जयपुर. प्रदेश में सबसे पहले कक्षा 1 से 8 के स्कूली बच्चों के लिए दूध योजना की शुरुआत 2 जुलाई 2018 को 66 हजारों स्कूलों में हुई. इस योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने बच्चों के बीच पहुंचकर दूध पिलाकर की थी. प्रदेश के 44 लाख बच्चे दूध योजना से लाभांवित होते है, जिसमें 1 से 5 तक बच्चों को 150 ग्राम और 6 से 8 तक के बच्चों को 200 ग्राम दूध मिलता है. लेकिन अब ये योजना सरकार बदलने के साथ ही दम तोड़ती दिख रही है बच्चों की सेहत बनाने के नाम से शुरू हुई यह योजना, अब महंगे होते दूध से बजट का अभाव, शिक्षकों का योजना के प्रति विरोध से योजना खटाई में पड़ रही है.
यूं तो सरकार बदलने के साथ ही कई योजनाएं खटाई में पड़ गई और बंद तक हो गई. स्कूली बच्चों के लिए शुरू हुई दूध योजना अभी तक चल रही है. लेकिन अब मौजूदा सरकार ने इसके विकल्प तलाशने शुरू कर दिए है. शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की मानें तो दूध की जगह दूसरे पौष्टिक आहार का विकल्प देखा जा रहा है. ताकि बच्चे को तंदुरुस्त रखा जा सके.
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सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने की कवायद में मिड-डे-मील योजना शुरू हुई. उसके बाद स्कूल तक पहुंचने में पहुंचे बच्चों को तंदुरुस्त रखने के लिए दूध योजना की शुरुआत हुई. लेकिन अब लगता है सरकार बदलने और बजट की मारामारी बच्चों के हाथों से दूध छीन सकता है.