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स्पेशल: अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में पेंडिंग हैं 250 से अधिक मामले

प्रदेश में फैले भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए राजस्थान में ACB लगातार भ्रस्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रही है. लेकिन भ्रष्ट अफसरों की जांच पूरी होने पर विभाग की ओर से दी जाने वाली अभियोजन स्वीकृति समय पर नहीं मिलती है. जिसके चलते जांच एजेंसी कोर्ट में आरोपी के खिलाफ चालान पेश नहीं कर पाती है. प्रदेश में ऐसे करीब 250 से अधिक मामले सिर्फ इसी लिए पेंडिग चल रहे है. देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

ACB को नहीं मिल रही अभियोजन स्वीकृति, ACB is not getting prosecution approval
अभियोजन स्वीकृति का इंतजार
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Published : Dec 31, 2019, 10:58 PM IST

जयपुर. प्रदेश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राजस्थान ACB लगातार भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई कर रही है. चाहे वो प्रशासनिक स्तर का बड़ा अफसर हो या न्याय की कुर्सी पर बैठा कोई न्यायाधीश. गत वर्षों में ऐसे कई बड़े मामले रहे जिनमें ACB ने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में पेंडिंग हैं 250 से अधिक मामले

लेकिन अफसोस है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों की जांच पूरी होने पर विभाग की ओर से दी जाने वाले अभियोजन स्वीकृति समय पर नहीं दी जाती है. जिसके चलते जांच एजेंसी कोर्ट में चालान पेश नहीं कर पाती है. प्रदेश में ऐसे करीब 250 से अधिक मामले सिर्फ इसी लिए पेंडिग चल रहे है, जिनमें संबंधित विभाग से चार्ज शीट पेश करने के लिए अनुमति नहीं दी गई.

पढ़ें- 70 अधिकारियों को नए साल पर प्रमोशन का तोहफा, आज जारी होगी वरिष्ठता सूची

आय से अधिक संपत्ति का मामला हो या फिर काम के बदले मांगी जाने वाली रिश्वत का. इन सभी मामलों पर कारवाई के लिए देश के हर राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो यानी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का गठन किया गया है. ये विभाग भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करता है. राजस्थान की ACB ने भी पिछले कुछ सालों में कई बड़े अफसरों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. भ्रष्ट्राचारियों पर कार्रवाई कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया.

लेकिन ACB का मनोबल उस वक्त टूट जाता है जब उन्हें न्यायालय में चालान पेश करने के लिए संबंधित विभाग से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती. ऐसे में भ्रष्ट कमर्चारी और अधिकारी ना केवल जेल से रिहा हो जाते है. बल्कि, जिस कुर्सी पर बैठ कर वो करप्शन का ताना बाना बुनते हैं वहीं, फिर लौट कर नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं.

पढ़ें- गहलोत सरकार में फिर हुआ प्रशासनिक फेरबदल, 8 RAS अफसरों के हुए तबादले

दरअसल, किसी भी भ्रष्ट कमर्चारी और अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद ACB को न्यायालय में चालान पेश करना होता है. लेकिन ACB चालान पेश नहीं कर पा रही हैं. क्योंकि P.C. Act की धारा 19 के तहत सरकार से न्यायालय में चालान पेश करने के लिए लिखित में अनुमति लेनी पड़ती है. लेकिन विभाग की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने पर न्यायालय में चालान पेश नहीं हो पाता है और भ्रष्टाचारी बच जाता है.

अभियोजन स्वीकृति के इस काम में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों में एक जैसा हाल रहा है. 90 फीसदी मामले भाजपा सरकार के समय के है और अब एक साल से कांग्रेस की सरकार है. लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन स्वीकृति ना ही बीजेपी सरकार में मिली और ना ही अब कांग्रेस सरकार में.

जयपुर. प्रदेश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राजस्थान ACB लगातार भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई कर रही है. चाहे वो प्रशासनिक स्तर का बड़ा अफसर हो या न्याय की कुर्सी पर बैठा कोई न्यायाधीश. गत वर्षों में ऐसे कई बड़े मामले रहे जिनमें ACB ने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में पेंडिंग हैं 250 से अधिक मामले

लेकिन अफसोस है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों की जांच पूरी होने पर विभाग की ओर से दी जाने वाले अभियोजन स्वीकृति समय पर नहीं दी जाती है. जिसके चलते जांच एजेंसी कोर्ट में चालान पेश नहीं कर पाती है. प्रदेश में ऐसे करीब 250 से अधिक मामले सिर्फ इसी लिए पेंडिग चल रहे है, जिनमें संबंधित विभाग से चार्ज शीट पेश करने के लिए अनुमति नहीं दी गई.

