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इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का 200 पार, चिकित्सा विभाग की बढ़ी चिंता

राजस्थान में स्वाइन फ्लू से मौत के आंकड़े का दोहरा शतक लगने से चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ने लगी है. विभाग की मानें तो स्वाइन फ्लू की तैयारी के लिए सभी अस्पताल में अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया हुआ है. साथ ही मरीजों को मास्क देने सहित टेमीफ्लू दवाईयों का इंतजाम किया गया है.

प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का आंकड़ा 200 पार होने के बाद चिकित्सा विभाग की चिंता और बढ़ी
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Published : Jul 24, 2019, 8:43 PM IST

जयपुर. इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत के आंकड़े का दोहरा शतक लग चुका है. स्वाइन फ्लू के अब तक प्रदेश में 5024 पॉजिटिव केस आए हैं, जिसमें से 205 मौतें दर्ज की गई हैं. गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू सर्दियों में सक्रिय रहता है, लेकिन सर्दियां आने में अभी दो से तीन महीने का समय है. लेकिन मौत का ये आंकड़ा बेहद हैरान करने वाला है. इसलिए स्वाइन फ्लू सक्रिय होने से पहले ही चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ने लगी है.

बता दें कि 2018 में 225 मौतें हुई थीं, जो कि 2017 कि तुलना में कम थी. लेकिन विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक 2019 के जुलाई तक 205 मौतें हो चुकी हैं, जो कि बेहद चिंतिंत करने वाला आंकड़ा है.

ये जिले हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
चिकित्सा विभाग द्वारा राजधानी जयपुर में स्वाइन फ्लू के पर्याप्त इंतजाम होने के बाद भी अकेले राजधानी जयपुर में 2019 जुलाई तक 2166 पॉजिटिव केस आ चुके हैं, जिसमें से 19 मौतें दर्ज हुई हैं. जयपुर के बाद जोधपुर सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है. जोधपुर में अब तक 445 पॉजिटिव केस आए हैं. वहींं 34 मौतें दर्ज की गई हैं. इसी के साथ उदयपुर, कोटा, बाड़मेर, झुंझुनू, सीकर और बीकानेर भी प्रभावित जिलों में शामिल हैं.

बता दें कि पिछले साल 2018 में 2374 पॉजिटिव केस आए, लेकिन 2019 में जुलाई तक का आकंड़ा 5025 तक पहुंच चुका है. वहीं मौत के आंकड़े का भी दोहरा शतक लग चुका है. विभाग की मानें तो स्वाइन फ्लू की तैयारी के लिए सभी अस्पताल में अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया हुआ है. साथ ही मरीजों को मास्क देने सहित टेमीफ्लू दवाईयों का इंतजाम किया गया है.

प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का आंकड़ा 200 पार होने के बाद चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ी

ये है स्वाइन फ्लू का आंकड़ा-

साल पॉजिटिव मौत
2013 865 165
2014 65 34
2015 6859 472
2016 197 43
2017 3619 280
2018 1965 225
2019 (जुलाई) 5024 205

ऐसे करें स्वाइन फ्लू का बचाव
जयपुरिया अस्पताल के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ असरार अहमद ने बताया कि हाथों को समय-समय पर धोते रहें. साथ ही जिनको बुखार और सर्दी झुकाम है, वो भीड़ भाड़ वाले इलाके से दूर रहें. डॉ. अहमद ने बताया कि स्वाइन फ्लू कैटेगरी-1 के मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है, वहीं कैटेगरी-3 के मरीजों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

जयपुर. इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत के आंकड़े का दोहरा शतक लग चुका है. स्वाइन फ्लू के अब तक प्रदेश में 5024 पॉजिटिव केस आए हैं, जिसमें से 205 मौतें दर्ज की गई हैं. गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू सर्दियों में सक्रिय रहता है, लेकिन सर्दियां आने में अभी दो से तीन महीने का समय है. लेकिन मौत का ये आंकड़ा बेहद हैरान करने वाला है. इसलिए स्वाइन फ्लू सक्रिय होने से पहले ही चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ने लगी है.

बता दें कि 2018 में 225 मौतें हुई थीं, जो कि 2017 कि तुलना में कम थी. लेकिन विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक 2019 के जुलाई तक 205 मौतें हो चुकी हैं, जो कि बेहद चिंतिंत करने वाला आंकड़ा है.

