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Exclusive : ग्रेटर नगर निगम में होने वाले भुगतान को लेकर मेयर सौम्या गुर्जर का एसीबी को पत्र, कहा- नजरें बनाए रखें - मेयर सौम्या गुर्जर का एसीबी को पत्र

जयपुर ग्रेटर नगर निगम में ठेकेदारों को भुगतान में भ्रष्टाचार का खेल उजागर करने के लिए महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने एसीबी को पत्र लिखा है. नगर निगम के इतिहास में ये पहला मामला होगा जब किसी मेयर ने अपने ही अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा कर जांच की मांग रखी हो. मेयर के इस पत्र के बाद मुख्यालय से लेकर जोन कार्यालयों में हड़कंप मचा हुआ है.

मेयर सौम्या गुर्जर, Mayor Soumya Gurjar
मेयर सौम्या गुर्जर का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
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Published : Mar 15, 2021, 2:25 PM IST

जयपुर. नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ों को भांपते हुए ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने एसीबी को पत्र लिखा. महापौर ने एसीबी महानिरीक्षक को पत्र लिखकर कहा कि नगर निगम में जल्द ही ठेकेदारों, निजी फर्म और एजेंसियों को करोड़ों रुपए का नुकसान होने वाला है. बिलों के भुगतान में बड़े स्तर पर गड़बड़ी होने का अंदेशा है. इसलिए एसीबी स्वयं इसकी जांच करे और दोषियों को ट्रैप करे.

मेयर सौम्या गुर्जर ने एसीबी को भेजा पत्र

पढ़ेंः SPECIAL: बचपन में ही पढ़ लिया जेंडर इक्वलिटी का पाठ, महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए चाहिए समान अवसरः डॉ. सौम्या गुर्जर

महापौर के पत्र ने उन आरोपों को जिंदा कर दिया है, जो पट्टे आवंटन, बिल भुगतान और टेंडर प्रक्रिया को लेकर नगर निगम के अफसरों पर लगाए जाते रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मेयर डॉ सौम्या गुर्जर ने बताया कि आमजन को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए एसीबी से सहयोग मांगा है. प्लानिंग शाखा में पट्टे आवंटन और नाम हस्तांतरण की फाइलें बीते 10-10 सालों से अटकी पड़ी है. आखिर इतने लंबे समय तक फाइलों को रोकने का क्या कारण है. पीड़ित लोगों को बेवजह चक्कर कटवाया जा रहा है. कई शिकायतें मिली है कि अधिकारी और बाबू मिले हुए हैं, जो फाइल क्लियर करने की एवज में पैसे मांगते हैं. ये लोग ऊंचे रसूख के चलते नगर निगम की कुर्सी से चिपक कर बैठे हुए हैं.

साल 2017 में निगम के अधिकारी ट्रैप हुए थे. उस समय सामने आ गया था कि किस तरह यहां भ्रष्टाचार फैला हुआ था. बाबू से लेकर सीईओ तक कितना-कितना कमीशन बंटा हुआ था. इससे निगम की साख खराब हुई है. हाल ही में मालवीय नगर जोन और दूसरे जोन में जोन कार्यालयों का निरीक्षण करने पर भी फाइलों के अटकने के कई मामले सामने आए हैं, क्योंकि ठेकेदारों का भी करोड़ों रुपए का भुगतान अटका हुआ है. ऐसे में अब उन्हें भुगतान होगा और इसमें किसी तरह का भ्रष्टाचार ना हो, इसके लिए एक नियमित प्रक्रिया के तहत एसीबी को पत्र लिख निगाहें बनाए रखने की मांग की है.

पढ़ेंः राज्य सरकार ने किया सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग, जरूरत पड़ी तो जाएंगे न्यायालय: ग्रेटर निगम महापौर

निगम प्रशासन पर आरोप लगते हैं कि चाहे विकास कार्य हो या सफाई, आम जनता के काम भी बिना रिश्वत के नहीं हो पाते. हर साल एसीबी की निगम में 2 से 4 कार्रवाई तो निश्चित है. जयपुर नगर निगम में बीते साल हुई ऑडिट रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के खुलासे भी हुए. निजी फर्मों और रसूख वालों को नगर निगम के अफसर फायदा पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, ये भी सामने आया.

