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राजस्थान के मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर 21 अक्टूबर से डालेंगे महापड़ाव...वार्ता के लिए नहीं बुलाने से कर्मचारी नाराज - Ministerial staff movement

गहलोत सरकार के उदासीन रवैये से नाराज मंत्रालयिक कर्मचारियों में रोष है. कर्मचारियों का कहना है कि 18 दिन बाद भी राज्य सरकार ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया है. मंत्रालयिक कर्मचारी वेतन बढ़ाने समेत अपनी 11 सूत्रीय मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

जयपुर न्यूज , राजस्थान न्यूज
मंत्रालयिक कर्मचारी
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Published : Oct 19, 2021, 1:37 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 1:55 PM IST

जयपुर. 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर चल रहा मंत्रालयिक कर्मचारियों का आंदोलन को 18 दिन हो गए हैं. सरकार की ओर से वार्ता के लिए नहीं बुलाने से मंत्रालयिक कर्मचारियों में रोष है. राज्य सरकार के रवैए से नाराज राज्य के हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी 21 अक्टूबर से सामूहिक अवकाश लेकर शहीद स्मारक पर महापड़ाव डालेंगे. मंत्रालयिक कर्मचारियों के महापड़ाव से गहलोत सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.

पढ़ें- CM अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को दी ईद मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद

आंदोलन की शुरुआत में 6 मंत्रालयिक कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे थे. इन सभी मंत्रालयिक कर्मचारियों की तबीयत भी खराब हो चुकी है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इसके बाद राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्हें आमरण अनशन करते हुए 11 दिन हो चुके हैं. आमरण अनशन से मंत्रलयिक कर्मचारियों की तबीयत खराब होने और पिछले 18 दिन से चल रहे आंदोलन के बावजूद भी सरकार का कोई भी सकारात्मक रुख दिखाई नहीं दे रहा है. मंत्रालयिक कर्मचारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया.

वार्ता के लिए नहीं बुलाने से कर्मचारी नाराज

जन कल्याणकारी कार्य प्रभावित हो सकते हैं

प्रदेश के हजारों मंत्रालयिक कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. अब महासंघ ने निर्णय किया है कि 21 अक्टूबर से मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालेंगे. इस महापड़ाव में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आये मंत्रालयिक कर्मचारी मौजूद रहेंगे. सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालते हैं तो राज्य सरकार के जन कल्याणकारी कार्य प्रभावित हो सकते हैं. क्योंकि प्रदेश में हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने अहम योगदान देते हैं.

मंत्रालयिक कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

मंत्रालयिक कर्मचारी अपनी लंबित मांगों ग्रेड पे 3600 करने, सचिवालय के समान वेतन भत्ते देने, 30 अक्टूबर 2017 का वेतन कटौती आदेश निरस्त करने, एआरडी लिंक ओपन करवाने, निदेशालय का गठन करने, पंचायतराज में उच्च पदों का आवंटन पदोन्नति के स्वीकृत 26000 पदों में से शेष रहे 11 हजार पद देने, पदोन्नति में अनुभव में छूट देने के लिए एक बार ही शीथलता देने, कनिष्ठ सहायक की न्यूनतम योग्यता स्नातक करने, नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, मंत्रालयिक कर्मचारियों के समयबद्व पदोन्नति 6, 12, 18, 24 लाभ देने, नो वर्क नो पे के आदेश को वापस लेने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

कर्मचारियों ने वसुंधरा सरकार के खिलाफ भी खोला था मोर्चा

पिछली भाजपा सरकार में भी राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था. मानसरोवर के शिप्रा पथ मैदान पर 18 दिनों तक महापड़ाव डाला था. हालांकि चुमाव आचार संहिता लगने के कारण इनकी मांगे पूरी नहीं हुई थी. मंत्रालयिक कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा पिछली भाजपा सरकार को उठाना पड़ा था.

जयपुर. 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर चल रहा मंत्रालयिक कर्मचारियों का आंदोलन को 18 दिन हो गए हैं. सरकार की ओर से वार्ता के लिए नहीं बुलाने से मंत्रालयिक कर्मचारियों में रोष है. राज्य सरकार के रवैए से नाराज राज्य के हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी 21 अक्टूबर से सामूहिक अवकाश लेकर शहीद स्मारक पर महापड़ाव डालेंगे. मंत्रालयिक कर्मचारियों के महापड़ाव से गहलोत सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.

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आंदोलन की शुरुआत में 6 मंत्रालयिक कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे थे. इन सभी मंत्रालयिक कर्मचारियों की तबीयत भी खराब हो चुकी है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इसके बाद राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्हें आमरण अनशन करते हुए 11 दिन हो चुके हैं. आमरण अनशन से मंत्रलयिक कर्मचारियों की तबीयत खराब होने और पिछले 18 दिन से चल रहे आंदोलन के बावजूद भी सरकार का कोई भी सकारात्मक रुख दिखाई नहीं दे रहा है. मंत्रालयिक कर्मचारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया.

वार्ता के लिए नहीं बुलाने से कर्मचारी नाराज

जन कल्याणकारी कार्य प्रभावित हो सकते हैं

प्रदेश के हजारों मंत्रालयिक कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. अब महासंघ ने निर्णय किया है कि 21 अक्टूबर से मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालेंगे. इस महापड़ाव में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आये मंत्रालयिक कर्मचारी मौजूद रहेंगे. सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालते हैं तो राज्य सरकार के जन कल्याणकारी कार्य प्रभावित हो सकते हैं. क्योंकि प्रदेश में हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने अहम योगदान देते हैं.

मंत्रालयिक कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

मंत्रालयिक कर्मचारी अपनी लंबित मांगों ग्रेड पे 3600 करने, सचिवालय के समान वेतन भत्ते देने, 30 अक्टूबर 2017 का वेतन कटौती आदेश निरस्त करने, एआरडी लिंक ओपन करवाने, निदेशालय का गठन करने, पंचायतराज में उच्च पदों का आवंटन पदोन्नति के स्वीकृत 26000 पदों में से शेष रहे 11 हजार पद देने, पदोन्नति में अनुभव में छूट देने के लिए एक बार ही शीथलता देने, कनिष्ठ सहायक की न्यूनतम योग्यता स्नातक करने, नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, मंत्रालयिक कर्मचारियों के समयबद्व पदोन्नति 6, 12, 18, 24 लाभ देने, नो वर्क नो पे के आदेश को वापस लेने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

कर्मचारियों ने वसुंधरा सरकार के खिलाफ भी खोला था मोर्चा

पिछली भाजपा सरकार में भी राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था. मानसरोवर के शिप्रा पथ मैदान पर 18 दिनों तक महापड़ाव डाला था. हालांकि चुमाव आचार संहिता लगने के कारण इनकी मांगे पूरी नहीं हुई थी. मंत्रालयिक कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा पिछली भाजपा सरकार को उठाना पड़ा था.

Last Updated : Oct 19, 2021, 1:55 PM IST
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