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विधायक बलजीत यादव ने नौकरियों में प्रदेशवासियों को प्राथमिकता देने की उठाई आवाज, कहा- मांग पूरी कर दो फिर चाहे इस्तीफा ले लो

विधानसभा सत्र के दौरान विधायक बलजीत यादव ने राजस्थान में सरकारी नौकरियों में प्रदेश के लोगों को प्राथमिकता देने की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं को रोजगार और किसानों को अधिक सुविधाएं देने की आवश्यकता है.

MlA baljeet yadav statement in assembly, विधानसभा में विधायक बलजीत यादव
विधानसभा में बोले बहरोड़ विधायक बलजीत यादव
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Published : Feb 12, 2021, 6:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में एक बार फिर प्रदेश की सरकारी नौकरियों में राज्य के ही लोगों को प्राथमिकता दिए जाने के संबंध में कानून बनाए जाने की मांग उठी है. यह मांग अलवर के बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने उठाई है. प्रदेश में बेरोजगारी पर चर्चा करते हुए उनके आंसू भी छलक पड़े.

विधानसभा में बोले बहरोड़ विधायक बलजीत यादव

राज्यपाल के अभिभाषण में शामिल होते हुए बलजीत यादव ने यह मांग प्रमुखता से उठाई और यह तक कह दिया कि आखिर प्रदेश सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो इस प्रकार का कानून राजस्थान में नहीं बनाया जा रहा. यादव ने कहा कि आज भी देश के करीब 23 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अपने प्रदेश में इस तरह का कानून बनाया है जिसके चलते उस राज्य में वहीं के लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिल रही है जबकि राजस्थान में हर बार विधानसभा सत्र के दौरान में यह मांग उठाता आ रहा हूं. सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं दे रही है.

पढ़ें: 1 से 10 तक गिनती लिखी जैकेट पहनकर विधानसभा पहुंचे बीजेपी विधायक, कहा- राहुल गांधी को याद दिलाए वादे

बलजीत यादव ने कहा की यदि राजस्थान सरकार इस प्रकार का कानून नहीं बना सकती तो दूसरे राज्यों में भी जो कानून बने हैं उन्हें भी समाप्त किया जाए ताकि प्रदेश के जवानों को वहां पर भी नौकरी मिल पाए. इस दौरान यादव ने अपने पिता को याद किया जिन्होंने विधायक बनने के बाद उनसे पूछा था कि अब तक कितने लोगों को रोजगार दिला पाए और किसानों को क्या सुविधा सरकार से दिला पाए. यादव ने सदन में कहा कि मैं विधायक बन गया और हर बार पुरजोर तरीके से ये मांग भी उठाता हूं लेकिन ना तो प्रदेश के जवानों को रोजगार दिलवा पाया और ना किसानों को सुविधाएं. यादव ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता और मालिक है, उसे मांग नहीं करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए बल्कि किसानों को तो बिजली मुफ्त मिलनी ही चाहिए.

पढ़ें: महामारी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने पर बोले दिलावर, कहा- राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं को भी करें गिरफ्तार

