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सदन के बाहर कटारिया पर हमलावर रहे गहलोत के मंत्री, कहा- जुबान के पक्के हैं तो दें इस्तीफा

नेता प्रतिपक्ष के बयान को लेकर शुरू हुआ हंगामा भले ही बुधवार को सदन में शांत रहा हो. लेकिन सत्ता पक्ष के मंत्री सदन के बाहर कटारिया पर हमलावर रहे. मंत्री धारीवाल ने कहा कि कटारिया ने जो कहा था, उसका भावार्थ वही था. वहीं, स्थगन लगाने वाले मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि अगर कटारिया अपनी जुबान के पक्के हैं तो इस्तीफा दें.

गुलाबचंद कटारिया के इस्तीफे की मांग,  Gulabchand Kataria demands resignation
गुलाबचंद कटारिया के इस्तीफे की मांग
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Published : Feb 19, 2020, 1:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को हुआ हंगामा भले ही अब सदन में शांत हो गया हो और सदन के अंदर इसे लेकर कोई एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगा रहा. लेकिन सदन के बाहर सत्ता पक्ष के मंत्री नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया पर हमलावर हो गए हैं. जहां बुधवार को कटारिया ने कहा कि उन्होंने जो कहा उसे सदन देख ले और जो भी निर्णय स्पीकर सीपी जोशी उनके इस्तीफे को लेकर लेते हैं वह ले सकते हैं.

कटारिया पर हमलावर गहलोत के मंत्री

वहीं, शांति धारीवाल ने एक बार फिर से दोहराया कि उनका जो कहना था उसका भावार्थ वही था. शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने भी इस मामले में आक्रामक होते हुए कहा कि राजस्थान विपक्ष पूरी तरीके से बंटा हुआ है, जो कई बार दिखाई दे चुका है.

पढ़ें- शांति धारीवाल के इस्तीफा मांगने पर कटारिया ने कहा- 'स्पीकर देख लें मेरी प्रोसिडिंग, फिर फैसला करें'

नेता प्रतिपक्ष की बात उनके विधायक नहीं मान रहे हैं और जब भाजपा बहिर्गमन करती है तो कभी मदन दिलावर तो कभी किरण महेश्वरी तो कभी कैलाश मेघवाल अपने नेता की बात नहीं मानते हैं. नेता प्रतिपक्ष को संसदीय कार्य मंत्री के बयान पर गुस्सा नहीं होना चाहिए. लेकिन धारीवाल ने जो कहा वह सत्य था और रमेश मीणा के प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा था कि पेड़ पर किसान लटक कर मर जाए तो सरकार क्या कर सकती है. क्योंकि कटारिया खुद आपदा राहत मंत्री थे तो वही सरकार थे और उनके शब्द आज भी रिकॉर्ड में है.

मंत्री ने कहा सदन में धरने देने जैसी नौटंकी उन्हें नहीं करनी चाहिए, वह 75 पार के हो चुके हैं. अगर उनकी याद्दाश्त में कमजोरी आ गई है तो राजेंद्र राठौड़ को नहीं बताना चाहिए था कि यह बात सही थी और उनसे यह बात निकल गई थी. जो सवाल पूछा गया था वह किसानों से जुड़ा था और वह खुद आपदा राहत मंत्री थे तो, हम उनके ही खाते में इस बात को डालेंगे. वह चाहें तो इसे वसुंधरा राजे के खाते में डाल दें. वहीं, इस मामले में 25 मार्च 2015 को स्थगन लगाने वाले रमेश मीणा जो अब प्रदेश के खाद्य मंत्री हैं.

पढ़ें- गहलोत सरकार का बड़ा निर्णय, आरएएस अफसरों की बढ़ाई शक्तियां

उन्होंने कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष सत्ता में थे तो वह सत्ता के नशे में मदहोश थे. उनको ध्यान नहीं रहता था कि वह कब क्या बोलते थे. कभी वह बोलते हैं कि उनके फेफड़े बुलंद हैं कभी कुछ और बोलते हैं. जैसे प्रधानमंत्री के बारे में कहा जाता है कि वह कुछ भी कह सकते हैं, वैसे ही कटारिया भी कुछ भी बोल सकते हैं. मैंने जब स्थगन से यह बात उठाई थी तो उस समय कटारिया ने यह बातें कही थी अब अगर वह अपनी जुबान पर कायम हैं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को हुआ हंगामा भले ही अब सदन में शांत हो गया हो और सदन के अंदर इसे लेकर कोई एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगा रहा. लेकिन सदन के बाहर सत्ता पक्ष के मंत्री नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया पर हमलावर हो गए हैं. जहां बुधवार को कटारिया ने कहा कि उन्होंने जो कहा उसे सदन देख ले और जो भी निर्णय स्पीकर सीपी जोशी उनके इस्तीफे को लेकर लेते हैं वह ले सकते हैं.

कटारिया पर हमलावर गहलोत के मंत्री

वहीं, शांति धारीवाल ने एक बार फिर से दोहराया कि उनका जो कहना था उसका भावार्थ वही था. शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने भी इस मामले में आक्रामक होते हुए कहा कि राजस्थान विपक्ष पूरी तरीके से बंटा हुआ है, जो कई बार दिखाई दे चुका है.

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नेता प्रतिपक्ष की बात उनके विधायक नहीं मान रहे हैं और जब भाजपा बहिर्गमन करती है तो कभी मदन दिलावर तो कभी किरण महेश्वरी तो कभी कैलाश मेघवाल अपने नेता की बात नहीं मानते हैं. नेता प्रतिपक्ष को संसदीय कार्य मंत्री के बयान पर गुस्सा नहीं होना चाहिए. लेकिन धारीवाल ने जो कहा वह सत्य था और रमेश मीणा के प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा था कि पेड़ पर किसान लटक कर मर जाए तो सरकार क्या कर सकती है. क्योंकि कटारिया खुद आपदा राहत मंत्री थे तो वही सरकार थे और उनके शब्द आज भी रिकॉर्ड में है.

मंत्री ने कहा सदन में धरने देने जैसी नौटंकी उन्हें नहीं करनी चाहिए, वह 75 पार के हो चुके हैं. अगर उनकी याद्दाश्त में कमजोरी आ गई है तो राजेंद्र राठौड़ को नहीं बताना चाहिए था कि यह बात सही थी और उनसे यह बात निकल गई थी. जो सवाल पूछा गया था वह किसानों से जुड़ा था और वह खुद आपदा राहत मंत्री थे तो, हम उनके ही खाते में इस बात को डालेंगे. वह चाहें तो इसे वसुंधरा राजे के खाते में डाल दें. वहीं, इस मामले में 25 मार्च 2015 को स्थगन लगाने वाले रमेश मीणा जो अब प्रदेश के खाद्य मंत्री हैं.

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उन्होंने कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष सत्ता में थे तो वह सत्ता के नशे में मदहोश थे. उनको ध्यान नहीं रहता था कि वह कब क्या बोलते थे. कभी वह बोलते हैं कि उनके फेफड़े बुलंद हैं कभी कुछ और बोलते हैं. जैसे प्रधानमंत्री के बारे में कहा जाता है कि वह कुछ भी कह सकते हैं, वैसे ही कटारिया भी कुछ भी बोल सकते हैं. मैंने जब स्थगन से यह बात उठाई थी तो उस समय कटारिया ने यह बातें कही थी अब अगर वह अपनी जुबान पर कायम हैं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.

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