जयपुर. राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम द्वारा संचालित राज्य वित्त पोषित कौशल विकास योजनाओं में दिव्यांगों को 5% सीटें आरक्षित रहेगी. निगम ने सभी कौशल प्रशिक्षण प्रदाता संस्थानों को ये निर्देश जारी किए हैं. दिव्यांगों के रोजगार अवसरों के संबंध में ईटीवी भारत पर खबर प्रसारित होने के बाद निगम ने संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किए. अब दिव्यांगों को स्वरोजगार और आजीविका अर्जन करने के लिए उचित अवसर मिल सकेंगे.
प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भले ही दिव्यांगों को 4% आरक्षण है, लेकिन इसका फायदा उन्हें सहजता और सरलता से नहीं मिल पाता. आर्थिक रूप से उन्हें बढ़ाने के लिए प्राइवेट जॉब्स में भी 5% तक आरक्षण है. इस निमित्त राजस्थान में कोई नियम-अधिनियम पारित नहीं किया गया है. यही वजह है कि दिव्यांगों के लिए जॉब सिर्फ कागजों में होने के आरोप भी लगते हैं. हालांकि दिव्यांगजनों के रोजगार के क्रम में विशेष योग्यजन न्यायालय से श्रम एवं रोजगार विभाग को कई पत्र लिखे गए. अब राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम द्वारा संचालित राज्य वित्त पोषित कौशल विकास योजनाओं में दिव्यांगों को 5% सीटें आरक्षित रहेगी.
दिव्यांग अधिकार महासंघ के हेमंत भाई गोयल ने ईटीवी भारत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सामान्य व्यक्तियों की तरह ही दिव्यांग जनों के लिए भी कौशल विकास की योजना है. इसमें भी उन्हें लाभ नहीं मिल पाता था. कौशल विकास योजनाओं को लेकर जो एजेंसियां काम करती हैं, उन्हें दिव्यांग जनों के लिए अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है. इसकी कॉस्टिंग भी ज्यादा होती है. ऐसे में ये संस्थाएं दिव्यांग जनों को कौशल विकास योजना से जोड़ने में रुचि नहीं दिखाती थी, लेकिन ईटीवी भारत पर खबर प्रसारित होने के बाद अब राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम ने संज्ञान लेते हुए कौशल विकास योजनाओं में दिव्यांगों को 5% सीटें आरक्षित करने के निर्देश जारी किए हैं.
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आदेशों में स्पष्ट लिखा गया है कि भविष्य में शुरू होने वाली सभी प्रशिक्षण बैचों में न्यूनतम 5% दिव्यांग जनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें, ताकि दिव्यांग जनों को रोजगार/स्वरोजगार के लिए उचित अवसर प्राप्त हो सके. इसके साथ ही अब प्राइवेट सेक्टर में भी 20 में से 1 यानी कि 5 फीसदी आरक्षण को प्रदेश में लागू कराने की कवायद तेज की जा रही है.