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आय से अधिक संपत्ति का मामला हो या फिर काम के बदले मांगी जाने वाली रिश्वत का. इन सभी मामलों पर कारवाई के लिए देश के हर राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो यानी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का गठन किया गया है. ये विभाग भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करता है. राजस्थान की ACB ने भी पिछले कुछ सालों में कई बड़े अफसरों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. भ्रष्ट्राचारियों पर कार्रवाई कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया.

लेकिन ACB का मनोबल उस वक्त टूट जाता है जब उन्हें न्यायालय में चालान पेश करने के लिए संबंधित विभाग से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती. ऐसे में भ्रष्ट कमर्चारी और अधिकारी ना केवल जेल से रिहा हो जाते है. बल्कि, जिस कुर्सी पर बैठ कर वो करप्शन का ताना बाना बुनते हैं वहीं, फिर लौट कर नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं.

पढ़ें- गहलोत सरकार में फिर हुआ प्रशासनिक फेरबदल, 8 RAS अफसरों के हुए तबादले

दरअसल, किसी भी भ्रष्ट कमर्चारी और अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद ACB को न्यायालय में चालान पेश करना होता है. लेकिन ACB चालान पेश नहीं कर पा रही हैं. क्योंकि P.C. Act की धारा 19 के तहत सरकार से न्यायालय में चालान पेश करने के लिए लिखित में अनुमति लेनी पड़ती है. लेकिन विभाग की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने पर न्यायालय में चालान पेश नहीं हो पाता है और भ्रष्टाचारी बच जाता है.

अभियोजन स्वीकृति के इस काम में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों में एक जैसा हाल रहा है. 90 फीसदी मामले भाजपा सरकार के समय के है और अब एक साल से कांग्रेस की सरकार है. लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन स्वीकृति ना ही बीजेपी सरकार में मिली और ना ही अब कांग्रेस सरकार में.

Intro:जयपुर
भ्रष्ट्राचारी को बचाती सरकारें , अभियोजन स्वीकृति के इन्तजार में 250 से अधिक मामले

