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मिशन चंद्रयान-2: अमेरिका, रूस और चीन को भी पीछे छोड़ देगा भारत, खास रिपोर्ट

इस वक्त दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं. इस मिशन के सफल होते ही भारत अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों को भी पीछे छोड़कर चंद्रमा के 70 डिग्री दक्षिण अक्षांश के दो क्रेटर्स पर चंद्रयान-2 उतारकर दुनिया का पहला देश बन जाएगा.

मिशन चंद्रयान-2: अमेरिका, रूस और चीन को भी भारत पीछे छोड़ देगा, खास रिपोर्ट
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Published : Jul 14, 2019, 1:50 PM IST

जयपुर. इस वक्त दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं. अंतरिक्ष के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय होड़ सोमवार 15 जुलाई को उस समय और तेज़ होगी, जब भारत अपने कम-खर्च वाले मिशन चंद्रयान 2 को लॉन्च करेगा. जिसके साथ भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिन्होंने चंद्रमा पर खोजी यान उतारा है. किसी मानव के पहली बार चांद पर उतरने की 50वीं वर्षगांठ से सिर्फ पांच दिन पहले 'चंद्रयान 2' पूरे दशक तक की गईं तैयारियों के बाद आंध्र प्रदेश से सटे एक द्वीप से चंद्रयान 2 उड़ान भरेगा.

मिशन चंद्रयान-2: अमेरिका, रूस और चीन को भी भारत पीछे छोड़ देगा, खास रिपोर्ट

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इस मिशन के सफल होते ही भारत अमेरिका, रूस, चीन, जैसे देशों को भी पीछे छोड़कर चंद्रमा के 70 डिग्री दक्षिण अक्षांश के दो क्रेटर्स पर चंद्रयान-2 उतारकर दुनिया का पहला देश बन जाएगा.

  • भारत ने 11 साल पहले कर चुका है च्रंद्रयान का प्रक्षेपण
  • भारत ने 2008 में मिशन चंद्रयान-1 को किया था पूरा
  • चंद्रयान-1 के आधार पर नासा ने बर्फ होने की पुष्टि की थी

भारत के चंद्रयान-1 के आंकड़ों की मदद से नासा ने चंद्रमा पर बर्फ खोजने का दावा किया था. अब चंद्रयान-2 से वैज्ञानिकों की उम्मीदें सातवें आसमान पर है. यानि की साफ है कि भारत एक बार फिर से दुनिया में अपना डंका बजाने के लिए तैयार है जिस पर देश ही नहीं दुनिया की नजरें भी टिकी हुई है. चंद्रयान 2 में चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के साथ-साथ और भी कई रहस्यों का पर्दाफाश हो सकता है.

  • चांद पर जाकर क्या करेगा चंद्रयान-2?
  • रोवर और ऑर्बिटर वहां से कैसे देंगे सूचनाएं ?
  • चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर कैसे करेगा काम ?

चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से 15 से 20 दिनों तक चांद की सतह से डेटा जमा करके ऑर्बिटर तक पहुंचाता रहेगा. ऑर्बिटर उस डेटा को इसरो भेजेगा. लॉन्च के बाद 16 दिनों में ऑर्बिटर धरती के चारों ओर पांच बार कक्षा बदलेगा. रोवर चंद्रमा की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्निशियम, कैल्शियम और लोहे आदि खनिजों की तलाश करेगा. साथ ही, वहां पानी की मौजूदगी भी ढूंढेगा. यही नहीं ऑर्बिटर चांद की बाहरी परत की भी जांच करेगा. चांद पर जाकर हर उस रहस्य का पर्दाफाश करेगा जिसके लिए दशकों से दुनिया की नजरें गड़ी हुई हैं. लेकिन चंद्रयान 2 भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 से कितना अलग होगा इससे में क्या-क्या खूबियां है. चंद्रयान-2 में रोवर की रफ्तार कितनी होगी. 6 पहियों वाला यह रोबोट लैंडर से बाहर निकलकर 14 दिन में चांद की सतह पर किस तरह चलेगा देखिए हमारे खास पेशकश चंद्रयान-2 के दूसरे हिस्से में.

जयपुर. इस वक्त दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं. अंतरिक्ष के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय होड़ सोमवार 15 जुलाई को उस समय और तेज़ होगी, जब भारत अपने कम-खर्च वाले मिशन चंद्रयान 2 को लॉन्च करेगा. जिसके साथ भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिन्होंने चंद्रमा पर खोजी यान उतारा है. किसी मानव के पहली बार चांद पर उतरने की 50वीं वर्षगांठ से सिर्फ पांच दिन पहले 'चंद्रयान 2' पूरे दशक तक की गईं तैयारियों के बाद आंध्र प्रदेश से सटे एक द्वीप से चंद्रयान 2 उड़ान भरेगा.

मिशन चंद्रयान-2: अमेरिका, रूस और चीन को भी भारत पीछे छोड़ देगा, खास रिपोर्ट

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इस मिशन के सफल होते ही भारत अमेरिका, रूस, चीन, जैसे देशों को भी पीछे छोड़कर चंद्रमा के 70 डिग्री दक्षिण अक्षांश के दो क्रेटर्स पर चंद्रयान-2 उतारकर दुनिया का पहला देश बन जाएगा.

  • भारत ने 11 साल पहले कर चुका है च्रंद्रयान का प्रक्षेपण
  • भारत ने 2008 में मिशन चंद्रयान-1 को किया था पूरा
  • चंद्रयान-1 के आधार पर नासा ने बर्फ होने की पुष्टि की थी

भारत के चंद्रयान-1 के आंकड़ों की मदद से नासा ने चंद्रमा पर बर्फ खोजने का दावा किया था. अब चंद्रयान-2 से वैज्ञानिकों की उम्मीदें सातवें आसमान पर है. यानि की साफ है कि भारत एक बार फिर से दुनिया में अपना डंका बजाने के लिए तैयार है जिस पर देश ही नहीं दुनिया की नजरें भी टिकी हुई है. चंद्रयान 2 में चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के साथ-साथ और भी कई रहस्यों का पर्दाफाश हो सकता है.

  • चांद पर जाकर क्या करेगा चंद्रयान-2?
  • रोवर और ऑर्बिटर वहां से कैसे देंगे सूचनाएं ?
  • चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर कैसे करेगा काम ?

चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से 15 से 20 दिनों तक चांद की सतह से डेटा जमा करके ऑर्बिटर तक पहुंचाता रहेगा. ऑर्बिटर उस डेटा को इसरो भेजेगा. लॉन्च के बाद 16 दिनों में ऑर्बिटर धरती के चारों ओर पांच बार कक्षा बदलेगा. रोवर चंद्रमा की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्निशियम, कैल्शियम और लोहे आदि खनिजों की तलाश करेगा. साथ ही, वहां पानी की मौजूदगी भी ढूंढेगा. यही नहीं ऑर्बिटर चांद की बाहरी परत की भी जांच करेगा. चांद पर जाकर हर उस रहस्य का पर्दाफाश करेगा जिसके लिए दशकों से दुनिया की नजरें गड़ी हुई हैं. लेकिन चंद्रयान 2 भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 से कितना अलग होगा इससे में क्या-क्या खूबियां है. चंद्रयान-2 में रोवर की रफ्तार कितनी होगी. 6 पहियों वाला यह रोबोट लैंडर से बाहर निकलकर 14 दिन में चांद की सतह पर किस तरह चलेगा देखिए हमारे खास पेशकश चंद्रयान-2 के दूसरे हिस्से में.

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