जयपुर. मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के दौर ने कई बेजुबान पक्षियों के पर काट दिए. पतंग की डोर में फंसकर आज करीब 400 बेजुबान पक्षी घायल हो गए. करीब 50 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो गई. घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जयपुर में केवल 4 जगहों पर पक्षी उपचार केंद्र बनाए. जिसकी वजह से कई बेजुबान परिंदों को त्वरित उपचार नहीं मिल पाया.
जहां एक तरफ बर्ड फ्लू का खतरा तो वहीं दूसरी ओर पतंगबाजी भी इस बार पक्षियों के लिए ज्यादा दर्द भरी रही. घायल परिंदों के उपचार के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से शिविरों का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना बर्ड फ्लू के चलते ज्यादा शिविर लगाने की अनुमति नहीं मिली. निर्धारित चुनिंदा स्थानों पर ही पक्षी उपचार शिविर लगाए गए. पतंग की डोर से घायल होने वाले पक्षियों की काफी मौतें होती हैं. हालांकि स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से पक्षियों को उपचार देने के लिए काफी बेहतर प्रयास किए गए.
बता दें कि 13 जनवरी से 15 जनवरी तक के लिए जयपुर शहर में पक्षी उपचार शिविर लगाए गए है. पिछले सालों में पक्षियों के उपचार के लिए 50 से अधिक शिविर जयपुर शहर में लगाया जाते थे, लेकिन इस बार बर्ड फ्लू के चलते केवल 4 जगह पर ही शिविर लगाए गए हैं. क्योंकि इंसानों में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा रहता है. इसी को देखते हुए कम शिविर लगाए गए और सावधानीपूर्वक पक्षियों को रेस्क्यू करने के लिए निर्देशित किया गया है.
इसके साथ ही आमजन से अपील की गई कि किसी को भी कोई घायल पक्षी मिले तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें. खुद की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पक्षी को छायादार स्थान पर रखे और इसके बाद जहां से ब्लड लॉस हो रहा है. उस जगह पर एंटीसेप्टिक लगाकर उस ब्लड को रोकने का प्रयास करे. घायल पक्षियों को तुरंत खाने पीने की वस्तु नहीं दे. पक्षी का जितना ब्लड कम होगा, उतनी ही बचने की संभावना ज्यादा होगी. इसके साथ ही सभी जयपुर वासियों से यह भी अपील है कि सुबह और शाम को पतंगबाजी नहीं करें. क्योंकि सुबह शाम को ही पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है.
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पक्षियों की अधिक गतिविधि के समय सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम 4 बजे से 6 बजे तक पतंग नहीं उड़ाए. एनजीओ के स्वयंसेवकों ने पीपीई किट, फेस शील्ड और उचित क्वालिटी के मास्क लगाकर पतंग की डोर से घायल पक्षियों का रेस्क्यू किया.