जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की समितियों को निरस्त करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस अशोक गौड़ ने महापौर सौम्या गुर्जर और अन्य की याचिका पर ये आदेश दिए. ऐसे में अब निगम के समिति चेयरमैन एक बार फिर कार्यभार संभालते हुए नजर आएंगे.
कोर्ट से मिली राहत पर डॉ सौम्या गुर्जर ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. न्यायपालिका पर पूर्ण भरोसा था कि वो दूध का दूध और पानी का पानी करेगी. कोर्ट के इस निर्णय से ये स्पष्ट भी हो गया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट की ओर से जो भी जवाब मांगे जाएंगे उन्हें देने के लिए तैयार हैं.
ग्रेटर नगर निगम की सभी समितियों का विधि सम्मत निर्माण किया गया है. अब सभी चेयरमैन काम करना शुरू करेंगे. जयपुर की जनता के लिए समर्पित होकर विकास कार्य किए जाएंगे. उन्होंने इसे जयपुर नगर निगम क्षेत्र की जनता की जीत बताया. वहीं एक लंबी जद्दोजहद के बाद जिन पार्षदों ने चेयरमैन का कार्यभार संभाला उन्होंने कहा कि ग्रेटर नगर निगम में सभी समितियां विधि सम्मत बनाई गई थी. निगम कमिश्नर ने महज 7 समितियों के लिए डीसेंट नोट लगाया था.
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उन्होंने इसे सरकार की दुर्भावना बताते हुए कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि ग्रेटर नगर निगम प्रगति करे और जनता के लिए अच्छा काम करे. ऐसे में जनता को केवल परेशान करने के लिए 7 समितियों के डिसेंट नोट को आधार बनाकर समितियों पर अड़ंगा लगाया गया था. जिसे सरकार ने खारिज कर दिया. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 28 जनवरी को निगम की बोर्ड बैठक में जिन 21 संचालन समिति और 7 अतिरिक्त समितियों के गठन का प्रस्ताव राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेजा था. उनमें से कार्यपालक समिति को छोड़कर शेष सभी सरकार ने नियमों के विपरीत बताते हुए निरस्त कर दी थी.
राज्य सरकार से जारी आदेशों के मुताबिक सरकार ने नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 55 और 56 के अनुसार समितियों का गठन नहीं होने का हवाला देते हुए, इन्हें निरस्त किया. जिसे कोर्ट में चैलेंज किया गया था.