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बुरे फंसे प्रवासी, जयपुर बस पकड़ने के चक्कर में शेल्टर होम में रहने को मजबूर

देश में लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूर जयपुर बस पकड़ने पहुंचे थे, लेकिन सीमाएं सील होने पर सरकार ने इन्हें चौमूं में शेल्टर होम में ठहराया है. सारी सुविधाओं के बावजूद इनका यही कहना है कि बस घर जाना चाहते हैं.

shelter home in Jaipur जयपुर न्यूज
प्रवासी शेल्टर होम में रहने को मजबूर
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Published : Apr 1, 2020, 9:07 PM IST

चौमूं (जयपुर). राजस्थान के विभिन्न शेल्टर होम में जयपुर बस पकड़ने कोई बीकानेर से, कोई सीकर से तो कोई और कहीं से पहुंचा था, लेकिन अब राज्यों की सीमाएं सील होने के बाद वे घर वापस नहीं जा सकते हैं. ऐसे में सरकार ने इनकी शेल्टर होम में रुकने की व्यवस्था की है. फिर भी प्रवासियों का कहना है कि उन्हें घर जाना है.

प्रवासी शेल्टर होम में रहने को मजबूर

पूरे देश में गुरुवार लॉकडाउन का 8वां दिन है, लेकिन प्रवासी दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह लॉकडाउन का समय शायद जिंदगी का कभी ना भूलने वाला समय निकलेगा. हालांकि, इन प्रवासी मजदूरों के लिए राजस्थान सरकार ने हर जिले में शेल्टर होम बना दिए हैं, और बकायदा उन्हें सारी सुविधाएं भी इन शेल्टर होम में मिल रही है. चौमूं में बने एक शेल्टर होम का जायजा जब ईटीवी भारत की ओर से लिया गया तो पता चला कि इन लोगों के लिए चाहे खाना पीना हो या फिर चाय नाश्ता हर सुविधा इन शेल्टर होम में सरकार की ओर से इन प्रवासियों के लिए की गई है. दिक्कत यह है कि तमाम सुविधाओं के बावजूद भी यह प्रवासी इन शेल्टर होम में रुकने को तैयार नहीं है. ये लोग इन शेल्टर होम से बिना बताए निकल ना जाए, इसके चलते हर शेल्टर होम पर पुलिस का भी इंतजाम करना पड़ा है.

यह भी पढ़ें. Corona Effect के चलते जयपुर-अलवर सीमा पर आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित

दरअसल, शेल्टर होम में रुके अन्य प्रदेशों से आए यह वह प्रवासी लोग हैं, जो मजदूरी या किसी अन्य काम के लिए राजस्थान में रह रहे थे. इनमें से ज्यादातर तो पैदल ही अपने घरों के लिए सैकड़ों किलोमीटर जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन जयपुर के आसपास शेल्टर होम में ठहराए गए ये प्रवासी वह हैं, जो अपने जिलों से जयपुर इस आस में आए थे कि इन्हें यहां से बस की सुविधा मिल जाएगी. यह अपने प्रदेशों में चले जाएंगे.

राजस्थान सरकार की ओर से 1 दिन बसें चलाई भी गई लेकिन जब अन्य राज्यों ने अपने बॉर्डर में इन बसों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया. ऐसे में सरकार को मजबूरी से इन सभी लोगों को शेल्टर होम में रखना पड़ा, लेकिन अब यह लोग यह नहीं समझ रहे हैं कि अगर यह यहां से निकल भी जाए तो भी इनके प्रदेश पहले इन्हें 14 दिन के लिए अलग-थलग लगेंगे. उसके बाद ही अपने प्रदेश में एंट्री देंगे. ऐसे में राजस्थान में रुके रहना ही इनके लिए बेहतर है.

यह भी पढ़ें. राजस्थान भाजपा के जिलाध्यक्षों से रूबरू हुए जेपी नड्डा और बीएल संतोष, जानिए क्यों...

