जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन का तीसरा फेज शुरू हो चुका है. ऐसे में प्रवासी मजदूर जयपुर में घर वापसी के लिए लालायित है तो दूसरी ओर राजधानी जयपुर में प्रवासी छात्रों के लिए भी परेशानियां कुछ कम नहीं है. हालांकि, राजस्थान सरकार ने इन प्रवासियों को घर भेजने का भरोसा दिया है. प्रशासन ने कहा है कि सरकारी हेल्पलाइन पर रजिस्ट्रेशन के बाद केंद्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर सभी प्रवासियों को उनके स्थान पर भेजा जाएगा, लेकिन जयपुर की सड़कों पर ईटीवी भारत को कुछ ऐसे छात्रों से मिलें, जो सरकारी नियम कायदों के बीच फंसे नजर आए. साथ ही इन छात्रों ने लालफीताशाही के रुख पर भारी नाराजगी जताई.
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से मंजूरी के बाद राजस्थान से अन्य राज्यों के लिए जाने वाले मजदूर और छात्रों के लिए विशेष रेल चलाए जाने के साथ-साथ उन्हें घरों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने उचित प्रबंध का दावा किया है. इसके लिए बाकायदा सरकारी हेल्पलाइन को जारी करते हुए यह कहा गया है कि नंबर पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद प्रवासियों को बारी आने पर घर भेज दिया जाएगा. 1 मई को मजदूर दिवस के दिन राजधानी जयपुर से बिहार की राजधानी पटना के लिए 12 हजार 100 श्रमिकों को लेकर एक ट्रेन रवाना हुई थी. इस ट्रेन में सवार होने की उम्मीद लिए कई लोग जयपुर की सड़कों पर निकल गए. जिन्हें प्रशासन ने समझाइश के बाद घरों पर भेज दिया था लेकिन यह सिलसिला अगले दिन भी नहीं रुका. जिसके बाद दोपहर में लगभग 2 बजे के करीब 42 डिग्री तापमान में टोंक रोड से गुजरते हुए एक छात्रों के समूह से ईटीवी भारत ने बात की. ईटीवी भारत से बातचीत में ये प्रवासी व्यथित दिखें.
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इन प्रवासियों ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी नाराजगी जताई है. ये सभी बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने हैं. इन प्रवासी छात्रों का कहना है कि जब खबर मिली कि जयपुर जंक्शन से एक रेल गाड़ी पटना के लिए जाएगी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इन लोगों ने प्रशासन से बात की. जिसमें जवाब मिला कि उनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है और ओटीपी भी मिल चुका है, लेकिन अभी बिहार भेजने के लिए उनका नंबर नहीं आया है. ऐसी परिस्थितियों में वे लोग फिर निराश होकर घर लौट गए. इन छात्रों की परेशानी यह है कि ये सीमित संसाधनों के साथ जयपुर में पढ़ने के लिए आए थे. अब इन छात्रों में ना तो कमरे का भाड़ा दे पाने की क्षमता है और ना ही दो वक्त की रोटी खाने के लिए पर्याप्त पैसे इनकी जेब में बचे हैं.
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जयपुर के हर क्षेत्र में प्रवासी मजदूर और छात्रों की एक बड़ी संख्या निवास करती है. जो अब लॉकडाउन की अनिश्चितता को देखते हुए अपने घरों की तरफ लौटना चाहते हैं. ऊपर से राजस्थान में पड़ने वाली कड़ाके की गर्मी का असर भी जल्द इन लोगों के सामने होगा. ऐसी परिस्थितियों में भोजन और पानी की सुविधा नहीं होने के कारण ये लोग चाहते हैं कि यह अपनों के बीच जल्दी से जल्दी लौट जाए.
ऐसे लोगों के लिए सरकार ने जाने का रास्ता तो खोल दिया है पर इस रास्ते से हर किसी को अपनी मंजिल कैसे मिलेगी, फिलहाल, इसकी स्पष्ट तस्वीर नजर नहीं आती है. ईटीवी भारत बिहार के इन छात्रों के मर्म के माध्यम से सरकार को उन लोगों की आवाज सुनाना चाहता है, जिनके लिए सरकार की तरफ से बनाई गई सुगम राह अभी वर्तमान परिस्थितियों में जटिलताओं से कम नहीं है.