जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 का आगाज कर दिया है. जिसके बाद निगम प्रशासन कि ओर से सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म को सुदृढ़ किया जा रहा है. प्रशासन ने शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर कई कड़े फैसले लिए हैं. अब जयपुर के दोनों नगर निगम के सामने ओडीएफ कचरा संग्रहण और सेग्रीगेशन के साथ ही वेस्ट वाटर मैनेजमेंट की भी चुनौती होगी.
वहीं इस चुनौती से बड़ी चुनौती निगम के सामने अपने सिस्टम को लेकर की ही देखने को मिल जाती है. जहां विभिन्न मांगों को लेकर कभी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं, तो कभी भुगतान नहीं होने के चलते बीवीजी कंपनी कार्य बहिष्कार कर देती है. जिसका खामियाजा शहर को भुगतना पड़ता है. जिन रोडसाइड कचरा डिपो को हटाने में निगम को महीनों लग जाते हैं. इन हड़ताल के दौरान कई कचरा डिपो बढ़ जाते हैं. हाल ही में सफाई कर्मचारियों ने वेतन विसंगति दूर करने के लिए कार्य बहिष्कार किया था, नतीजा ये रहा कि शहर की सफाई व्यवस्था अब पटरी पर नहीं लौट पाई है.
हालांकि निगम प्रशासन ने अब सफाई व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग की व्यवस्था जरूर की है. हेरिटेज निगम कमिश्नर ने बताया कि शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर कई कड़े फैसले लिए गए हैं. हाल ही में हर जोन में दो-दो वॉच राइडर नियुक्त किए हैं. ये वॉच राइडर जोन में बाइक से घूमकर कचरा फैलाने वालों से पहले समझाइश करेंगे. अगर कोई बार-बार कचरा फैलाता पाया गया तो उससे जुर्माना भी वसूलेंगे.
इसके अलावा बीवीजी की मॉनिटरिंग के लिए आईटी बेस्ड टेंडर किया गया है. जो डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर पर निगरानी रखेंगे. वहीं ग्रेटर निगम एडिशनल कमिश्नर ने बताया कि मॉनिटरिंग मेकैनिज्म को सुदृढ़ किया जा रहा है, और अब एसबीएम 2.0 में दी गई गाइडलाइन की भी पूर्ण पालना कराई जाएगी.
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हाल ही में निगम में एक साथ 300 सफाई कर्मचारियों के ट्रांसफर कर दिए गए थे. ये भी सफाई श्रमिक संगठन को रास नहीं आया. कर्मचारियों के ट्रांसफर से पहले संगठन की राय लेने के आश्वासन के बाद फिलहाल कर्मचारी शांत बैठे हैं. लेकिन भविष्य में कर्मचारी कार्य बहिष्कार की राह पर उतरते हैं, तो शहर एक बार फिर कचरे के ढेर पर नजर आएगा.