडी बस में से 47 बसें फिलहाल संचालित हो रही हैं. वहीं सैंपल इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल चल रहा है. बसों के संचालन से जेसीटीएसएल को प्रतिदिन 20 लाख रुपए की आय हो रही है.