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M.ED डिग्रीधारी युवाओं के लिए सरकारी नौकरी नहीं, फैकल्टी के अभाव में पांच B.ED कॉलेज भी बंद - राजस्थान बीएड कॉलेज

राजस्थान में शिक्षा विषय के साथ एमएड डिग्री, नेट और पीएचडी करने वाले बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरी का कोई विकल्प नहीं है. इसके साथ ही फैकल्टी के अभाव में राजस्थान के पांच सरकारी बीएड कॉलेज भी बंद हो गए हैं.

राजस्थान में सरकारी नौकरी, government jobs in rajasthan
फैकल्टी के अभाव में पांच बीएड कॉलेज भी बंद
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Published : Aug 17, 2021, 3:23 PM IST

Updated : Aug 17, 2021, 4:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान में शिक्षा विषय के साथ एमएड डिग्री, नेट और पीएचडी करने वाले बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरी का कोई विकल्प नहीं है. इसका प्रमुख कारण शिक्षा विषय का कैडर नहीं होना है.

पढ़ेंः मनमाने अफसरों के खिलाफ एक्शन शुरू, तबादले के बाद भी ज्वाइन नहीं करने वाले 40 RAS अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी

इसके साथ ही फैकल्टी के अभाव में राजस्थान के पांच सरकारी बीएड कॉलेज भी बंद हो गए हैं. ऐसे में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों ने अब शिक्षा विषय का कैडर बनाने की मांग तेज कर दी है. उन्होंने दसवीं-बाहरवीं से ही शिक्षा विषय को भी कोर्स में शामिल करने की गुहार लगाई है.

फैकल्टी के अभाव में पांच बीएड कॉलेज भी बंद

एमएड डिग्रीधारी डॉ. प्रशांत का कहना है कि राजस्थान के इतिहास में आजादी के बाद से 74 साल में आज तक शिक्षा विषय में किसी भी तरीके की कोई सरकारी भर्ती नहीं निकली है. क्योंकि राजाथान में शिक्षा विषय बीएड में ही पहली बार इंट्रोड्यूस होता है. जबकि देश के करीब 17 राज्यों में 11वीं कक्षा से ही शिक्षा विषय ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल है.

उनका कहना है कि आरपीएससी की स्कूल व्याख्याता और कॉलेज व्याख्याता भर्ती सहित अन्य किसी भी भर्ती में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगार आवेदन नहीं कर सकते हैं. प्रदेश में उपखंड मुख्यालयों पर सरकारी कॉलेज खुले हुए हैं. वहां समाज के गरीब तबके के बच्चों के लिए सरकार इंटीग्रेटेड बीएड कॉलेज शुरू कर सकती है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. पांच सरकारी बीएड कॉलेज खोले गए थे. वो भी नियमों और फैकल्टी के अभाव में बंद हो गए हैं.

ऐसे में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों के पास निजी बीएड कॉलेज में ही नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं. जहां बहुत कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है. सरकारी डाइट में भी लगातार डेपुटेशन पर शिक्षा विभाग से कर्मचारियों को लगाया जा रहा है. स्कूल में लगे व्याख्याताओं को ही डाइट में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है. जबकि निजी कॉलेजों पर लागू नियम कायदे ही सरकारी डाइट पर भी लागू होते हैं. उनकी मांग है कि डाइट में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों के लिए नौकरी के अवसर मुहैया करवाए जाने चाहिए.

पढ़ेंः चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- आवश्यकता के अनुरूप नहीं मिल रही राजस्थान को वैक्सीन

हर साल हजारों युवा करते हैं एमएड कोर्सउनका कहना है कि सरकारी विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों से हर साल हजारों युवा एमएड की डिग्री लेकर निकलते हैं. शिक्षा विषय में पीएचडी और नेट करते हैं, लेकिन नौकरी के अवसर नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में निजी बीएड कॉलेजों में कम वेतन पर काम करना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विषय का कैडर बनाने और दसवीं-बाहरवीं कक्षा से शिक्षा विषय भी कोर्स में शामिल करने की मांग की है.

जयपुर. राजस्थान में शिक्षा विषय के साथ एमएड डिग्री, नेट और पीएचडी करने वाले बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरी का कोई विकल्प नहीं है. इसका प्रमुख कारण शिक्षा विषय का कैडर नहीं होना है.

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इसके साथ ही फैकल्टी के अभाव में राजस्थान के पांच सरकारी बीएड कॉलेज भी बंद हो गए हैं. ऐसे में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों ने अब शिक्षा विषय का कैडर बनाने की मांग तेज कर दी है. उन्होंने दसवीं-बाहरवीं से ही शिक्षा विषय को भी कोर्स में शामिल करने की गुहार लगाई है.

फैकल्टी के अभाव में पांच बीएड कॉलेज भी बंद

एमएड डिग्रीधारी डॉ. प्रशांत का कहना है कि राजस्थान के इतिहास में आजादी के बाद से 74 साल में आज तक शिक्षा विषय में किसी भी तरीके की कोई सरकारी भर्ती नहीं निकली है. क्योंकि राजाथान में शिक्षा विषय बीएड में ही पहली बार इंट्रोड्यूस होता है. जबकि देश के करीब 17 राज्यों में 11वीं कक्षा से ही शिक्षा विषय ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल है.

उनका कहना है कि आरपीएससी की स्कूल व्याख्याता और कॉलेज व्याख्याता भर्ती सहित अन्य किसी भी भर्ती में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगार आवेदन नहीं कर सकते हैं. प्रदेश में उपखंड मुख्यालयों पर सरकारी कॉलेज खुले हुए हैं. वहां समाज के गरीब तबके के बच्चों के लिए सरकार इंटीग्रेटेड बीएड कॉलेज शुरू कर सकती है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. पांच सरकारी बीएड कॉलेज खोले गए थे. वो भी नियमों और फैकल्टी के अभाव में बंद हो गए हैं.

ऐसे में एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों के पास निजी बीएड कॉलेज में ही नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं. जहां बहुत कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है. सरकारी डाइट में भी लगातार डेपुटेशन पर शिक्षा विभाग से कर्मचारियों को लगाया जा रहा है. स्कूल में लगे व्याख्याताओं को ही डाइट में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है. जबकि निजी कॉलेजों पर लागू नियम कायदे ही सरकारी डाइट पर भी लागू होते हैं. उनकी मांग है कि डाइट में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एमएड डिग्रीधारी बेरोजगारों के लिए नौकरी के अवसर मुहैया करवाए जाने चाहिए.

पढ़ेंः चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- आवश्यकता के अनुरूप नहीं मिल रही राजस्थान को वैक्सीन

हर साल हजारों युवा करते हैं एमएड कोर्सउनका कहना है कि सरकारी विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों से हर साल हजारों युवा एमएड की डिग्री लेकर निकलते हैं. शिक्षा विषय में पीएचडी और नेट करते हैं, लेकिन नौकरी के अवसर नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में निजी बीएड कॉलेजों में कम वेतन पर काम करना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विषय का कैडर बनाने और दसवीं-बाहरवीं कक्षा से शिक्षा विषय भी कोर्स में शामिल करने की मांग की है.

Last Updated : Aug 17, 2021, 4:15 PM IST
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