हालांकि, इन लोगों के साथ दिक्कत यह भी हुई है कि यह लोग बस की आस में जयपुर आ गए और इसके चलते ये फंसे हैं. यहां पहुंचे लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें घर जाना है और अपने बच्चों से मिलना है. कुछ महिलाएं तो यहां तक कहते नजर आई कि यहां रखा गया तो वह अपनी जान दे देंगी.

चौमूं (जयपुर). राजस्थान के विभिन्न शेल्टर होम में जयपुर बस पकड़ने कोई बीकानेर से, कोई सीकर से तो कोई और कहीं से पहुंचा था, लेकिन अब राज्यों की सीमाएं सील होने के बाद वे घर वापस नहीं जा सकते हैं. ऐसे में सरकार ने इनकी शेल्टर होम में रुकने की व्यवस्था की है. फिर भी प्रवासियों का कहना है कि उन्हें घर जाना है.

प्रवासी शेल्टर होम में रहने को मजबूर

पूरे देश में गुरुवार लॉकडाउन का 8वां दिन है, लेकिन प्रवासी दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह लॉकडाउन का समय शायद जिंदगी का कभी ना भूलने वाला समय निकलेगा. हालांकि, इन प्रवासी मजदूरों के लिए राजस्थान सरकार ने हर जिले में शेल्टर होम बना दिए हैं, और बकायदा उन्हें सारी सुविधाएं भी इन शेल्टर होम में मिल रही है. चौमूं में बने एक शेल्टर होम का जायजा जब ईटीवी भारत की ओर से लिया गया तो पता चला कि इन लोगों के लिए चाहे खाना पीना हो या फिर चाय नाश्ता हर सुविधा इन शेल्टर होम में सरकार की ओर से इन प्रवासियों के लिए की गई है. दिक्कत यह है कि तमाम सुविधाओं के बावजूद भी यह प्रवासी इन शेल्टर होम में रुकने को तैयार नहीं है. ये लोग इन शेल्टर होम से बिना बताए निकल ना जाए, इसके चलते हर शेल्टर होम पर पुलिस का भी इंतजाम करना पड़ा है.

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दरअसल, शेल्टर होम में रुके अन्य प्रदेशों से आए यह वह प्रवासी लोग हैं, जो मजदूरी या किसी अन्य काम के लिए राजस्थान में रह रहे थे. इनमें से ज्यादातर तो पैदल ही अपने घरों के लिए सैकड़ों किलोमीटर जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन जयपुर के आसपास शेल्टर होम में ठहराए गए ये प्रवासी वह हैं, जो अपने जिलों से जयपुर इस आस में आए थे कि इन्हें यहां से बस की सुविधा मिल जाएगी. यह अपने प्रदेशों में चले जाएंगे.

राजस्थान सरकार की ओर से 1 दिन बसें चलाई भी गई लेकिन जब अन्य राज्यों ने अपने बॉर्डर में इन बसों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया. ऐसे में सरकार को मजबूरी से इन सभी लोगों को शेल्टर होम में रखना पड़ा, लेकिन अब यह लोग यह नहीं समझ रहे हैं कि अगर यह यहां से निकल भी जाए तो भी इनके प्रदेश पहले इन्हें 14 दिन के लिए अलग-थलग लगेंगे. उसके बाद ही अपने प्रदेश में एंट्री देंगे. ऐसे में राजस्थान में रुके रहना ही इनके लिए बेहतर है.

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हालांकि, इन लोगों के साथ दिक्कत यह भी हुई है कि यह लोग बस की आस में जयपुर आ गए और इसके चलते ये फंसे हैं. यहां पहुंचे लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें घर जाना है और अपने बच्चों से मिलना है. कुछ महिलाएं तो यहां तक कहते नजर आई कि यहां रखा गया तो वह अपनी जान दे देंगी.

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