जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में चिकित्सा विभाग में संविदा पर कार्यरत लेखा प्रबंधक को एपीओ किए जाने के 22 मई 2020 आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही मामले से संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट में जस्टिस अरुण भंसाली ने यह आदेश याचिकाकर्ता लेखा प्रबंधक सतीश गुप्ता की ओर से दायर याचिका की सुनवाई में दिए.
इन्हें किया गया नोटिस जारी
बता दें कि मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर, मिशन निदेशक कम स्पेशल सेक्रेट्री व प्रोजेक्ट निदेशक एनएचएम जयपुर, निदेशक जन स्वास्थ्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर, जिला कलेक्टर व चेयरमैन जिला स्वास्थ्य समिति गंगानगर, सीएमएचओ, रिप्रॉडक्टिव चाईल्ड हेल्थ ऑफिसर, श्रीगंगानगर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
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आदेश में यह भी लिखा है कि यदि याचिकाकर्ता को रिलीव कर दिया गया हो तो उसे पुनः उसी स्थान पर ज्वाइन कराया जाए. याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने वीसी पर पैरवी करते हुए कहा कि वर्ष 2014 में सीएमएचओ की ओर से नशबंदी के लिए आने वाली महिलाओं के गद्दे खरीद के मामले में याचिकाकर्ता से राय मांगी थी.
इस पर याचिकाकर्ता ने नोट शीट में स्पष्ट रूप से लिखा कि अगर गद्दे ओपन मार्केट से खरीद किए जाते हैं तो राज्य सरकार को प्रति गद्दे 1200 का फायदा होगा और इसके लिए क्रय और तकनीकी कमेटी का गठन किया जाए, लेकिन याची के नोटशीट में लिखने के बावजूद उसे नजअंदाज करते हुए सीएमएचओ ने अपनी मर्जी से एक फर्म को ठेका दे दिया और सरकार को करीब 7-8 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया.
बाद में शिकायत होने पर राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित कर जांच करवाई तो प्रार्थी को निर्दोष पाया गया और इसके बावजूद मिशन निदेशक व एनएचएम ने पुनः जांच का निर्णय लिया. याचिकाकर्ता को 3 अप्रैल को जांच में उपस्थित होने के निर्देश दिए. इस पर याची ने कोरोना महामारी में लॉकडाउन होने के कारण जयपुर आने में असमर्थता जताई और अगली तारीख के लिए बोला. लेकिन इसी बीच सीएमएचओ श्रीगंगानगर ने प्रार्थी को एपीओ करते हुए दिनांक 22 मई को कार्य मुक्त करते हुए जयपुर रवाना करने का आदेश कर दिया, जिसे हाइकोर्ट में चुनौती दी गई.