जयपुर. उत्तर-पश्चिम रेलवे में पहली बार भारत निर्मित सबसे शक्तिशाली मालवाहक इंजन WAG-12B दौड़ा है. शुक्रवार को यह इंजन दिल्ली मंडल के पाली स्टेशन से जयपुर मंडल के रेवाड़ी स्टेशन पर पहुंचा और जयपुर मंडल के विद्युतीकृत खंड में रेवाड़ी से रींगस होते हुए मालगाड़ी को लेकर शनिवार को फुलेरा स्टेशन पहुंचा.
उत्तर-पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अभय शर्मा के अनुसार उत्तर-पश्चिम रेलवे में पहली बार 12 हजार हॉर्स पावर क्षमता वाले लोकोमोटिव (इंजन) के द्वारा मालगाड़ियों का संचालन किया जाएगा. जो भारत में निर्मित अब तक का सर्वाधिक क्षमता का लोकोमोटिव है. इस लोकोमोटिव का उत्पादन मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री और ALSTOM प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से किया गया है.
यह है खासियत
इस इंजन के साथ भारत 10 हज़ार से ज्यादा हॉर्स पावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का 6वां देश बन गया है. इस इंजन की मालवाहक क्षमता पूर्ववर्ती WAG-9 से दोगुनी है. इस लोकोमोटिव को 100 किलोमीटर प्रति घंटा सामान्य गति और 120 किलोमीटर प्रति घंटा गति से अपग्रेड करके चलाया जा सकता है. इस प्रकार की उच्च हॉर्स पावर के लोकोमोटिव भारतीय रेलवे में माल गाड़ियों की औसत गति भारवाहक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होंगे.
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WAG-I2B लोकोमोटिव एक 3 फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है. जिसमें ऊर्जा संरक्षण के लिए रिजेनरेटिव ब्रैकिंग प्रणाली का उपयोग किया गया है. इस लोकोमोटिव की लम्बाई 35 मीटर है और इसमें 1000 लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के 2 एमआर टैंक लगाए गए हैं. जो लॉन्ग हॉल लोड को भी सुगमता से चलाने में सक्षम है.
अभय शर्मा के अनुसार इस लोकोमोटिव के कैब का डिजाइन अत्याधुनिक है. इसे कार्य दक्षता को संज्ञान में रखते हुए लोको पायलट के लिए काफी सुविधाजनक बनाया गया है. यह लोकोमोटिव पूर्णत वातानुकूलित है और केंद्रीकृत न्युमेटिक पैनल लगाया गया है. इस लोकोमोटिव की विश्वसनीयता अधिक है, क्योंकि यह 2 लोकोमोटिव (एक मास्टर लोको और एक स्लेव लोको) से मिलकर बना है. मास्टर लोको में किसी तरह की खराबी की परिस्थिति में स्लेव लोको की पावर से कार्य किया जा सकता है. जिससे लोकोमोटिव बदलने की आवयकता नहीं पड़ती है.
उच्च स्तरीय भारवाहक क्षमता
ग्रेडीयंट (चढाई वाले) सेक्शनों में इसकी भारवाहक क्षमता उच्च स्तरीय है. 1:150 के ग्रेडीयंट पर 6000 टन लोड बगैर बैंकर लोको लगाए मालगाड़ी चलाई जा सकती है. दोनों लोको (मास्टर और स्लेव लोको) में जाने के लिए अन्दर से ही रास्ता बनाया गया है. जिससे लोको पायलट को लोकोमोटिव (इंजन) से नीचे नहीं उतरना पड़ता है, जिससे ट्रबल शूटिंग में लोको पायलट को सुगमता रहती है.
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लोकोमोटिव का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि केब से ही लोकोपायलट सभी ऑपरेशन कर सकता है. किसी प्रकार का फाल्ट आने पर ट्रबल शूटिंग केब में ही बैठकर किया जा सकता है. एक लोको केब से दूसरा लोको आइसोलेट (बंद/न्यूट्रल) किया जा सकता है. लोड कम होने की दशा में एक लोको को आइसोलेट कर एक लोको से ही कार्य किया जा सकता है. लोकोमोटिव का ट्रॅक्टिव एफर्ट 706 किलो न्यूटन है. जो उच्च होने के कारण स्टालिंग होने की संभावना कम रहती है.