ये जिले हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
चिकित्सा विभाग द्वारा राजधानी जयपुर में स्वाइन फ्लू के पर्याप्त इंतजाम होने के बाद भी अकेले राजधानी जयपुर में 2019 जुलाई तक 2166 पॉजिटिव केस आ चुके हैं, जिसमें से 19 मौतें दर्ज हुई हैं. जयपुर के बाद जोधपुर सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है. जोधपुर में अब तक 445 पॉजिटिव केस आए हैं. वहींं 34 मौतें दर्ज की गई हैं. इसी के साथ उदयपुर, कोटा, बाड़मेर, झुंझुनू, सीकर और बीकानेर भी प्रभावित जिलों में शामिल हैं.

बता दें कि पिछले साल 2018 में 2374 पॉजिटिव केस आए, लेकिन 2019 में जुलाई तक का आकंड़ा 5025 तक पहुंच चुका है. वहीं मौत के आंकड़े का भी दोहरा शतक लग चुका है. विभाग की मानें तो स्वाइन फ्लू की तैयारी के लिए सभी अस्पताल में अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया हुआ है. साथ ही मरीजों को मास्क देने सहित टेमीफ्लू दवाईयों का इंतजाम किया गया है.

प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का आंकड़ा 200 पार होने के बाद चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ी

ये है स्वाइन फ्लू का आंकड़ा-

साल पॉजिटिव मौत
2013 865 165
2014 65 34
2015 6859 472
2016 197 43
2017 3619 280
2018 1965 225
2019 (जुलाई) 5024 205

ऐसे करें स्वाइन फ्लू का बचाव
जयपुरिया अस्पताल के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ असरार अहमद ने बताया कि हाथों को समय-समय पर धोते रहें. साथ ही जिनको बुखार और सर्दी झुकाम है, वो भीड़ भाड़ वाले इलाके से दूर रहें. डॉ. अहमद ने बताया कि स्वाइन फ्लू कैटेगरी-1 के मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है, वहीं कैटेगरी-3 के मरीजों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

Intro:जयपुर- इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत के आंकड़े का दोहरा शतक लग चुका है। स्वाइन फ्लू के अब तक प्रदेश में 5024 पॉजिटिव केस आए है जिसमें से 205 मौतें दर्ज की गई है। हालांकि स्वाइन फ्लू सर्दियों में सक्रिय रहता है लेकिन सर्दियां आने में अभी दो से तीन महीने का समय है लेकिन मौत का आंकड़ा बेहद चौकाने वाला है। स्वाइन फ्लू सक्रिय होने से पहले ही चिकित्सा विभाग की चिंता ओर बढ़ने लगी हैं। बात करे 2018 की तो सालभर में 225 मौते हुई थी जो 2017 कि तुलना में कम थी लेकिन विभाग रिकॉर्ड के हिसाब से 2019 के जुलाई तक 205 मौते हो चुकी है, जो बेहद चौकानें वाला है।


Body:ये जिले है सबसे ज्यादा प्रभावित
चिकित्सा विभाग द्वारा राजधानी जयपुर में स्वाइन फ्लू के पर्याप्त इंतजाम होने के बाद भी अकेले राजधानी जयपुर में 2019 जुलाई तक 2166 पोस्टिव केस आ चुके है जिसमें से 19 मौते दर्ज हुई है। जयपुर के बाद जोधपुर सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है। जोधपुर में अब तक 445 पॉजिटिव केस आये है तो 34 मौते दर्ज की गई है। इसी के साथ उदयपुर, कोटा, बाड़मेर, झुंझुनू, सीकर और बीकानेर भी प्रभावित जिलों में शामिल है।

आपको बता दे गए साल 2018 में 2374 पॉजिटिव केस आये लेकिन 2019 में जुलाई तक का आकंड़ा 5025 तक पहुँच चुका है। वही मौत के आंकड़े का भी दौहरा शतक लग चुका है। विभाग की माने तो स्वाइन फ्लू की तैयारी के लिए सभी अस्पताल में अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया हुआ है साथ ही मरीजों को मास्क देने सहित टेमीफ्लू दवाईयों का इंतजाम किया हुआ है।

ये है स्वाइन फ्लू का आंकड़ा

साल पॉजिटिव मौत
2013 865 165
2014 65 34
2015 6859 472
2016 197 43
2017 3619 280
2018 1965 225
2019 (जुलाई) 5024 205

ऐसे करे स्वाइन फ्लू का बचाव
जयपुरिया अस्पताल के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ असरार अहमद ने बताया कि हाथों को समय समय पर धोते रहे साथ ही जिनको बुखार और सर्दी झुकाम है वो भीड़ भाड़ वाले इलाके से दूर रहे। डॉ अहमद ने बताया कि स्वाइन फ्लू केटेगरी 1 के मरीजो को घबराने की जरूरत नहीं है वही केटेगरी 3 के मरीजों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

बाईट- डॉ असरार अहमद, मेडिसिन विभागाध्यक्ष, जयपुरिया हॉस्पिटल



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