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कांग्रेस का 'बरसाती' दर्द : केबिनेट विस्तार और नियुक्ति को लेकर उभरी नेताओं की टीस...संयम लोढ़ा, राजेंद्र गुढ़ा के इशारे

पुराना दर्द बरसात के मौसम में सालता है. पायलट कैम्प के विद्रोह के बाद कांग्रेस फिर से एक हुई लेकिन गाहे बगाहे दोनों कैम्प अपना दर्द बयान जरूर कर देते हैं. संयम लोढ़ा के ट्वीट और राजेंद्र गुढ़ा के धरने में ये दर्द झलक ही गया.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
कांग्रेस का 'बरसाती' दर्द
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Published : Apr 5, 2021, 4:43 PM IST

जयपुर. लंबे इंतजार के बाद भी केबिनेट एक्सपेंशन और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने का असर कांग्रेस में दिख रहा है. पायलट कैंप को मिल रहे महत्त्व से भी गहलोत कैंप के विधायकों का सब्र टूट रहा है. संयम लोढा ने किया इशारों में दुख का इज़हार किया. उधर राजेन्द्र गुढ़ा ने भी पानी को लेकर अभियंता के केबिन में धरना देते समय बोल दिया था कि क्या ये दिन देखने के लिए बचाया था सरकार को.

कांग्रेस में रह रहकर उभर रही टीस

राजस्थान में 2020 जुलाई में कांग्रेस पार्टी में हुई राजनीतिक उठापटक के समय जिन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन किया था. उनमें 10 निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सबसे ज्यादा मुखर होकर समर्थन किया था. निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों में से भी सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़े थे. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और बसपा से कांग्रेस में आए कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता है.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
संयम लोढ़ा का ताजा ट्वीट

लेकिन अब लग रहा है कि गहलोत के कट्टर समर्थकों का भी सब्र का बांध अब टूटता हुआ दिखाई दे रहा है. यही कारण है कि जहां इशारों में ही सही लेकिन निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा एक के बाद एक ऐसे ट्वीट कर रहे हैं जिनके राजनीतिक मायने प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक के साथ जोड़कर देखे जा रहे हैं. संयम लोढ़ा ने 25 मार्च को अपने ट्वीट में लिखा था कि- सांप जब तक आस्तीनों में न मारे जाएंगे, हौसला कितना भी हो जंग हारे जाएंगे.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
संजम लोढ़ा का पुराना ट्वीट

पढ़ें- विधानसभा में पायलट कैंप के विधायक ने खोला अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा, कहा- बजट में मेरे क्षेत्र को क्यों नहीं दी गई सड़कें

संयम लोढ़ा ने सोमवार को एक बार फिर ट्वीट किया जिसमें लिखा है कि- गुनहगार को इस कदर गले लगाकर माफ किया उसने, कि बेगुनाह भी चिल्ला उठे हम भी गुनहगार हैं. संयम लोढ़ा के दोनों ट्वीट देखे जाए तो माना जा रहा है कि उन्होंने सीधे पायलट कैंप को लेकर यह ट्वीट कर रहे हैं और दोनों ट्वीट में ही वह इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि राजनीतिक उठापटक के समय बाड़ाबंदी में जिस तरीके से बातें कही गयी थी उनका अमल अब तक नहीं किया जा रहा है.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
राजेंद्र गुढ़ा का धरना

विधायक राजेंद्र गुढ़ा केबिनेट एक्सपेंशन नहीं होने से पहले से ही नाराज चल रहे थे. उन्होंने कहा था कि शादी की उम्र निकल जाने के बाद शादी करने का कोई फायदा नहीं होता. जयपुर के जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में उन्होंने उदयपुरवाटी विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की मांग लेकर अधिकारी के पास गए तो मजबूरन उन्हें अधिकारी के कमरे में ही धरना देना पड़ गया. हालात यह हुई कि राजेंद्र गुढ़ा ने यहां तक कह दिया कि क्या ऐसे दिन देखने के लिए उन्होंने सरकार को बचाया था.

