जयपुर. राजधानी जयपुर के बस्सी इलाके में प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत होने का मामला सामने आया है. जच्चा-बच्चा की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया. परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों ने चिकित्सक और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. मृतक महिला 21 वर्षीय नीतू महावर की 1 साल पहले ही शादी हुई थी और यह उसकी पहली डिलीवरी थी.
सूचना पर पहुंची कानोता थाना पुलिस ने लोगों को समझाईश कर शांत करवाने का प्रयास किया. पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत करवाया. पीड़ित परिजनों की ओर से अस्पताल प्रशासन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है. पुलिस ने विनायक अस्पताल कानोता के चिकित्सक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है.
जानकारी के मुताबिक मामला राजधानी जयपुर के कानोता स्थित विनायक अस्पताल का है. गांव की मानसर खेड़ी निवासी मृतका के पति अभिषेक महावर ने बताया कि उनकी पत्नी नीतू महावर को प्रसव पीड़ा हुई थी. परिजनों ने नीतू को बस्सी सीएचसी में डिलेवरी के भर्ती करवाया, लेकिन शाम तक प्रसव नहीं होन पर हाई सेंटर पर रेफर कर दिया. परिजनों ने प्रसव पीड़िता को बस्सी सीएचसी से शाम को कानोता स्थित विनायक अस्पताल में भर्ती कराया. प्रसूता नीतू ने देर रात्रि मृत बच्चे को जन्म दिया, लेकिन परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते नवजात शिशु की मौत हुई है.
पढ़ें- सरकार के दावे फेल, थम नहीं रहे सड़क हादसे... हर साल 10 हजार से ज्यादा गंवा रहे जान
परिजनों का आरोप है नवजात शिशु के शव को परिजनों को सौंप दिया और रात्रि में ही नवजात शिशु के शव का अंतिम संस्कार करने को कह दिया. वहीं परिजनों को ब्लड लाने के लिए जगतपुरा भेज दिया. इसी दरमियान प्रसूता की भी मौत हो गई. मृतका नीतू महावर के पति ने बताया कि रात्रि करीब 2:30 बजे अस्पताल प्रशासन ने अपनी निजी एंबुलेंस से नीतू को बेहोशी हालत में बताकर जेएनयू अस्पताल रेफर कर दिया.
वहीं नीतू के पति का आरोप है कि पीड़िता की मृत्यु होने पर व्यापार का बहाना बनाकर मृत डेड बॉडी को जेएनयू अस्पताल रेफर कर दिया. जैसे ही परिजन नीतू को लेकर जेएनयू अस्पताल पहुंचे. वहां के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जेएनयू अस्पताल की मृतका ने नीतू महावर का शव रखवाया. पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया.
परिजनों ने बताया कि विनायक अस्पताल प्रशासन द्वारा 25 हजार रुपये की मांग की गई थी, जिसमें सिजेरियन डिलीवरी करवा दी जाएगी. जच्चा व बच्चा आपको स्वस्थ सौंप दिया जाएगा. जिसकी प्रथम किस्त 5000 रुपये परिजनों ने अस्पताल प्रशासन में जमा भी करवा दिए थे. घटना की सूचना पर बस्सी और कानोता थाना पुलिस के साथ बस्सी तहसीलदार प्रेम राज मीणा मौके पर पहुंचे. पुलिस ने परिजनों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.