जयपुर. राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने प्रदेश सरकार और कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के दौरान जारी किए गए घोषणा पत्र के वादे को याद दिलाया. जिसमें उन्होंने राज्य में बंद पड़ी पशुओं की बीमा योजनाओं की तरफ ध्यान आकर्षित किया. शून्यकाल में लोढ़ा ने स्थगन के जरिए इस मामले को उठाया. जिस पर पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने जल्द ही इन योजनाओं को शुरू करने की बात कही.
लालचंद कटारिया ने यह भी कहा की साल 2016 में शुरू की गई योजनाएं अक्टूबर 2018 में बंद हो गई क्योंकि केंद्र सरकार ने उसके प्रीमियम को लेकर विवाद खड़ा कर दिया. पशुपालन मंत्री ने बताया कि हाल ही में प्रदेश के मुख्य सचिव ने इस संबंध में केंद्र को वापस पत्र लिखा है. प्रदेश में इन योजनाओं को लेकर नवीन मार्गदर्शिका बनाए जाने का काम भी प्रक्रियाधीन है. इससे पहले संयम लोढ़ा ने सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि आज राजस्थान में किसी भी पशुओं के बीमा की कोई व्यवस्था नहीं है. जो भी योजनाएं थी, वो सब बंद पड़ी है. लोढ़ा ने कहा कि प्रीमियम का बहाना लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच फुटबॉल का खेल चल रहा है लेकिन इसका नुकसान प्रदेश के पशुपालकों को हो रहा है.
यह भी पढ़ें. विधानसभा में गूंजे 'पप्पू', 'गप्पू' और 'जोकर' के नारे...जमकर हुआ सदन में हंगामा, ये है मामला
लोढा ने इस दौरान कहा कि पशुओं से जुड़ी योजना सीडीपी बंद है, अविका कवच योजना, जीवन रक्षक योजना, अभीरक्षक योजना सहित अन्य पशुओं से जुड़ी योजनाएं कई महीनों से बंद पड़ी है. हालत ये है कि मौजूदा नीतियों के चलते आज प्रदेश में ऊंट की संख्या भी महज 84 हजार तक सीमित रह गई है,जो पहले कभी लाखों में हुआ करती थी. संयम लोढ़ा ने कहा कि हम पशुपालकों को यह भरोसा नहीं दिला पा रहे हैं कि पशुपालन भी मुनाफे का सौदा हो सकता है.
पड़ोसी राज्यों की सीमा पर हमारे पशुपालकों पर हो रहा हमला
संयम लोढ़ा ने सदन में यह भी कहा कि हमारे राज्य के कई पशुपालक पशुओं को चराने के लिए पड़ोसी राज्यों की सीमा के पार चले जाते हैं लेकिन पिछले दिनों ऐसी कई घटनाएं सामने आई है. जिसमें हमारे पशुपालकों पर पड़ोसी राज्यों में हमला हुआ है. फिर चाहे मध्य प्रदेश हो या अन्य दूसरा राज्य. ऐसे में प्रदेश सरकार को इनकी सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए. इस पर सदन में मौजूद पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने आश्वासन दिया कि वे सरकार के जरिए इस संबंध में पड़ोसी राज्यों की सरकार से बात करेंगे. साथ ही पशुपालकों को राहत देने का प्रयास भी करेंगे.