जयपुर. उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक 2021 की चर्चा में भाग लेते हुए नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने न्यायपालिका में न्यायाधीशों के पद पर (MP hanuman beniwal raised issue reservation in judiciary) ओबीसी, दलित व पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व की मांग उठाई है.
विधानपालिका और कार्यपालिका में आरक्षण है तो न्यायपालिका में क्यों नहीं?
सांसद ने कहा की दलित, आदिवासी, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की बात नहीं सुनी जाती. उन्हें न्याय नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के दो स्तंभ विधानपालिका और कार्यपालिका में आरक्षण है तो न्यायपालिका में क्यों नहीं? कॉलेजियम पद्धति में न्यायाधीश ही न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. देश में संविधान का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बनी यह संस्था अपने यहां नियुक्तियों पर एकाधिकार क्यों चाहती है? क्या कारण है कि आरक्षण जैसी समावेशी व्यवस्था को न्यायपालिका में तरजीह नहीं दी गई?
अदालतों में करोड़ों मामले लंबित
उन्होंने कहा कि बात सिर्फ आरक्षण की नहीं है, बल्कि सबके लिए अवसर होने चाहिए. उन्होंने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में 400 से अधिक रिक्तियां हैं, लेकिन वहां भी न्यायाधीशों की नियुक्ति की दिशा में कोई उल्लेखनीय पहल नहीं की गई.
यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब निचली अदालतों में करीब 3.8 करोड़, उच्च न्यायालयों में 57 लाख से अधिक और उच्चतम न्यायालय में एक लाख से अधिक मामले लंबित हैं. सांसद ने जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की सिफारिश के आधार पर उत्तरप्रदेश के आगरा तथा मेरठ के साथ ही राजस्थान के उदयपुर में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना की मांग उठाई है.
जनधन खाताधारकों से डिजिटल ट्रांजेक्शन के नाम पर शुल्क काटना न्यायोचित नहीं
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान हनुमान बेनीवाल ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के नाम पर बैंकों की ओर से जनधन खाताधारकों के गलत तरीके से काटे गए शुल्क का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने गलत रूप से काटी गई राशि लौटाने की मांग की.