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पंचायती राज लिपिक भर्ती: गैर संविदा कार्मिकों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम, 7 दिन में भर्ती नहीं हुई तो उग्र आंदोलन की चेतावनी - jaipur news

जयपुर में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में 2013 की कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के मामले में विरोध बढ़ता जा रहा है. जहां गैर संविदा कार्मिक भर्ती के विरोध में आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार 7 दिन में उनकी मांगें माने, अन्यथा वे आंदोलन करेंगे.

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Published : Nov 15, 2019, 6:02 PM IST

जयपुर. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में 2013 की कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के मामले में गतिरोध बढ़ता जा रहा है. भर्ती को लेकर गैर संविदा कार्मिक आंदोलन करने पर आतुर है और उन्होंने सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है. यदि 7 दिन में उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो वो एक बड़ा आंदोलन करेंगे. यह जानकारी अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के बैनर तले शुक्रवार को ही प्रेस वार्ता में दी गई.

पंचायती राज कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती का मामला

बता दें कि ग्रामीण विकास पंचायती राज विभाग में 18 मार्च 2013 को कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के कुल 19 हजार 275 पदों का विज्ञापन निकाला गया था. इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 15 जनवरी 2013 को हुई बैठक में दी थी. बैठक में वित्त विभाग ने इस शर्त पर पदों की स्वीकृति दी थी कि 50 फीसदी पद संविदाकार्मिकों और 50 फीसदी पद गैर संविदा कार्मिकों (फ्रेशर) अभ्यर्थियों से भरे जाएं.

पढ़ें- नागौर में जिला परिषद की समीक्षा बैठक का आयोजन, लोक कल्याणकारी योजनाओं की हुई समीक्षा

पंचायती राज विभाग ने मुख्य सचिव के निर्देशों को नजरअंदाज कर अब तक 9 हजार 246 पद संविदाकर्मियों से भर दिए. क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, एमबीसी के अभ्यर्थियों को संविदा पर नहीं लगाया गया था. इसके कारण उन्हें 10, 20 और 30 बोनस अंकों का लाभ नहीं मिला. विभाग ने साजिश के तहत मेरिट लिस्ट कॉमन बनाकर नियुक्ति दे दी, जिससे फ्रेशर अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए. प्रेस वार्ता में बताया गया कि वित्त विभाग की स्वीकृति से यदि पदों को 50 फीसदी संविदा और 50 फीसदी फ्रेशर से भरा जाता तो नियुक्त किए गए पदों में आधे फ्रेशर अभ्यर्थियों को मौका मिलता.

गहलोत की भी बात नहीं मान रहे अधिकारी

अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के संरक्षक श्याम बाबू रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दो बार इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग से जारी करा दी. लेकिन, अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी बात नहीं मान रहे हैं. रावत ने भर्ती रोकने को लेकर पैसे के लेन-देन का भी आरोप लगाया. श्याम बाबू रावत ने कहा कि यदि सरकार 7 दिन उनकी मांग पूरी नहीं करती है, तो वे पूरे प्रदेश में पंपलेट बांटकर यह खुलासा करेंगे कि सरकार ने उनके साथ किस तरह का अन्याय किया है.

पढ़ें- आइंसटीन को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ 'वशिष्ठ नारायण सिंह' को राजकीय सम्मान के साथ विदाई

पंचायत और निकाय चुनाव में होगा नुकसान

अभ्यर्थी अनिल कुमार ने बताया कि हम लोग 7 साल से संघर्ष कर रहे हैं और अधिकारियों ने बिना किसी बात के फाइल वित्त विभाग में अटका रखी है. उन्होंने कहा कि 7 दिन में सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो, आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव में सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है. अनिल कुमार ने भी अधिकारियों पर पैसे खाने का आरोप लगाया. अनिल ने कहा कि सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम देते हैं, यदि हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम उग्र आंदोलन करेंगे.

जयपुर. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में 2013 की कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के मामले में गतिरोध बढ़ता जा रहा है. भर्ती को लेकर गैर संविदा कार्मिक आंदोलन करने पर आतुर है और उन्होंने सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है. यदि 7 दिन में उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो वो एक बड़ा आंदोलन करेंगे. यह जानकारी अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के बैनर तले शुक्रवार को ही प्रेस वार्ता में दी गई.

पंचायती राज कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती का मामला

बता दें कि ग्रामीण विकास पंचायती राज विभाग में 18 मार्च 2013 को कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के कुल 19 हजार 275 पदों का विज्ञापन निकाला गया था. इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 15 जनवरी 2013 को हुई बैठक में दी थी. बैठक में वित्त विभाग ने इस शर्त पर पदों की स्वीकृति दी थी कि 50 फीसदी पद संविदाकार्मिकों और 50 फीसदी पद गैर संविदा कार्मिकों (फ्रेशर) अभ्यर्थियों से भरे जाएं.

