जयपुर. राजधानी जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ओमप्रकाश माथुर ने 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर रैली में कांग्रेस के शामिल होने पर सवाल उठाया है. माथुर का कहना है कि पिछले दिनों राजस्थान के अलग-अलग जिलों में भी केंद्रीय कृषि कानून को लेकर कांग्रेस के नेता गए थे और बैठकर कई सभाएं भी की थी. लेकिन उसका क्या फायदा हुआ. बल्कि उल्टा पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा.
माथुर के मुताबिक यदि वास्तव में एक किसान आंदोलन होता तो केवल पंजाब और हरियाणा सहित कुछ एक जगह के ही लोग इस आंदोलन में न दिखाई देते. हिंदुस्तान में दूसरी जगह इस तरह का कोई आंदोलन हो ही नहीं रहा, इसलिए इसे किसान आंदोलन कहना गलत होगा.
'मैं भी हूं किसान'
माथुर ने कहा कि मैं खुद किसान हूं और यदि इन कृषि कानून को मैं देखूं तो यह किसानों के हित में है. इसमें मंडी शुल्क बचेगा और किसानों को अपने माल को कहीं पर भी बेचने की आजादी होगी. माथुर के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और एमएसपी को लेकर विपक्षी दल किसानों में माहौल बनाते हैं. लेकिन जो माहौल बना रहे हैं, वह गलत है. क्योंकि यह कानून किसानों की आय बढ़ाने वाला है और किसान अपना हित समझते भी हैं.
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गौरतलब है कि 26 जनवरी को आंदोलनरत किसान संगठनों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की है. कांग्रेस ने भी उसका समर्थन देते हुए इसमें शामिल होने की बात कही है. यही कारण है कि बीजेपी नेता ओमप्रकाश माथुर इस आंदोलन को किसानों का आंदोलन मानते ही नहीं और इसके पीछे कई तर्क भी दे रहे हैं.