जयपुर: प्रदेश के 4 शहरों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है. लेकिन इन सभी में उदयपुर अव्वल और जयपुर फिसड्डी है. यहां निर्धारित प्रोजेक्ट के 25 फ़ीसदी काम ही पूरे हो पाए हैं. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि आखिर राजधानी होने के बावजूद जयपुर पीछे क्यों है?
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जयपुर स्मार्ट सिटी में लगातार प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के कारण ये हालात बने हुए हैं. राजधानी में 104 प्रोजेक्ट पर काम होना हैं, इनमें से 26 ही पूरे हुए हैं. जो पूरे काम का महज 25% है. वहीं 515 करोड़ के 63 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
हालांकि दूसरे शहरों से तुलना करें तो :
उदयपुर में 105 में से 71 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, और वर्तमान में 661 करोड़ के 21 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. कोटा में 64 में से 25 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, और 600 करोड़ के 24 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. अजमेर में 100 में से 40 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, और 869 करोड़ के साथ प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं.
यही वजह है कि केंद्र सरकार की ओर से जुलाई महीने में जारी की गई रैंकिंग में जयपुर 28 वें पायदान पर जबकि उदयपुर पांचवें पायदान पर रहा. हालांकि अब वर्तमान में संचालित प्रोजेक्ट को गति देने की बात की जा रही है.
वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट :
2.41 करोड़ का फसाड़ वर्क इन हेरिटेज वॉक वे एरिया,12 करोड़ में बाजारों के बरामदे का जीर्णोद्धार, 14.84 करोड़ में चांदपोल अनाज मंडी, 10.36 करोड़ में दरबार स्कूल, 1.20 करोड़ से सांगानेरी गेट, न्यू गेट, सुभाष चौक का सौंदर्यीकरण और 21.37 करोड़ में चौगान स्टेडियम इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट (फेस वन) शामिल है.
इसके अलावा लक्ष्मी नारायणपुरी में अत्याधुनिक सुविधाओं वाला आयुर्वेद अस्पताल का काम चल रहा है. जबकि गणगौरी अस्पताल का डीपीआर तैयार किया जा चुका है. कंवर नगर का डिग्री कॉलेज, जंक्शन का इंप्रूवमेंट, बाज़ारों में रेलिंग और डिवाइडर को ठीक करने, फुटपाथ का सौंदर्यीकरण, सामुदायिक भवनों का रिनोवेशन जैसे कार्यों को स्वीकृति मिल गई है.
ये प्रोजेक्ट 2021 में पूरे होने का दावा :
जिसमें 12.41 करोड़ की लागत वाला जयपुरिया अस्पताल, 13.48 करोड़ का विधानसभा डिजिटल म्यूजियम और 46.64 करोड़ का स्मार्ट रोड आईसीटी वर्क शामिल है. सिटी को स्मार्ट बनाने की कवायद जोरों शोरों से जारी है. लेकिन कुछ प्रोजेक्ट्स से शहरवासी तो कुछ से जनप्रतिनिधि संतुष्ट नहीं है. फिर चाहें किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में आने वाले दरबार स्कूल को स्मार्ट बनाने का काम हो या पौन्ड्रिक उद्यान में कम्युनिटी हॉल और पार्किंग एरिया डिवेलप करने का.
जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सामने लक्ष्य बहुत बड़ा है और रफ्तार धीमी. लेकिन अब लक्ष्य खुद को अव्वल साबित करने का हो तो जुगत लगानी ही पड़ती है. सो, जयपुर अपनी फिसड्डी रैंकिंग बदलने की जोर आजमाइश में जुट गया है.