जयपुर. विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्य काल नहीं चलने से जनप्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. विधायकों का कहना है कि शून्य काल और प्रश्न काल के बिना वे जनता की समस्या सदन में नही उठा पा रहे हैं. श्रीडूंगरगढ़ से माकपा विधायक गिरधारी लाल महिया ने कहा है कि सरकार जन समस्याओं को उठाने से बचना चाहती है.
विधायक ने कहा कि सदन में इस पूरे सत्र में उन्होंने 30 प्रश्न लगाए हैं और 15 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए लेकिन सब धरे रह गए. महिया ने कहा कि विशेष उल्लेख के प्रस्ताव भी दिए गए. स्थगन प्रस्ताव पर पर्ची के माध्यम से भी जनता के मुद्दे वे उठाना चाहते थे मगर अफसोस है कि प्रश्नकाल न होने से जनता की समस्याओं को लेकर सवाल ही नहीं उठाया जा सका.
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विधायक महिया ने बताया कि सदन में तीन प्रश्न सूचीबद्ध हुए थे मगर प्रश्नकाल न होने के कारण किसानों, मजदूरों व आम जनता की आवाज सदन में नहीं उठा सके. सरकार किसी भी प्रश्न में किसी भी प्रस्ताव पर सदन में चर्चा नहीं करवाना चाहती. तीन दिन सदन चला और तीनों ही दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया. सरकार संपूर्ण कर्ज माफी के नारे के साथ सत्ता में आई थी मगर आज तक किसानों के कर्ज माफ नहीं किए गए.
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महिया ने कहा कि इस महामारी में किसानों व घरेलू उपभोक्ताओं की छह माह के बिजली के बिल माफ करने की जरूरत है. मगर सरकार ने बिजली के बिल माफ नहीं किए. दूसरी ओर भारतमाला परियोजना के अंदर केवल खेजड़ी के पेड़ पर मात्र 30 रुपये का मुआवजा देकर किसानों की जमीन को अधिग्रहीत किया जा रहा है. आरोप लगाया कि किसानों पर झूठे मुकदमे बनाए जा रहे हैं और थानों में किसान नेताओं से मारपीट की जा रही है.
टिड्डी से बर्बाद किसानों को मुआवजा देने की कोई बात सरकार कर ही नहीं रही है. इसलिए अब वे इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे और संघर्ष करेंगे. गिरधारी लाल मैया ने कहा कि सदन में जो भी जनप्रतिनिधि आवाज उठाना चाहते थे, वह अभी तक प्रश्न नहीं कर सके हैं. उन्होंने मांग कि कि संशोधन विधेयक पर भी सदन में चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिखावे के रूप में सदन को चलाया जा रहा है.