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आशाओं को अन्य राज्यों से ज्यादा मानदेय दे रही राजस्थान सरकार, अलग-अलग संगठनों ने फंसा रखा है पेच : मंत्री ममता भूपेश - Rajasthan latest Hindi news

प्रदेश भर की आशा सहयोगिनियों के धरने को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री ममता भूपेश का बड़ा बयान सामने आया है. ममता भूपेश ने कहा कि आशा सहयोगिनियों के अलग-अलग संगठन बने हुए हैं, इनमें से कुछ जिद पर अड़ी हैं जिसकी वजह से यह धरना खत्म नहीं हो रहा, जबकि राजस्थान सरकार तो अन्य राज्यों से ज्यादा मानेदय आशाओं को दे रही है.

Mamta Bhupesh statement, Asha Sahyogini dharna
आशा सहयोगिनियों के आंदोलन को लेकर ममता भूपेश का बयान
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Published : Jan 2, 2021, 6:16 PM IST

जयपुर. पिछले एक सप्ताह से प्रदेश की आशा सहयोगिनी महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय पर धरना दिए हुए हैं. सरकार के अधिकारियों से हो रही वार्ता आंदोलन को खत्म नहीं करवा पा रही है. इस बीच महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री ममता भूपेश का बड़ा बयान सामने आया है. ममता भूपेश ने कहा कि आशा सहयोगिनियों के अलग अलग संगठन बने हुए हैं, इनमें से कुछ एक जिद पर अड़ी हुई हैं, जिसकी वजह से यह धरना खत्म नहीं हो रहा, जबकि राज्य सरकार तो अन्य राज्यों से ज्यादा मानेदय आशाओं को दे रही है.

आशा सहयोगिनियों के आंदोलन को लेकर ममता भूपेश का बयान

इस कड़ाके की ठंड में एक तरफ किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर संवाद नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन राजस्थान में पिछले एक सप्ताह से आशा सहयोगिनी इसी हाड़ कंपाती सर्दी में धरने पर बैठी हैं. ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर बात की तो महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि महिला बाल विकास और चिकित्सा विभाग के सेक्रेटरी दोनों की हमने ज्वाइंट कमेटी बनाई थी, जो हमारी आशा सहयोगिनी लगातार बात कर रही हैं, उनकी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री से भी हमने चर्चा की है. कोविड-19 महामारी के समय में हम सब को मिल कर काम करना है तो कई आशा बहनें वापस चल चुकी हैं. बहुत से मुद्दों पर उनकी सहमति बन गई है.

उन्होंने कहा कि अब विभिन्न प्रकार के संगठन बन गए हैं, एक जिद हो गई है इस बात की. मैं अपील करना चाहूंगी जो आंदोलन कर रही हैं वह वापस अपना आंदोलन करें और वह अपने कामकाज का जो जिम्मा है, उसे संभालें अपनी भूमिका को निभाएं. जिस दिन से वह धरने पर बैठी हैं. उसके अगले दिन से हमारे अधिकारियों की कमेटी उनसे लगातार बात कर रही है. हर दिन उनसे चर्चा की है. सेक्टर लेवल पर चर्चा करना अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है.

पढ़ें- कोविड-19 वैक्सीन का ड्राई रन : कैसे होगा वैक्सीनेशन, फ्रंटलाइनर्स ने टीका लगवाने के बाद साझा किए अपने अनुभव

ममता भूपेश ने कहा कि ऐसा नहीं कि सरकार आशाओं को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार पूरी तरीके से गंभीर है. इससे पहले आशाओं को लेकर 200 रुपये सरकार ने बढ़ाए भी थे. वैसे भी राजस्थान में आशाओं को जो 2700 रुपए दिया जा रहे हैं. वह अंशदान पूरी तरीके से राज्य सरकार की तरफ से है. बाकी इंसेंटिव जो एनआरएचएम की तरफ से मिल रहा है, उसमें 60:40 रेसियो है. 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार, उसमें तो जो परिवर्तन है वह भारत सरकार करेगी.

