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स्पेशल रिपोर्ट: पर्यटकों की बाट जोह रहा हाथी गांव का वीआईपी गेस्ट हाउस...सरकार के लाखों रुपये बर्बाद!

जयपुर के हाथी गांव में पर्यटकों के लिए बनाया गया वीआईपी गेस्ट हाउस सैलानियों की बाट जोह रहा है. गेस्ट हाउस को बने डेढ़ साल से भी ज्यादा समय हो गया, लेकिन उसमें सिर्फ कबूतरों की आवाजें ही सुनाई देती है.

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Published : Aug 25, 2019, 11:36 PM IST

Updated : Aug 26, 2019, 1:36 AM IST

जयपुर. वन विभाग ने डेढ़ साल पहले हाथी गांव में करीब 70 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस बनाया था. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गेस्ट हाउस को रंग बिरंगी पेंटिंग और खूबसूरत रंगों से सजाया गया. गेस्ट हाउस में फाइव स्टार होटल की तरह चार कमरे बनाए गए. कमरों को लग्जरी बेड और खूबसूरत पेंटिंग बनवाई गई. इन कमरों का किराया 5 हजार रुपये प्रति कमरा तय किया गया. लेकिन वन विभाग का गेस्ट हाउस अभी भी पर्यटकों का इंतजार कर रहा है. गेस्ट हाउस को बने डेढ़ साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन उसमें कोई गेस्ट आने में रूचि नहीं दिखा रहा.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: 10 साल की उम्र में दो किताबें लिख चुकी नन्ही राइटर...मिलिए जयपुर की रिशिका कासलीवाल से

जानकारी के मुताबिक वीआईपी गेस्ट हाउस को बनाने में जिस तरह से पैसा खर्च किया गया. उस कदर उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. वन विभाग खुद गेस्ट हाउस को चलाने से बैकफुट पर आ गया. वन विभाग ने गेस्ट हाउस को चलाने के लिए पीपीपी मोड पर देने का भी निर्णय किया और इस काम के लिए टेंडर भी किया गया था. उसमें भी विभाग की उम्मीदों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब किसी ने भी इसे लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.

पर्यटकों की बांट जोह रहा हाथी गांव का वीआईपी गेस्ट हाउस

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: फैशन के दौर में पिछड़ता खादी..आज भी यूथ को रास नहीं आती

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया था. वन विभाग के डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि हाथी गांव में बने वीआईपी गेस्ट के लिए टेंडर जारी किया गया था. लेकिन किसी भी फर्म ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. गेस्ट हाउस की मार्केटिंग कर टूरिस्ट लाने का काम विभाग के बजाय संबंधित फील्ड के लोग ही बेहतर कर सकते हैं. लेकिन अब वन विभाग फिर से गेस्ट हाउस को टेंडर पर देने की तैयारी कर रहा है. अब देखना होगा कि वन विभाग की यह कोशिश कब तक रंग लाती है.

जयपुर. वन विभाग ने डेढ़ साल पहले हाथी गांव में करीब 70 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस बनाया था. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गेस्ट हाउस को रंग बिरंगी पेंटिंग और खूबसूरत रंगों से सजाया गया. गेस्ट हाउस में फाइव स्टार होटल की तरह चार कमरे बनाए गए. कमरों को लग्जरी बेड और खूबसूरत पेंटिंग बनवाई गई. इन कमरों का किराया 5 हजार रुपये प्रति कमरा तय किया गया. लेकिन वन विभाग का गेस्ट हाउस अभी भी पर्यटकों का इंतजार कर रहा है. गेस्ट हाउस को बने डेढ़ साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन उसमें कोई गेस्ट आने में रूचि नहीं दिखा रहा.

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जानकारी के मुताबिक वीआईपी गेस्ट हाउस को बनाने में जिस तरह से पैसा खर्च किया गया. उस कदर उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. वन विभाग खुद गेस्ट हाउस को चलाने से बैकफुट पर आ गया. वन विभाग ने गेस्ट हाउस को चलाने के लिए पीपीपी मोड पर देने का भी निर्णय किया और इस काम के लिए टेंडर भी किया गया था. उसमें भी विभाग की उम्मीदों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब किसी ने भी इसे लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.

पर्यटकों की बांट जोह रहा हाथी गांव का वीआईपी गेस्ट हाउस

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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया था. वन विभाग के डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि हाथी गांव में बने वीआईपी गेस्ट के लिए टेंडर जारी किया गया था. लेकिन किसी भी फर्म ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. गेस्ट हाउस की मार्केटिंग कर टूरिस्ट लाने का काम विभाग के बजाय संबंधित फील्ड के लोग ही बेहतर कर सकते हैं. लेकिन अब वन विभाग फिर से गेस्ट हाउस को टेंडर पर देने की तैयारी कर रहा है. अब देखना होगा कि वन विभाग की यह कोशिश कब तक रंग लाती है.

Intro:जयपुर
एंकर- वन विभाग ने डेढ़ साल पहले हाथी गांव में करीब 70 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस बनाया था। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गेस्ट हाउस को रंग बिरंगी पेंटिंग को और खूबसूरत रंगों से सजाया गया। गेस्ट हाउस में फाइव स्टार होटल की तरह चार कमरे बनाए गए। कमरों को लग्जरी बेड और खूबसूरत पेंटिंग से सजाया गया है। इन कमरों का किराया 5 हजार रुपये प्रति कमरा तय किया गया। लेकिन वन विभाग का गेस्ट हाउस अभी भी पर्यटकों का इंतजार कर रहा है। गेस्ट हाउस को बने डेढ़ साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन उसमें सिर्फ कबूतरों की आवाजें ही सुनाई देती है।


Body:वीआईपी गेस्ट हाउस को बनाने में जिस तरह से पैसा खर्च किया गया उस कदर उसका उपयोग नहीं हो पा रहा। वन विभाग खुद गेस्ट हाउस को चलाने से बैकफुट पर आ गया। वन विभाग ने गेस्ट हाउस को चलाने के लिए पीपीपी मोड पर देने का भी निर्णय किया और इस काम के लिए टेंडर भी किया गया था। उसमें भी विभाग की उम्मीदों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब किसी ने भी इसे लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया था। वन विभाग के डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि हाथी गांव में बने वीआईपी गेस्ट के लिए टेंडर जारी किया गया था। लेकिन किसी भी फर्म ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। गेस्ट हाउस की मार्केटिंग कर टूरिस्ट लाने का काम विभाग के बजाय संबंधित फील्ड के लोग ही बेहतर कर सकते हैं।






Conclusion:वन विभाग फिर से गेस्ट हाउस को टेंडर पर देने की तैयारी कर रहा है। अब देखना होगा कि वन विभाग की यह कोशिश कब तक रंग लाती है।

बाईट- सुदर्शन शर्मा, डीएफओ, वन विभाग जयपुर

पीटीसी- उमेश सैनी

Last Updated : Aug 26, 2019, 1:36 AM IST
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