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RAS केसर लाल मीणा के बाद अब इन अधिकारियों ने धार्मिक और जातिगत टिप्पणियों से खड़ा किया विवाद...

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Published : Sep 16, 2022, 10:19 PM IST

राजस्थान के प्रशासनिक अधिकारी इन दिनों जातिगत आधारित टिप्पणियों को लेकर विवादों में हैं. आरएएस केसर लाल मीणा की टिप्पणी का मामला अभी खत्म ही नहीं हुआ कि अब आरएएस लक्ष्मीकांत और AAO पिंटू मीणा की पोस्ट ने विवाद का खड़ा कर दिया है.

RAS Officer Whatsapp Controversy
आरएएस लक्ष्मीकांत और AAO पिंटू मीणा

जयपुर. राजस्थान में इन दिनों प्रशासनिक अधिकारियों की सोशल मीडिया पर (RAS Officer Whatsapp Controversy) जातिगत टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर रखा है. आरएएस केसर लाल मीणा के बाद अब आरएएस लक्ष्मीकांत और AAO पिंटू मीणा की पोस्ट ने भी विवाद खड़ा कर दिया है. धार्मिक और जातिगत इन टिप्पणियों में ऐसा लग रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी जाति और धर्म के नाम पर बंट गए हों.

RAS अधिकारियों की जातिगत और धार्मिक टिप्पणियां : वैसे तो प्रशासनिक अधिकारियों को सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है. खासकर जाति और धर्म जैसे मामलों को लेकर विशेष एडवाइजरी भी होती है, लेकिन इन दिनों धर्म और समाज के आधार पर की गई टिप्पणियों की वजह से आरएएस अधिकारी चर्चा में बने हुए हैं. आरएएस अधिकारियों की पोस्टों पर इन दिनों जातिगत और धार्मिक टिप्पणियों ने तूल पकड़ रखा है, जिसको लेकर आम जनता की ओर से भी एतराज जताया जा रहा है. आरएएस अधिकारी केसर लाल मीणा के बाद एक और आरएएस लक्ष्मीकांत बालोत और AAO पिंटू मीणा की सोशल मीडिया पोस्ट पर की गई टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया है.

किसने क्या कहा ? : बता दें कि RAS केसर लाल मीणा के बाद RAS लक्ष्मीकांत बालोत ने फेसबुक पर पोस्ट कर (RAS Laxmikant Balot Controversy) अहिल्या को लेकर विवादित प्रश्न किया है. एग्रीकल्चर मार्केटिंग राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा के विशिष्ट सहायक लक्ष्मीकांत बालोत की इस फेसबुक पोस्ट ने प्रसाशनिक बेड़े में फिर बवाल मचा दिया है. बालोत ने आगे लिखा कि मेरे ऊपर मुकदमा करो, जवाब दूंगा. झूठ ही भोजन, झूठ ही जीवन, झूठ ही जीवन चबेना. सत्य को चबाते हो, कब तक चबाओगे, मुझ पर मुकदमा करो. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद आरएएस बालोत ने पोस्ट को डिलीट कर दिया है.

पढ़ें : RAS Officer Whatsapp Controversy: राज्य विप्र कल्याण बोर्ड ने सीएम को लिखा खत, निलंबन की अपील

बालोत के साथ पिंटू मीणा की भी विवादित पोस्ट : ऐसा नहीं है कि केसर लाल मीणा या लक्ष्मीकांत बालोत ने ही इस तरह की जातिगत या धार्मिक टिप्पणी की हो. इसके साथ ही सहायक कृषि अधिकारी पिंटू मीणा की पोस्ट भी सोशल मीडिया में खूबर वायरल हो रही है, जिसमें उसने पुजारी को लेकर विवादित कमेंट किया है.

धर्म के नाम पर बंटे अधिकारी : पहले केसर लाल मीणा, फिर लक्ष्मीकांत बालोद और पिंटू मीणा की पोस्ट पर लोगों की अलग-अलग तरीके की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लेकिन इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी अंदर खाने जातिगत और धार्मिक रूप से बंट गए हैं. SC-ST वर्ग से जुड़े अधिकारी इन अधिकारियों के सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को उनके अपने निजी विचारों की आजादी बता रहे हैं, तो वहीं सामान्य वर्ग से जुड़े अधिकारी इसे एक समाज वर्ग के प्रति मन में भरे द्वेष के नजर से देख रहे हैं. एक के बाद एक सोशल मीडिया पर आ रही धार्मिक-जातिगत पोस्ट के बाद न केवल सचिवालय, बल्कि प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों में भी इन टिप्पणियों को लेकर चर्चा है.