सोने के दाम व आईएएस के वेतन बढ़ें लेकिन किसानों की उपज के दाम नहीं बढ़े

बलजीत यादव ने कहा साल 1973 में गेहूं 200 रुपये क्विंटल हुआ करता था और सोना 500 रुपये तोला लेकिन आज गेहूं 17 सौ से 18 सौ रुपए क्विंटल है जबकि सोने का भाव 50 हजार रुपये तोले तक पहुंच चुका है. यादव ने कहा कि साल 1973 में आईएएस अधिकारियों का वेतन 600 रुपये था लेकिन आज इसमें 500 गुना तक इजाफा हो चुका है. मतलब सोने का भाव बढ़ा, अधिकारियों के वेतन बढ़े लेकिन इसकी तुलना में किसानों की उपज के दाम में बहुत ही मामूली बढ़ोतरी हुई है. यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो प्रदेश के गांव-गांव तक पहुंचकर किसानों के हस्ताक्षर करा कर ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपने जाउंगा क्योंकि यह अकेले बलजीत यादव की मांग नहीं बल्कि प्रदेश के सभी किसान और जवानों की मांग है. यादव ने इस दौरान यहां तक कह दिया कि मेरी यह मांग पूरी कर दो फिर चाहे विधयाकी से इस्तीफा ही क्यों ना ले लो.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में एक बार फिर प्रदेश की सरकारी नौकरियों में राज्य के ही लोगों को प्राथमिकता दिए जाने के संबंध में कानून बनाए जाने की मांग उठी है. यह मांग अलवर के बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने उठाई है. प्रदेश में बेरोजगारी पर चर्चा करते हुए उनके आंसू भी छलक पड़े.

विधानसभा में बोले बहरोड़ विधायक बलजीत यादव

राज्यपाल के अभिभाषण में शामिल होते हुए बलजीत यादव ने यह मांग प्रमुखता से उठाई और यह तक कह दिया कि आखिर प्रदेश सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो इस प्रकार का कानून राजस्थान में नहीं बनाया जा रहा. यादव ने कहा कि आज भी देश के करीब 23 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अपने प्रदेश में इस तरह का कानून बनाया है जिसके चलते उस राज्य में वहीं के लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिल रही है जबकि राजस्थान में हर बार विधानसभा सत्र के दौरान में यह मांग उठाता आ रहा हूं. सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं दे रही है.

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बलजीत यादव ने कहा की यदि राजस्थान सरकार इस प्रकार का कानून नहीं बना सकती तो दूसरे राज्यों में भी जो कानून बने हैं उन्हें भी समाप्त किया जाए ताकि प्रदेश के जवानों को वहां पर भी नौकरी मिल पाए. इस दौरान यादव ने अपने पिता को याद किया जिन्होंने विधायक बनने के बाद उनसे पूछा था कि अब तक कितने लोगों को रोजगार दिला पाए और किसानों को क्या सुविधा सरकार से दिला पाए. यादव ने सदन में कहा कि मैं विधायक बन गया और हर बार पुरजोर तरीके से ये मांग भी उठाता हूं लेकिन ना तो प्रदेश के जवानों को रोजगार दिलवा पाया और ना किसानों को सुविधाएं. यादव ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता और मालिक है, उसे मांग नहीं करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए बल्कि किसानों को तो बिजली मुफ्त मिलनी ही चाहिए.

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सोने के दाम व आईएएस के वेतन बढ़ें लेकिन किसानों की उपज के दाम नहीं बढ़े

बलजीत यादव ने कहा साल 1973 में गेहूं 200 रुपये क्विंटल हुआ करता था और सोना 500 रुपये तोला लेकिन आज गेहूं 17 सौ से 18 सौ रुपए क्विंटल है जबकि सोने का भाव 50 हजार रुपये तोले तक पहुंच चुका है. यादव ने कहा कि साल 1973 में आईएएस अधिकारियों का वेतन 600 रुपये था लेकिन आज इसमें 500 गुना तक इजाफा हो चुका है. मतलब सोने का भाव बढ़ा, अधिकारियों के वेतन बढ़े लेकिन इसकी तुलना में किसानों की उपज के दाम में बहुत ही मामूली बढ़ोतरी हुई है. यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो प्रदेश के गांव-गांव तक पहुंचकर किसानों के हस्ताक्षर करा कर ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपने जाउंगा क्योंकि यह अकेले बलजीत यादव की मांग नहीं बल्कि प्रदेश के सभी किसान और जवानों की मांग है. यादव ने इस दौरान यहां तक कह दिया कि मेरी यह मांग पूरी कर दो फिर चाहे विधयाकी से इस्तीफा ही क्यों ना ले लो.

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