उन्होंने कहा कि राजस्थान में अन्य प्रदेशों से ज्यादा आशाओं को 2700 मानदेय दिया जा रहा है. आप और हम मिलकर राजस्थान की जनता को स्वस्थ बनाने का संकल्प लिया है, इस बात को समझकर उन्हें काम पर लौटना चाहिए.

जयपुर. पिछले एक सप्ताह से प्रदेश की आशा सहयोगिनी महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय पर धरना दिए हुए हैं. सरकार के अधिकारियों से हो रही वार्ता आंदोलन को खत्म नहीं करवा पा रही है. इस बीच महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री ममता भूपेश का बड़ा बयान सामने आया है. ममता भूपेश ने कहा कि आशा सहयोगिनियों के अलग अलग संगठन बने हुए हैं, इनमें से कुछ एक जिद पर अड़ी हुई हैं, जिसकी वजह से यह धरना खत्म नहीं हो रहा, जबकि राज्य सरकार तो अन्य राज्यों से ज्यादा मानेदय आशाओं को दे रही है.

आशा सहयोगिनियों के आंदोलन को लेकर ममता भूपेश का बयान

इस कड़ाके की ठंड में एक तरफ किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर संवाद नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन राजस्थान में पिछले एक सप्ताह से आशा सहयोगिनी इसी हाड़ कंपाती सर्दी में धरने पर बैठी हैं. ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर बात की तो महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि महिला बाल विकास और चिकित्सा विभाग के सेक्रेटरी दोनों की हमने ज्वाइंट कमेटी बनाई थी, जो हमारी आशा सहयोगिनी लगातार बात कर रही हैं, उनकी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री से भी हमने चर्चा की है. कोविड-19 महामारी के समय में हम सब को मिल कर काम करना है तो कई आशा बहनें वापस चल चुकी हैं. बहुत से मुद्दों पर उनकी सहमति बन गई है.

उन्होंने कहा कि अब विभिन्न प्रकार के संगठन बन गए हैं, एक जिद हो गई है इस बात की. मैं अपील करना चाहूंगी जो आंदोलन कर रही हैं वह वापस अपना आंदोलन करें और वह अपने कामकाज का जो जिम्मा है, उसे संभालें अपनी भूमिका को निभाएं. जिस दिन से वह धरने पर बैठी हैं. उसके अगले दिन से हमारे अधिकारियों की कमेटी उनसे लगातार बात कर रही है. हर दिन उनसे चर्चा की है. सेक्टर लेवल पर चर्चा करना अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है.

पढ़ें- कोविड-19 वैक्सीन का ड्राई रन : कैसे होगा वैक्सीनेशन, फ्रंटलाइनर्स ने टीका लगवाने के बाद साझा किए अपने अनुभव

ममता भूपेश ने कहा कि ऐसा नहीं कि सरकार आशाओं को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार पूरी तरीके से गंभीर है. इससे पहले आशाओं को लेकर 200 रुपये सरकार ने बढ़ाए भी थे. वैसे भी राजस्थान में आशाओं को जो 2700 रुपए दिया जा रहे हैं. वह अंशदान पूरी तरीके से राज्य सरकार की तरफ से है. बाकी इंसेंटिव जो एनआरएचएम की तरफ से मिल रहा है, उसमें 60:40 रेसियो है. 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार, उसमें तो जो परिवर्तन है वह भारत सरकार करेगी.

उन्होंने कहा कि राजस्थान में अन्य प्रदेशों से ज्यादा आशाओं को 2700 मानदेय दिया जा रहा है. आप और हम मिलकर राजस्थान की जनता को स्वस्थ बनाने का संकल्प लिया है, इस बात को समझकर उन्हें काम पर लौटना चाहिए.

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