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कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य सरकार को दिया नोटिस - Jaipur News

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने इस घटना को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह संज्ञान लिया है.

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, National Human Rights Commission
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
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Published : Jan 3, 2020, 10:37 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 10:47 PM IST

जयपुर. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने इस घटना को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह संज्ञान लिया है.

बच्चों की मौत मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

राजस्थान के मुख्य सचिव को आयोग की ओर से नोटिस जारी कर मांगी गई रिपोर्ट में पूछा गया है कि बच्चों की मौत रोकने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए. वहीं, इस तरह की घटना भविष्य में ना हो इसके लिए आयोग ने अस्पतालों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है. आयोग ने कहा है कि अगर मीडिया में आई खबरें सही है तो यह मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और बच्चों की इस तरह दर्दनाक मौत आयोग के लिए गंभीर विषय है.

पढ़ें- जेके लोन अस्पताल पहुंचे मंत्री रघु शर्मा, भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता हुए आमने-सामने

आयोग ने कहा है कि नागरिकों को बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार का कर्तव्य है और सरकार इसके लिए बाध्य है. आयोग ने अपने आदेश में मीडिया में आई उन खबरों का हवाला भी दिया जिसमें कहा गया है कि अस्पताल के 50% से ज्यादा उपकरण खराब पड़े हैं.

साथ ही अस्पताल में सफाई व्यवस्था भी बदहाल है. इतना ही नहीं आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है. आयोग ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया है जिसमें सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछले सालों की बजाय इस बार मौतों का आंकड़ा कम रहा है.

जयपुर. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने इस घटना को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह संज्ञान लिया है.

बच्चों की मौत मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

राजस्थान के मुख्य सचिव को आयोग की ओर से नोटिस जारी कर मांगी गई रिपोर्ट में पूछा गया है कि बच्चों की मौत रोकने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए. वहीं, इस तरह की घटना भविष्य में ना हो इसके लिए आयोग ने अस्पतालों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है. आयोग ने कहा है कि अगर मीडिया में आई खबरें सही है तो यह मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और बच्चों की इस तरह दर्दनाक मौत आयोग के लिए गंभीर विषय है.

पढ़ें- जेके लोन अस्पताल पहुंचे मंत्री रघु शर्मा, भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता हुए आमने-सामने

आयोग ने कहा है कि नागरिकों को बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार का कर्तव्य है और सरकार इसके लिए बाध्य है. आयोग ने अपने आदेश में मीडिया में आई उन खबरों का हवाला भी दिया जिसमें कहा गया है कि अस्पताल के 50% से ज्यादा उपकरण खराब पड़े हैं.

साथ ही अस्पताल में सफाई व्यवस्था भी बदहाल है. इतना ही नहीं आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है. आयोग ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया है जिसमें सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछले सालों की बजाय इस बार मौतों का आंकड़ा कम रहा है.

Intro:कोटा जेकेलोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में मांगी विस्तृत रिपोर्ट

जयपुर (इंट्रो)
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इस घटना को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह संज्ञान लिया है।

राजस्थान के मुख्य सचिव को आयोग की ओर से नोटिस जारी कर मांगी गई रिपोर्ट में पूछा गया है कि बच्चों की मौत रोकने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए। वहीं इस तरह की घटना भविष्य में ना हो इसके लिए आयोग ने अस्पतालों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। आयोग ने कहा है कि अगर मीडिया में आई खबरें सही है तो यह मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और बच्चों की इस तरह दर्दनाक मौत आयोग के लिए गंभीर विषय है। आयोग ने कहा है कि नागरिकों को बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार का कर्तव्य है और सरकार इसके लिए बाध्य है। आयोग ने अपने आदेश में मीडिया में आई उन खबरों का हवाला भी दिया जिसमें कहा गया है कि अस्पताल के 50% से ज्यादा उपकरण खराब पड़े हैं। साथ ही अस्पताल में सफाई व्यवस्था भी बदहाल है। इतना ही नहीं आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है। आयोग ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया है जिसमें सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछले सालों की बजाय इस बार मौतों का आंकड़ा कम रहा है।

नोट- इस खबर मैं वॉइस ओवर नहीं कर सकता क्योंकि ना तो राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के विजुअल मेरे पास है और ना ही कोटा के जेके लोन अस्पताल के विजुअल मेरे पास है। इसलिए इस खबर में कोटा के आए विजुअल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के यदि कोई विजुअल हो तो इस्तेमाल करते हुए डेस्क से ही वॉइसओवर करवाकर खबर चलाई जाए।


Body:note- इस खबर मैं वॉइस ओवर नहीं कर सकता क्योंकि ना तो राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के विजुअल मेरे पास है और ना ही कोटा के जेके लोन अस्पताल के विजुअल मेरे पास है। इसलिए इस खबर में कोटा के आए विजुअल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के यदि कोई विजुअल हो तो इस्तेमाल करते हुए डेस्क से ही वॉइसओवर करवाकर खबर चलाई जाए।


Conclusion:
Last Updated : Jan 3, 2020, 10:47 PM IST
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