पढ़ें- गहलोत-पायलट के बीच अब भी नहीं है सब कुछ ठीक, पायलट कैंप के विधायकों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

राजस्थान में बीते साल जुलाई महीने में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गहलोत कैंप के विधायकों ने एक स्वर में यह कह दिया गया था कि कुछ भी हो जाए लेकिन अब जिन नेताओं ने कांग्रेस की सरकार को गिराने का प्रयास किया है उनकी कांग्रेस में कभी सम्मानजनक वापसी नही होगी और ना ही उन्हें कोई पद मिलेंगे. अब तक गहलोत का साथ देने वाले विधायकों को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिला है. न तो केबिनेट विस्तार के नाम पर और न ही नियुक्तियों के नाम पर. वहीं सचिन पायलट को फिर से तवज्जो मिलने के कारण भी गहलोत कैंप के विधायक खफा हैं.

जयपुर. लंबे इंतजार के बाद भी केबिनेट एक्सपेंशन और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने का असर कांग्रेस में दिख रहा है. पायलट कैंप को मिल रहे महत्त्व से भी गहलोत कैंप के विधायकों का सब्र टूट रहा है. संयम लोढा ने किया इशारों में दुख का इज़हार किया. उधर राजेन्द्र गुढ़ा ने भी पानी को लेकर अभियंता के केबिन में धरना देते समय बोल दिया था कि क्या ये दिन देखने के लिए बचाया था सरकार को.

कांग्रेस में रह रहकर उभर रही टीस

राजस्थान में 2020 जुलाई में कांग्रेस पार्टी में हुई राजनीतिक उठापटक के समय जिन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन किया था. उनमें 10 निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सबसे ज्यादा मुखर होकर समर्थन किया था. निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों में से भी सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़े थे. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और बसपा से कांग्रेस में आए कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता है.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
संयम लोढ़ा का ताजा ट्वीट

लेकिन अब लग रहा है कि गहलोत के कट्टर समर्थकों का भी सब्र का बांध अब टूटता हुआ दिखाई दे रहा है. यही कारण है कि जहां इशारों में ही सही लेकिन निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा एक के बाद एक ऐसे ट्वीट कर रहे हैं जिनके राजनीतिक मायने प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक के साथ जोड़कर देखे जा रहे हैं. संयम लोढ़ा ने 25 मार्च को अपने ट्वीट में लिखा था कि- सांप जब तक आस्तीनों में न मारे जाएंगे, हौसला कितना भी हो जंग हारे जाएंगे.

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संजम लोढ़ा का पुराना ट्वीट

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संयम लोढ़ा ने सोमवार को एक बार फिर ट्वीट किया जिसमें लिखा है कि- गुनहगार को इस कदर गले लगाकर माफ किया उसने, कि बेगुनाह भी चिल्ला उठे हम भी गुनहगार हैं. संयम लोढ़ा के दोनों ट्वीट देखे जाए तो माना जा रहा है कि उन्होंने सीधे पायलट कैंप को लेकर यह ट्वीट कर रहे हैं और दोनों ट्वीट में ही वह इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि राजनीतिक उठापटक के समय बाड़ाबंदी में जिस तरीके से बातें कही गयी थी उनका अमल अब तक नहीं किया जा रहा है.

Rajasthan politics,  Cabinet expansion in Rajasthan
राजेंद्र गुढ़ा का धरना

विधायक राजेंद्र गुढ़ा केबिनेट एक्सपेंशन नहीं होने से पहले से ही नाराज चल रहे थे. उन्होंने कहा था कि शादी की उम्र निकल जाने के बाद शादी करने का कोई फायदा नहीं होता. जयपुर के जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में उन्होंने उदयपुरवाटी विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की मांग लेकर अधिकारी के पास गए तो मजबूरन उन्हें अधिकारी के कमरे में ही धरना देना पड़ गया. हालात यह हुई कि राजेंद्र गुढ़ा ने यहां तक कह दिया कि क्या ऐसे दिन देखने के लिए उन्होंने सरकार को बचाया था.

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राजस्थान में बीते साल जुलाई महीने में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गहलोत कैंप के विधायकों ने एक स्वर में यह कह दिया गया था कि कुछ भी हो जाए लेकिन अब जिन नेताओं ने कांग्रेस की सरकार को गिराने का प्रयास किया है उनकी कांग्रेस में कभी सम्मानजनक वापसी नही होगी और ना ही उन्हें कोई पद मिलेंगे. अब तक गहलोत का साथ देने वाले विधायकों को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिला है. न तो केबिनेट विस्तार के नाम पर और न ही नियुक्तियों के नाम पर. वहीं सचिन पायलट को फिर से तवज्जो मिलने के कारण भी गहलोत कैंप के विधायक खफा हैं.

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