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किसानों का आंदोलन आजादी की दूसरी लड़ाई, सभी किसान इसमें लें भाग: किसान नेता रामपाल जाट

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Published : Dec 1, 2020, 7:19 AM IST

केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में भाग लेने के लिए किसान महापंचायत की ओर से आह्वान किया गया है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने इसे आजादी की दूसरी लड़ाई बताते हुए आह्वान किया है.

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कृषि कानून पर बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से लाई गई कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में भाग लेने के लिए किसान महापंचायत की ओर से किसानों से आह्वान किया गया है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि किसानों की ओर से किया जा रहा आंदोलन आजादी की दूसरी लड़ाई है.

कृषि कानून पर बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट

इसमें भागीदारी के लिए राजस्थान से किसानों का जंतर–मंतर पर कूच निरंतर चालू है. साथ ही उन्होंने कहा कि इसी क्रम में 2 दिसंबर को शाहजहांपुर हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर किसान एकत्रित होकर दिल्ली कूच करेंगे. जाट ने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के पूरे दाम के लिए किसान केंद्रित कृषि आधारित विकास का प्रारूप अपरिहार्य है और निवेश आधारित विकास के प्रारूप पर विराम आवश्यक है.

इसी दिशा में बढ़ने के लिए केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी दाम दिलाने की दिशा में पहल करनी चाहिए. रामपाल जाट ने बताया कि किसान महापंचायत पिछले एक दशक से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बिक्री को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह संघर्ष दूदू से शुरू होकर संपूर्ण देश में पहुंच गया और इसे ऋण मुक्ति के मंत्र के रूप में माना जा रहा है.

पढ़ें: शहरी स्वास्थ्य केंद्र की उपयोगिता हुई साबित...कोरोना काल में बने चिकित्सा विभाग की रीढ़

जाट ने बताया कि 10 साल पहले राजस्थान के दूदू से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ग्राम स्तर पर, वर्षभर दाने-दाने की खरीद की गारंटी का कानून बनाने के लिए संघर्ष शुरू हुआ था. उसी में से किसानों की सुनिश्चित आय व मूल्य का अधिकार विधेयक 2012 का प्रारूप तैयार हुआ है. जिसका प्रमुख नारा पूरा मोल– घर में तौल का आगाज हुआ. इस आंदोलन को देश भर में पहुंचाने के लिए किसान संगठनों के विभिन्न समूहों में चर्चा के उपरांत सर्वसम्मति बनाने का काम चला.

जिसका आधार सीकर की कार्यशाला में 'किसान खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है” का उद्घोष किया गया. जाट ने कहा कि इसकी क्रियान्विति का प्रमुख नारा खुशहाली के दो आयाम – ऋणमुक्ति और पूरे दाम' की देश भर में गूंज हुई. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए किसान विरोधी कानूनों के विरोध में देश भर के किसान आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र सरकार किसानों की आवाज सुनने के बजाय उसे दबाने पर उतारू है.

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से लाई गई कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में भाग लेने के लिए किसान महापंचायत की ओर से किसानों से आह्वान किया गया है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि किसानों की ओर से किया जा रहा आंदोलन आजादी की दूसरी लड़ाई है.

कृषि कानून पर बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट

इसमें भागीदारी के लिए राजस्थान से किसानों का जंतर–मंतर पर कूच निरंतर चालू है. साथ ही उन्होंने कहा कि इसी क्रम में 2 दिसंबर को शाहजहांपुर हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर किसान एकत्रित होकर दिल्ली कूच करेंगे. जाट ने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के पूरे दाम के लिए किसान केंद्रित कृषि आधारित विकास का प्रारूप अपरिहार्य है और निवेश आधारित विकास के प्रारूप पर विराम आवश्यक है.

इसी दिशा में बढ़ने के लिए केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी दाम दिलाने की दिशा में पहल करनी चाहिए. रामपाल जाट ने बताया कि किसान महापंचायत पिछले एक दशक से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बिक्री को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह संघर्ष दूदू से शुरू होकर संपूर्ण देश में पहुंच गया और इसे ऋण मुक्ति के मंत्र के रूप में माना जा रहा है.

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जाट ने बताया कि 10 साल पहले राजस्थान के दूदू से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ग्राम स्तर पर, वर्षभर दाने-दाने की खरीद की गारंटी का कानून बनाने के लिए संघर्ष शुरू हुआ था. उसी में से किसानों की सुनिश्चित आय व मूल्य का अधिकार विधेयक 2012 का प्रारूप तैयार हुआ है. जिसका प्रमुख नारा पूरा मोल– घर में तौल का आगाज हुआ. इस आंदोलन को देश भर में पहुंचाने के लिए किसान संगठनों के विभिन्न समूहों में चर्चा के उपरांत सर्वसम्मति बनाने का काम चला.

जिसका आधार सीकर की कार्यशाला में 'किसान खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है” का उद्घोष किया गया. जाट ने कहा कि इसकी क्रियान्विति का प्रमुख नारा खुशहाली के दो आयाम – ऋणमुक्ति और पूरे दाम' की देश भर में गूंज हुई. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए किसान विरोधी कानूनों के विरोध में देश भर के किसान आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र सरकार किसानों की आवाज सुनने के बजाय उसे दबाने पर उतारू है.

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