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पंचायती राज विभाग ने मुख्य सचिव के निर्देशों को नजरअंदाज कर अब तक 9 हजार 246 पद संविदाकर्मियों से भर दिए. क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, एमबीसी के अभ्यर्थियों को संविदा पर नहीं लगाया गया था. इसके कारण उन्हें 10, 20 और 30 बोनस अंकों का लाभ नहीं मिला. विभाग ने साजिश के तहत मेरिट लिस्ट कॉमन बनाकर नियुक्ति दे दी, जिससे फ्रेशर अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए. प्रेस वार्ता में बताया गया कि वित्त विभाग की स्वीकृति से यदि पदों को 50 फीसदी संविदा और 50 फीसदी फ्रेशर से भरा जाता तो नियुक्त किए गए पदों में आधे फ्रेशर अभ्यर्थियों को मौका मिलता.

गहलोत की भी बात नहीं मान रहे अधिकारी

अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के संरक्षक श्याम बाबू रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दो बार इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग से जारी करा दी. लेकिन, अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी बात नहीं मान रहे हैं. रावत ने भर्ती रोकने को लेकर पैसे के लेन-देन का भी आरोप लगाया. श्याम बाबू रावत ने कहा कि यदि सरकार 7 दिन उनकी मांग पूरी नहीं करती है, तो वे पूरे प्रदेश में पंपलेट बांटकर यह खुलासा करेंगे कि सरकार ने उनके साथ किस तरह का अन्याय किया है.

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पंचायत और निकाय चुनाव में होगा नुकसान

अभ्यर्थी अनिल कुमार ने बताया कि हम लोग 7 साल से संघर्ष कर रहे हैं और अधिकारियों ने बिना किसी बात के फाइल वित्त विभाग में अटका रखी है. उन्होंने कहा कि 7 दिन में सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो, आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव में सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है. अनिल कुमार ने भी अधिकारियों पर पैसे खाने का आरोप लगाया. अनिल ने कहा कि सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम देते हैं, यदि हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम उग्र आंदोलन करेंगे.

Intro:जयपुर। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में 2013 की कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के मामले में गतिरोध बढ़ता जा रहा है। भर्ती को लेकर गैर संविदा कार्मिक आंदोलन करने पर आतुर है और उन्होंने सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि 7 दिन में उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो भी एक बड़ा आंदोलन करेंगे।यह जानकारी अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के बैनर तले शुक्रवार को ही प्रेस वार्ता में दी गई।


Body:यह जानकारी अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के बैनर तले शुक्रवार को ही प्रेस वार्ता में दी गई।
ग्रामीण विकास पंचायती राज विभाग में 18 मार्च 2013 को कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती के कुल 19275 पदों का विज्ञापन निकाला गया था। इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 15 जनवरी 2013 को हुई बैठक में दी थी। बैठक में वित्त विभाग ने इस शर्त पर पदों की स्वीकृति दी थी कि 50% पद संविदा कार्मिकों और 50% पद गैर संविदा कार्मिकों (फ्रेशर) अभ्यर्थियों से भरे जाए। पंचायती राज विभाग ने मुख्य सचिव के निर्देशों को नजरअंदाज कर अब तक 9246 पद संविदा कर्मियों से भर दिए। क्योकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, एमबीसी के अभ्यर्थियों को संविदा पर नहीं लगाया गया था। इसके कारण उन्हें 10, 20, और 30 बोनस अंकों का लाभ नहीं मिला। विभाग ने साजिश के तहत मेरिट लिस्ट कॉमन बनाकर नियुक्ति दे दी, जिससे फ्रेशर अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित हो गए। प्रेस वार्ता में बताया गया कि वित्त विभाग की स्वीकृति से यदि पदों को 50% संविदा और 50% फ्रेशर से भरा जाता तो नियुक्त किए गए पदों में आधे फ्रेशर अभ्यर्थियों को मौका मिलता।
गहलोत की भी बात नही मान रहे अधिकारी-
अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ के संरक्षक श्याम बाबू रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दो बार इन पदों की स्वीकृति वित्त विभाग से जारी करा दी लेकिन अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी बात नहीं मान रहे हैं। रावत ने भर्ती रोकने को लेकर पैसे के लेन-देन का भी आरोप लगाया।। श्याम बाबू रावत ने कहा कि यदि सरकार 7 दिन उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो वे पूरे प्रदेश में पंपलेट बांटकर यह खुलासा करेंगे कि सरकार ने उनके साथ किस तरह का अन्याय किया है।

पंचायत और निकाय चुनाव में होगा नुकसान-
अभ्यर्थी अनिल कुमार ने बताया कि हम लोग सात साल से संघर्ष कर रहे हैं और अधिकारियों ने बिना किसी बात के
फाइल वित्त विभाग में अटका रखी है उन्होंने कहा कि का 7 दिन में सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव में सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अनिल कुमार ने भी अधिकारियों पर पैसे खाने का आरोप लगाया। अनिल ने कहा कि सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम देते हैं, यदि हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम उग्र आंदोलन करेंगे।

बाईट, 1. श्याम बाबू रावत, संरक्षक, अखिल राजस्थान गैर संविदा कार्मिक संघ
2. अनिल कुमार, अभ्यर्थी


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