जयपुर. प्रदेश में कोरोना का कहर भले ही थमने लगा है लेकिन इसका दंश झेल चुके परिवारों के घाव अब तक हरे हैं. इन घावों पर सरकार की नीतियां मलहम के बजाय नमक छिड़कने का काम कर रही है. फ्रंटलाइन वर्करों की कोरोना से मौत के बाद उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देने के वादे खोखले साबित हो रहे हैं. बिजली कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों की कोराना से पर कर्मचारियों के परिवार को न तो सरकारी वादे के अनुरूप 50 लाख रुपये की सहायता मिली और न ही मिलने की उम्मीद है. इससे बिजली संगठनों और कर्मचारियों में सरकार के प्रति नाराजगी है.
नहीं मिल पाई अनुग्रह राशि
दरअसल कोरोना की पहली लहर के दौरान ही प्रदेश सरकार ने कोविड-19 में कर्मचारी की मौत होने पर 50 लाख की सहायता का आदेश दिया था. इसके लिए बकायदा आदेश भी जारी किया गया कि एक्स ग्रेशिया और अनुग्रह राशि के रूप में यह सहायता दी जाएगी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में जब काफी संख्या में कर्मचारियों की मौत हुई तब सरकार के इस वादे का लाभ उनके परिवारों को नहीं मिल सका. सरकारी क्षेत्र की पांच बिजली कंपनियों में ही 80 से ज्यादा कर्मचारियों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई लेकिन पीड़ित परिवार को 50 लाख की अनुग्रह राशि सहायता के रूप में नहीं मिल पाई. जिससे कर्मचारी संगठनों में भी रोष है.
फ्रंटलाइन वर्कर मानने को लेकर असमंजस
दरअसल पिछले साल सरकार ने एक आदेश जारी कर दिया था जिसके बाद बोर्ड और निगमों को अपने स्तर पर भी कुछ फैसले लेना थे. बिजली कंपनियों ने इस संबंध में फाइलें चलाईं लेकिन यह नहीं तय कर पाए कि किस कर्मचारी को फ्रंटलाइन वर्कर माने और किसे नहीं. वहीं ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला कहते हैं कि सरकार कर्मचारियों के हित में कोरोना वैक्सीनेशन के भी कैम्प लगा रही है लेकिन मृत कर्मचारी के परिजनों को अनुग्रह राशि नहीं मिल पाने के सवाल पर उन्होंने वित्त विभाग में इस प्रस्ताव के भेजे जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया.
पढ़ें: SPECIAL : तमाम जद्दोजहद के बाद भी 'दो जून की रोटी' नसीब नहीं...तस्वीर फुटपाथ पर जिंदगी की
80 कर्मचारियों की हो चुकी मौत
दरअसल सरकार के वादे के अनुरूप कोविड-19 राज्य सरकार के कर्मचारी निगम बोर्ड और संविदा कर्मचारियों के निधन पर 20 लाख रुपए एक्स ग्रेशिया व 50 लाख की अनुग्रह राशि बतौर मदद के रूप में दिए जाने का ऐलान किया गया था. कोरोना वायरस दूसरी लहर में शिक्षा चिकित्सा बिजली थान सहकारिता पुलिस और अन्य विभागों में 300 से अधिक कर्मचारियों की मौत कोरोना से हो गई जिसमें 80 कर्मचारी तो बिजली कंपनियों के ही शामिल हैं. लेकिन इनमें से कुछ को ही वादे के अनुरूप सहायता मिल पाई और बिजली कर्मचारियों में तो किसी को भी नहीं मिली. यही कारण है कि भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के अनुसार मुख्यमंत्री केवल बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन धरातल पर उसकी पालना कम ही होती है.
बिजली अति आवश्यक सेवाओं में शामिल है और कोरोना संक्रमण के दौरान बिजली कर्मियों ने अपनी सेवाएं देने में कोई कमी नहीं छोड़ी लेकिन महामारी की चपेट में आने के बाद जिन कर्मचारियों ने अपनी जान गंवाई अब उनके परिवारजनों को इंतजार है सरकार के उस वादे के पूरा होने का जो इस महामारी के दौरान कर्मचारियों से किए गए थे. वादा कब पूरा होगा इसका जवाब न तो विभाग के मंत्री के पास है न ही अधिकारियों के पास, ऐसे में कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है.
कुल 59157 स्थायी कर्मचारी कार्यरत
राजस्थान में संचालित विद्युत क्षेत्र की पांचों कंपनियों राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम, उत्पादन निगम, जयपुर डिस्कॉम, अजमेर डिस्कॉम और जोधपुर डिस्कॉम में कुल 59157 स्थाई कर्मचारी हैं. इनमें से अब तक 80 कर्मचारी कोरोना संक्रमण के चलते मौत का शिकार हो चुके हैं. वहीं 2516 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं.
बिजली कंपनियों में कुल संक्रमित कर्मचारी
राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम
कुल कर्मचारी 8264
कोरोना पॉजिटिव हुए 367 से अधिक
कोरोना से हुई मौतें -14 से अधिक
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम
कुल कर्मचारी- 3942
कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी- 234
कोरोना से मौत- 6 से अधिक
जयपुर डिस्कॉम
कुल कर्मचारी -18229
कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी -806 से अधिक
कोरोना से हुई मौत- 15 से अधिक
अजमेर डिस्कॉम
कुल कर्मचारी -14577
कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी -644 से अधिक
कोरोना से हुई मौत -15 से अधिक
जोधपुर डिस्कॉम
कुल कर्मचारी -14144
कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी -465 से अधिक
कोरोना से हुई मौत -15 से अधिक