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बजरी माफिया और पुलिस: सांठगांठ उजागर करने वाली SIT की रिपोर्ट जयपुर मुख्यालय के ठंडे बस्ते में - एसआईटी की रिपोर्ट

पुलिस मुख्यालय की तरफ से समय-समय पर प्रदेश में अलग-अलग जिलों में अनेक थानों पर विशेष टीम भेजकर डिकॉय ऑपरेशन करवाया जाता है. इस दौरान पुलिस तंत्र की खामियों को उजागर कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. साथ ही कार्यप्रणाली को सुधारने की चेतावनी दी जाती है.

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पुलिस मुख्यालय में पिछले डेढ़ महीने से फांक रही धूल
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Published : Feb 17, 2021, 10:29 AM IST

जयपुर. पुलिस मुख्यालय जहां डिकॉय ऑपरेशन करवाकर सरकार की वाहवाही लूटता है. वहीं दूसरी ओर अपनी ही एसआईटी की बजरी माफियाओं से पुलिस की सांठगांठ की रिपोर्ट को पिछले डेढ़ माह से लिफाफे में बंद करके बैठा है. एसआईटी की ओर से की गई जांच में प्रदेश के 200 पुलिस कर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ उजागर हुई है, जिसमें पुलिस के 35 आला अधिकारी भी शामिल हैं.

सूत्रों की माने तो बजरी के अवैध खनन और परिवहन में पांच जिले जिनमें धौलपुर, करौली, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर और टोंक शामिल हैं. इन जिलों के दो एसपी, तीन एडिशनल एसपी और 30 एसएचओ सहित 200 पुलिसकर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ एसआईटी की जांच रिपोर्ट में उजागर हुई है. एसआईटी की ओर से एक दर्जन पन्नों से अधिक की जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को पिछले डेढ़ माह पूर्व ही सौंप दी गई थी. लेकिन अब तक उस रिपोर्ट को देखने की जहमत तक आला अधिकारियों ने नहीं उठाई है. जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय के एक कोने में धूल फांक रही है.

यह भी पढ़ें: जोधपुर जेल में बंद आसाराम की तबीयत बिगड़ी, सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती

बजरी के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए साल 2018 में आरएसी की स्पेशल बटालियन बनाई गई थी. ताज्जुब की बात तो यह है कि बटालियन का गठन होने के बावजूद भी अवैध बजरी खनन व परिवहन का गढ़ माने जाने वाले पांच जिलों की पुलिस ने इस बटालियन का एक बार भी उपयोग ही नहीं किया. एसआईटी की ओर से की गई जांच में सरकार ने राजस्व विभाग, वन विभाग और खनन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई एसटीएफ भी इन पांचों जिलों में नदारद मिली. बजरी के अवैध खनन व परिवहन को रोकने के लिए बनाई गई तमाम चेक पोस्ट जांच के दौरान बंद पाई गई.

जयपुर. पुलिस मुख्यालय जहां डिकॉय ऑपरेशन करवाकर सरकार की वाहवाही लूटता है. वहीं दूसरी ओर अपनी ही एसआईटी की बजरी माफियाओं से पुलिस की सांठगांठ की रिपोर्ट को पिछले डेढ़ माह से लिफाफे में बंद करके बैठा है. एसआईटी की ओर से की गई जांच में प्रदेश के 200 पुलिस कर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ उजागर हुई है, जिसमें पुलिस के 35 आला अधिकारी भी शामिल हैं.

सूत्रों की माने तो बजरी के अवैध खनन और परिवहन में पांच जिले जिनमें धौलपुर, करौली, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर और टोंक शामिल हैं. इन जिलों के दो एसपी, तीन एडिशनल एसपी और 30 एसएचओ सहित 200 पुलिसकर्मियों की बजरी माफियाओं से सांठगांठ एसआईटी की जांच रिपोर्ट में उजागर हुई है. एसआईटी की ओर से एक दर्जन पन्नों से अधिक की जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को पिछले डेढ़ माह पूर्व ही सौंप दी गई थी. लेकिन अब तक उस रिपोर्ट को देखने की जहमत तक आला अधिकारियों ने नहीं उठाई है. जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय के एक कोने में धूल फांक रही है.

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बजरी के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए साल 2018 में आरएसी की स्पेशल बटालियन बनाई गई थी. ताज्जुब की बात तो यह है कि बटालियन का गठन होने के बावजूद भी अवैध बजरी खनन व परिवहन का गढ़ माने जाने वाले पांच जिलों की पुलिस ने इस बटालियन का एक बार भी उपयोग ही नहीं किया. एसआईटी की ओर से की गई जांच में सरकार ने राजस्व विभाग, वन विभाग और खनन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई एसटीएफ भी इन पांचों जिलों में नदारद मिली. बजरी के अवैध खनन व परिवहन को रोकने के लिए बनाई गई तमाम चेक पोस्ट जांच के दौरान बंद पाई गई.

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