अधिकारियों का कोई धर्म या जाति नहीं : सोशल मीडिया पर लगातार एक के बाद एक हो रही धार्मिक और जातिगत टिप्पणियों को लेकर कुछ बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि अधिकारियों का जाति या धर्म नहीं होता है. वह जिस पद पर बैठे हैं, वहां पर उनके लिए हर एक व्यक्ति समान होता है. बुद्धिजीवी वर्ग भी कहता है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह की जातिगत और धार्मिक टिप्पणियों से बचना चाहिए. वह इस तरह से अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर प्रचारित करते हैं तो उसका समाज में गलत संदेश जाता है. इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं प्रदर्शित करने से बचना चाहिए.

जयपुर. राजस्थान में इन दिनों प्रशासनिक अधिकारियों की सोशल मीडिया पर (RAS Officer Whatsapp Controversy) जातिगत टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर रखा है. आरएएस केसर लाल मीणा के बाद अब आरएएस लक्ष्मीकांत और AAO पिंटू मीणा की पोस्ट ने भी विवाद खड़ा कर दिया है. धार्मिक और जातिगत इन टिप्पणियों में ऐसा लग रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी जाति और धर्म के नाम पर बंट गए हों.

RAS अधिकारियों की जातिगत और धार्मिक टिप्पणियां : वैसे तो प्रशासनिक अधिकारियों को सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है. खासकर जाति और धर्म जैसे मामलों को लेकर विशेष एडवाइजरी भी होती है, लेकिन इन दिनों धर्म और समाज के आधार पर की गई टिप्पणियों की वजह से आरएएस अधिकारी चर्चा में बने हुए हैं. आरएएस अधिकारियों की पोस्टों पर इन दिनों जातिगत और धार्मिक टिप्पणियों ने तूल पकड़ रखा है, जिसको लेकर आम जनता की ओर से भी एतराज जताया जा रहा है. आरएएस अधिकारी केसर लाल मीणा के बाद एक और आरएएस लक्ष्मीकांत बालोत और AAO पिंटू मीणा की सोशल मीडिया पोस्ट पर की गई टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया है.

किसने क्या कहा ? : बता दें कि RAS केसर लाल मीणा के बाद RAS लक्ष्मीकांत बालोत ने फेसबुक पर पोस्ट कर (RAS Laxmikant Balot Controversy) अहिल्या को लेकर विवादित प्रश्न किया है. एग्रीकल्चर मार्केटिंग राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा के विशिष्ट सहायक लक्ष्मीकांत बालोत की इस फेसबुक पोस्ट ने प्रसाशनिक बेड़े में फिर बवाल मचा दिया है. बालोत ने आगे लिखा कि मेरे ऊपर मुकदमा करो, जवाब दूंगा. झूठ ही भोजन, झूठ ही जीवन, झूठ ही जीवन चबेना. सत्य को चबाते हो, कब तक चबाओगे, मुझ पर मुकदमा करो. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद आरएएस बालोत ने पोस्ट को डिलीट कर दिया है.

पढ़ें : RAS Officer Whatsapp Controversy: राज्य विप्र कल्याण बोर्ड ने सीएम को लिखा खत, निलंबन की अपील

बालोत के साथ पिंटू मीणा की भी विवादित पोस्ट : ऐसा नहीं है कि केसर लाल मीणा या लक्ष्मीकांत बालोत ने ही इस तरह की जातिगत या धार्मिक टिप्पणी की हो. इसके साथ ही सहायक कृषि अधिकारी पिंटू मीणा की पोस्ट भी सोशल मीडिया में खूबर वायरल हो रही है, जिसमें उसने पुजारी को लेकर विवादित कमेंट किया है.

धर्म के नाम पर बंटे अधिकारी : पहले केसर लाल मीणा, फिर लक्ष्मीकांत बालोद और पिंटू मीणा की पोस्ट पर लोगों की अलग-अलग तरीके की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लेकिन इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी अंदर खाने जातिगत और धार्मिक रूप से बंट गए हैं. SC-ST वर्ग से जुड़े अधिकारी इन अधिकारियों के सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को उनके अपने निजी विचारों की आजादी बता रहे हैं, तो वहीं सामान्य वर्ग से जुड़े अधिकारी इसे एक समाज वर्ग के प्रति मन में भरे द्वेष के नजर से देख रहे हैं. एक के बाद एक सोशल मीडिया पर आ रही धार्मिक-जातिगत पोस्ट के बाद न केवल सचिवालय, बल्कि प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों में भी इन टिप्पणियों को लेकर चर्चा है.

अधिकारियों का कोई धर्म या जाति नहीं : सोशल मीडिया पर लगातार एक के बाद एक हो रही धार्मिक और जातिगत टिप्पणियों को लेकर कुछ बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि अधिकारियों का जाति या धर्म नहीं होता है. वह जिस पद पर बैठे हैं, वहां पर उनके लिए हर एक व्यक्ति समान होता है. बुद्धिजीवी वर्ग भी कहता है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह की जातिगत और धार्मिक टिप्पणियों से बचना चाहिए. वह इस तरह से अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर प्रचारित करते हैं तो उसका समाज में गलत संदेश जाता है. इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं प्रदर्शित करने से बचना चाहिए.

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