जयपुर. प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार तमाम कदम उठा रही है लेकिन बावजूद इसके इंजेक्शन की कालाबाजारी बढ़ती जा रही है. ऐसे में अब चिकित्सा विभाग ने इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं.
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ऐसे में अब प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना वार्ड में प्रतिदिन भेजे जाने वाले इंजेक्शन पर अब संबंधित मरीज का नाम, आईपीडी नंबर एवं तिथि अंकित कर नर्सिंग स्टॉफ को दिया जाएगा. साथ ही इंजेक्शन के लगने के बाद इनके आउटर कार्टन समेत खाली वॉयल को अस्पताल पर नियुक्त नोडल ऑफिसर से वेरिफिकेशन के बाद पूर्णतया नष्ट करवाया जाएगा ताकि इनकी चोरी या दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सके.
चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से मरीजों के अटेन्डेन्ट को व्यक्तिगत रूप से इंजेक्शन खरीदकर लाने के लिए भी प्रिस्क्रिप्शन नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के उपयोग के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद की प्रक्रिया अब केवल अस्पताल के स्तर पर ही की जाएगी.
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उन्होंने कहा कि इससे न केवल कालाबाजारी बल्कि इंजेक्शंस के दुरुपयोग पर भी रोक लगेगी. महाजन ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के निर्देश पर अस्पतालों में दवाओं की कालाबाजारी रोकने व निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली को जांचने के लिए बनाई टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. टीम ने गुरुवार को सीके बिडला हॉस्पिटल का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि अस्पताल के नावेद अहमद की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पकड़ा गया था. उन्होंने बताया कि अस्पताल ने उसके पास रेमडेसिविर इंजेक्शन प्राप्त होने की कोई जानकारी नहीं होना बताया.
औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने नावेद से संबंधित प्रकरण में अग्रिम अनुसंधान के लिए संबंधित पुलिस थाना को सूचना देने की कार्रवाई की गई. टीम ने मौके पर अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टॉक वैरीफाई किया गया. शर्मा ने बताया कि आरयूएचएस कोविड सेन्टर की तथ्यात्मक रिपोर्ट इंचार्ज डॉ. अजीत सिंह से मंगवाई जाएगी.