एंकर :- प्रदेश व्याप्त भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए हर राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का गठन किया गया , राजस्थान में एसीबी लगातार भ्रस्ट अफसरों पर करवाई कर रही है , फिर वो प्रशानिक स्तर का बड़ा अफसर हो या न्याय की कुर्शी पर बैठा कोई न्यायाधीश , पिछले गत वर्षों में ऐसे की बड़े मामले रहे जिनमे एसीबी ने भ्रष्ट अधिकारियो और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में रंगे हाथों गिरफ्तार भी किया , लेकिन अफ़सोस ऐसे भ्रस्ट फ़ैसरों की जांच पूरी होने पर विभाग द्वारा दी जाने अभियोजन स्वीकृति समय पर नहीं दी जाती , जिससे जांच एजेंसी को कोर्ट में चालान पेश नहीं करपाती , प्रदेश में ऐसे करीब 250 से अधिक मामले सिर्फ इसी लिए पेंडिग चल रहे है जिनमे संबंधित विभाग से चार्ज शीट पेश करने अनुमति नहीं दी गई ... देखिये भ्रस्ट अफसरों पर विशेष रिपोर्ट
VO:1:- आय से अधिक सम्पति का मामला हो या फिर काम के बदले मांगी जाने वाली रिश्वत का मामला , इन मामलों पर करवाई के लिए देश के हर राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो यानी भ्रस्ट्राचार निरोधक ब्यूरो का गठन किया हुआ है , ये डिपॉर्टमेंट भ्रष्ट अधिकारियो और कर्मचारियों करवाई करता है , राजस्थान की एसीबी ने भी पिछले कुछ वर्षों में कमर्चारियों के साथ कई बड़े मामलों में बड़े अफसरों को रंगे हाथों रिश्वत गिरफ्तार किया , भ्रष्ट्राचारियों पर करवाई कर उन्हें जेल की सलाखों तक भी पहुँचाया गया , लेकिन एसीबी का मनोबल उस वक्त टूट जाता है जब विभाग द्वारा करवाई करने पर न्यायालय में चालान पेश करने के लिए जब संबंधित विभाग से अभियोजन स्वीकृति मांगी जाती है तो वो नहीं मिलती है , ऐसे में भ्रस्ट्र कमर्चारी और अधिकारी ना केवल जेल से रिहा हो जाते है बल्कि जिस कुर्शी पर बैठ कर वो भ्रस्ट्राचार का ताना बाना गुनते है , वही वो लोट कर नौकरी ज्वाइन कर लेते है , जिससे एसीबी का तो मनोबल टूटता है ही साथ ही भ्रस्ट्राचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रार्थी को भी समस्यांओं का सामना करना पढता है ...
बाइट:- पूनमचंद भंडारी - हाईकोर्ट एडवोकेट
VO:2:- दरअसल किसी भी भ्रस्ट्र कमर्चारी और अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद एसीबी को अब न्यायालय में चालान पेश करना होता है , लेकिन चालान पेश नहीं कर पा रहे हैं , क्योंकि P.C. Act की धारा 19 के तहत सरकार से न्यायालय में चालान पेश करने के लिए लिखित में अनुमति लेनी पड़ती है , अगर अनुमति नहीं मिलती है तो न्यायालय में चालान पेश नहीं हो सकता और भ्रष्टाचारी बच जाता है , कानून के जानकारों की तो अनुमति इसलिए नहीं मिलती है कि नेता सिफारिश करते हैं और अनुमति देने वाले अधिकारी और नेता भ्रष्टों से मोटी रकम लेते हैं और इस प्रकार एसीबी की सारी मेहनत बेकार हो जाती है बल्कि ईमानदार जांच अधिकारी डिमोलाइज हो जाता है।
बाइट:- पूनमचंद भंडारी - हाईकोर्ट एडवोकेट
ग्राफिक्स इन >
आप को बताते है किस विभाग में कितने मामले अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में है
- राजस्व विभाग - 21 मामले
- पंचायती राज - 23 मामले
- पुलिस विभाग -15 मामले
- कारागार -1 मामला
- कृषि - 2 मामले
- जलदाय- जलग्रहण - 6 मामले
- चिकित्सा - 7 मामले
- नगरिय विकास व स्वायत्त शासन - 31 मामले
- ऊर्जा विभाग- 14 मामले
- आबकारी - 5 मामले
- सामाजिक न्याय -1मामला
- पथ परिवहन - 1मामला
- सहकारिता - 2 मामले
- शिक्षा - 9 मामले
- विश्वविद्यालय -1 मामला
- सार्वजनिक निर्माण विभाग 2 मामला
- डेयरी -1 मामले
- सूचना प्रौद्योगिकी -1 मामला
- विधिव न्याय - 3 मामले
- परिवहन - 3 मामले
- कर विभाग -1 मामला
- सांख्यिकी विभाग-1 मामला
- कोष व लेखा - 4 मामले
- गृह एवं गृह रक्षा - 2मामले
- खनिज- 2 मामले
- वन विभाग - 1 मामला
- गंगानगर शुगर-1 मामला
- श्रम एवं नियोजन (केंद्र) - 6 मामले
- बैंक-2 मामले
- नारकोटिक्स और बीमा -1- 1 मामले
- वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार -1 और 45 अन्य मामले जिनमे सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति नहीं दी।
VO:3:- अभियोजन स्वीकृति के इस काम में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों की सरकारों में एक जैसा हाल रहा , क्योंकि 90% मामले भाजपा सरकार के समय के है और अब एक साल से कांग्रेस सरकार है , लेकिन पांच में ना बीजेपी सरकार ने भ्रस्ट्राचार के खिलाफ की गई करवाई पर अभियोजन स्वीकृति दी और ना एक साल कांग्रेस की गहलोत सरकार ने दी , ऐसे में बड़ा सवाल है कि प्रदेश में सुशासन का दावा करने वाली गहलोत सर्कार आखिर इन भ्रष्ट्राचारियों को संरक्षण क्यों दे रही है ...
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