जयपुर. शहर की सफाई व्यवस्था और बीवीजी कंपनी की कार्यशैली पर सवाल उठने के बाद दोनों निगम ने एमओयू की शर्तों के अनुसार काम करने का फाइनल अल्टीमेटम दिया है. कंपनी को दिए गए 15 दिन के समय में आधा वक्त बीत चुका है और अभी भी एक भी पार्षद, महापौर यहां तक की मंत्री भी इसके काम से संतुष्ट दिखाई नहीं दे रहे हैं. ऐसे में सभी कंपनी को टाटा-बाय-बाय कहने के मूड में हैं. हालांकि यूडीएच मंत्री के बयान से ऐसा लगता है, मानों उनके हाथ बंधे हुए हैं.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने शहर की सफाई व्यवस्था माकूल नहीं होने की बात स्वीकारी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निगम ने कंपनी से एग्रीमेंट कर रखा है, उसे कैसे तोड़ सकते हैं. हालांकि शहर के दोनों निगम ग्रेटर और हेरिटेज ने कंपनी को 15 दिन का फाइनल अल्टीमेटम दिया हुआ है. लेकिन इस तड़ी के बाद भी सफाई व्यवस्था में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला. ऐसे में कांग्रेस पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि कंपनी को फाइनल अल्टीमेटम दिया हुआ है, अगर बीवीजी काम नहीं करती है तो उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. क्योंकि उसके काम से कोई भी संतुष्ट नहीं है.
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में ना तो ओपन कचरा डिपो उठ रहे, गाड़ियां समय पर आती नहीं, कभी उनकी गाड़ियों की तो कभी लोडर-डंपर खराब होने की शिकायत रहती है. इन के बहाने ज्यादा हो गए हैं, काम कम. जिससे आम जनता तो क्या पार्षद तक परेशान हैं.
उधर, बीजेपी पार्षद रजत विश्नोई ने इसे मिलीभगत का खेल बताया. उन्होंने कहा कि सरकार और नगर निगम नाकाम हैं. महापौर असहाय हैं. निगम के पास दुनियाभर के साधन हैं. जो मोटर गैराज में कबाड़ बन रहे हैं. क्यों ना उन्हें तैयार कर सफाई व्यवस्था को सुचारू करें. लेकिन हर काम के लिए अच्छी सोच और मंशा होनी चाहिए. जिसकी कमी देखने को मिलती है. कांग्रेसी पार्षद और महापौर को आपस में लड़ने से फुर्सत नहीं है. पूरे कुएं में भांग मिली पड़ी है.
बीवीजी के साथ टेंडर की प्रमुख शर्तें:
- डोर टू डोर कचरा संग्रहण
- सभी गाड़ियों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम, सेग्रीगेशन की व्यवस्था
- ओपन कचरा डिपो खत्म
- लिटरबिन और डस्टबिन की व्यवस्था
- कचरा ट्रांसफर स्टेशन और उसका डिस्पोज
इन शर्तों के साथ 2017 में जयपुर नगर निगम ने बीवीजी कंपनी को सफाई का टेंडर दिया था. लेकिन इन तमाम शर्तों की पालना नहीं हो रही है. जिसका नुकसान जयपुर की जनता को उठाना पड़ रहा है.