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प्रेम त्याग और समर्पण की भाषा बोलता है: बीडी कल्ला

राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से महाकवि माघ महोत्सव पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रेम परमात्मा भाव भारतीय संस्कृति व संस्कृत का मूल आधार

jaipur news, Minister BD Kalla
प्रेम त्याग और समर्पण की भाषा बोलता है
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Published : Feb 14, 2021, 9:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा महाकवि माघ महोत्सव पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने शिरकत की. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि प्रेम का जन्म भले ही भौतिक-शारीरिक धरातल पर हो, पर वह सार्थक तब होता है, जब आध्यात्मिक धरातल को प्रभावित करें क्योंकि प्रेम परमात्मा भाव और भारतीय संस्कृति और संस्कृत का मूल आधार है.

प्रेम त्याग और समर्पण की भाषा बोलता है

संस्कृत साहित्य में प्रेम तत्व विषयक विशिष्ट व्याख्यान से पूर्व महाकवि माघ को समर्पित डॉ. रामदेव साहू की ओर से लिखित माघ प्रशस्ति का कैबिनेट मंत्री बुलकीदास कल्ला ने विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि महाकवि माघ को प्रकृति से प्रेम है. इसलिए उन्होंने प्रकृति का मानवीकरण किया. माघ कहते है प्रकृति के सारे हावभाव मानो प्रणय के लिए है, इसलिए उन्होंने नई पीढ़ी से प्रकृति से प्रेम करने का आह्वान किया.

यह भी पढ़ें- राजस्थान सरकार ने जेल नियमों में किया बदलाव, जाति- धर्म के आधार पर नहीं दिए जाएंगे कार्य

कार्यक्रम में संस्कृत विभाग की शासन सचिव शुचि शर्मा ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ संस्कृत भाषा में किया. इसमें उन्होंने संस्कृत के अनेक उद्धरण दिए और कार्यक्रम को सार्थक बनाया. वहीं मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य के आचार्य प्रोफेसर रमाकांत पांडे ने कहा कि प्रेम का जितना गहरा संबन्ध श्रृंगार से है, उतना ही भक्ति से है. इसलिए आसक्ति ही भक्ति है और भक्ति की आसक्ति है.

जयपुर. राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा महाकवि माघ महोत्सव पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने शिरकत की. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि प्रेम का जन्म भले ही भौतिक-शारीरिक धरातल पर हो, पर वह सार्थक तब होता है, जब आध्यात्मिक धरातल को प्रभावित करें क्योंकि प्रेम परमात्मा भाव और भारतीय संस्कृति और संस्कृत का मूल आधार है.

प्रेम त्याग और समर्पण की भाषा बोलता है

संस्कृत साहित्य में प्रेम तत्व विषयक विशिष्ट व्याख्यान से पूर्व महाकवि माघ को समर्पित डॉ. रामदेव साहू की ओर से लिखित माघ प्रशस्ति का कैबिनेट मंत्री बुलकीदास कल्ला ने विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि महाकवि माघ को प्रकृति से प्रेम है. इसलिए उन्होंने प्रकृति का मानवीकरण किया. माघ कहते है प्रकृति के सारे हावभाव मानो प्रणय के लिए है, इसलिए उन्होंने नई पीढ़ी से प्रकृति से प्रेम करने का आह्वान किया.

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कार्यक्रम में संस्कृत विभाग की शासन सचिव शुचि शर्मा ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ संस्कृत भाषा में किया. इसमें उन्होंने संस्कृत के अनेक उद्धरण दिए और कार्यक्रम को सार्थक बनाया. वहीं मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य के आचार्य प्रोफेसर रमाकांत पांडे ने कहा कि प्रेम का जितना गहरा संबन्ध श्रृंगार से है, उतना ही भक्ति से है. इसलिए आसक्ति ही भक्ति है और भक्ति की आसक्ति है.

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