जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने फर्जी फर्म में ट्रांजेक्शन दिखाकर अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने वाले आरोपी अरुण शर्मा को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरोपी का कृत्य देश की अर्थव्यवस्था को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला अपराध है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.
आरोपी की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि वह गत 22 फरवरी को गिरफ्तार होने के बाद न्यायिक अभिरक्षा मेंं चल रहा है. प्रकरण में प्रार्थी के खिलाफ मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान नहीं है. प्रकरण में विभाग की ओर से परिवाद पेश किया जा चुका है, ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.
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जिसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि आरोपी को पूर्व में डीजे कोर्ट ने भी जमानत देने से इनकार कर दिया था. आरोपी ने अब परिवाद पेश होने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया है, लेकिन अपराध की प्रकृति को देखते हुए उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.
विधानसभा क्षेत्र से बाहर तबादला करने के आदेश पर रोक, पंचायती राज विभाग को नोटिस जारी...
जोधपुर. पंचायती राज निदेशक ने राज्य स्तर पर 74 ग्राम विकास अधिकारियों के स्थानांतरण बिना किसी प्रशासनिक व्यवस्था के जारी करते हुए कुछ ग्राम विकास अधिकारियों को विधानसभा क्षेत्र के बाहर स्थानांतरित करने का आदेश संबंधित जिला परिषदों को दिये थे. वहीं, कुछ ग्राम विकास अधिकारियों को एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत में भी स्थानांतरण कर दिये थे. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थानांतरण के लिए जारी आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को राहत दी है.
बोरी मादा ग्राम पंचायत जिला पाली के ग्राम विकास अधिकारी भैरूलाल जाट ने अधिवक्ता खेत सिंह राजपुरोहित के जरिये याचिका पेश कर स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी. याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता को मारवाड़ जंक्शन विधानसभा क्षेत्र से बाहर स्थानांतरण करने का आदेश पारित किया गया, जिसकी पालना में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद पाली ने उसे पंचायत समिति बाली में स्थानांतरित कर दिया.
याचिका में अधिवक्ता राजपुरोहित ने तर्क दिया कि स्थानांतरण आदेश पंचायत राज नियम के विरुद्ध है तथा विधानसभा क्षेत्र से बाहर स्थानांतरण करने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है. स्थानांतरण आदेश में पद स्थापन स्थान का भी वर्णन नहीं किया हुआ है, जो विधिक सिद्धान्त के विरुध है. याचिका पर सुनवाई के बाद अवकाशकालीन न्यायाधीश रामेश्वर व्यास ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए स्थानांतरण आदेशों पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है.