जयपुर. पुलिस मुख्यालय जहां डिकॉय ऑपरेशन करवाकर सरकार की वाहवाही लूटता है. वहीं दूसरी ओर अपनी ही एसआईटी की बजरी माफियाओं से पुलिस की सांठगांठ की रिपोर्ट को पिछले डेढ़ माह से लिफाफे में बंद करके बैठा है. एसआईटी की ओर से की गई जांच में प्रदेश के 200 पुलिस कर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ उजागर हुई है, जिसमें पुलिस के 35 आला अधिकारी भी शामिल हैं.
सूत्रों की माने तो बजरी के अवैध खनन और परिवहन में पांच जिले जिनमें धौलपुर, करौली, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर और टोंक शामिल हैं. इन जिलों के दो एसपी, तीन एडिशनल एसपी और 30 एसएचओ सहित 200 पुलिसकर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ एसआईटी की जांच रिपोर्ट में उजागर हुई है. एसआईटी की ओर से एक दर्जन पन्नों से अधिक की जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को पिछले डेढ़ माह पूर्व ही सौंप दी गई थी. लेकिन अब तक उस रिपोर्ट को देखने की जहमत तक आला अधिकारियों ने नहीं उठाई है. जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय के एक कोने में धूल फांक रही है.
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बजरी के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए साल 2018 में आरएसी की स्पेशल बटालियन बनाई गई थी. ताज्जुब की बात तो यह है कि बटालियन का गठन होने के बावजूद भी अवैध बजरी खनन व परिवहन का गढ़ माने जाने वाले पांच जिलों की पुलिस ने इस बटालियन का एक बार भी उपयोग ही नहीं किया. एसआईटी की ओर से की गई जांच में सरकार ने राजस्व विभाग, वन विभाग और खनन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई एसटीएफ भी इन पांचों जिलों में नदारद मिली. बजरी के अवैध खनन व परिवहन को रोकने के लिए बनाई गई तमाम चेक पोस्ट जांच के दौरान बंद पाई गई.