एलईडी लाइट खरीद, बीवीजी कंपनी को स्वतंत्र इंजीनियर की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के बिना भुगतान करना, सेशन कोर्ट-हाईकोर्ट में शौचालयों की सफाई का भुगतान के साथ, नामचीन ज्वेलर्स को यूडी टैक्स कम वसूलने का मामला सामने आए. ऐसे में अब ग्रेटर नगर निगम को भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकालने के लिए महापौर ने पहल करते हुए एसीबी को निगाहें बनाए रखने के लिए पत्र लिखा है.

जयपुर. नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ों को भांपते हुए ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने एसीबी को पत्र लिखा. महापौर ने एसीबी महानिरीक्षक को पत्र लिखकर कहा कि नगर निगम में जल्द ही ठेकेदारों, निजी फर्म और एजेंसियों को करोड़ों रुपए का नुकसान होने वाला है. बिलों के भुगतान में बड़े स्तर पर गड़बड़ी होने का अंदेशा है. इसलिए एसीबी स्वयं इसकी जांच करे और दोषियों को ट्रैप करे.

मेयर सौम्या गुर्जर ने एसीबी को भेजा पत्र

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महापौर के पत्र ने उन आरोपों को जिंदा कर दिया है, जो पट्टे आवंटन, बिल भुगतान और टेंडर प्रक्रिया को लेकर नगर निगम के अफसरों पर लगाए जाते रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मेयर डॉ सौम्या गुर्जर ने बताया कि आमजन को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए एसीबी से सहयोग मांगा है. प्लानिंग शाखा में पट्टे आवंटन और नाम हस्तांतरण की फाइलें बीते 10-10 सालों से अटकी पड़ी है. आखिर इतने लंबे समय तक फाइलों को रोकने का क्या कारण है. पीड़ित लोगों को बेवजह चक्कर कटवाया जा रहा है. कई शिकायतें मिली है कि अधिकारी और बाबू मिले हुए हैं, जो फाइल क्लियर करने की एवज में पैसे मांगते हैं. ये लोग ऊंचे रसूख के चलते नगर निगम की कुर्सी से चिपक कर बैठे हुए हैं.

साल 2017 में निगम के अधिकारी ट्रैप हुए थे. उस समय सामने आ गया था कि किस तरह यहां भ्रष्टाचार फैला हुआ था. बाबू से लेकर सीईओ तक कितना-कितना कमीशन बंटा हुआ था. इससे निगम की साख खराब हुई है. हाल ही में मालवीय नगर जोन और दूसरे जोन में जोन कार्यालयों का निरीक्षण करने पर भी फाइलों के अटकने के कई मामले सामने आए हैं, क्योंकि ठेकेदारों का भी करोड़ों रुपए का भुगतान अटका हुआ है. ऐसे में अब उन्हें भुगतान होगा और इसमें किसी तरह का भ्रष्टाचार ना हो, इसके लिए एक नियमित प्रक्रिया के तहत एसीबी को पत्र लिख निगाहें बनाए रखने की मांग की है.

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निगम प्रशासन पर आरोप लगते हैं कि चाहे विकास कार्य हो या सफाई, आम जनता के काम भी बिना रिश्वत के नहीं हो पाते. हर साल एसीबी की निगम में 2 से 4 कार्रवाई तो निश्चित है. जयपुर नगर निगम में बीते साल हुई ऑडिट रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के खुलासे भी हुए. निजी फर्मों और रसूख वालों को नगर निगम के अफसर फायदा पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, ये भी सामने आया.

एलईडी लाइट खरीद, बीवीजी कंपनी को स्वतंत्र इंजीनियर की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के बिना भुगतान करना, सेशन कोर्ट-हाईकोर्ट में शौचालयों की सफाई का भुगतान के साथ, नामचीन ज्वेलर्स को यूडी टैक्स कम वसूलने का मामला सामने आए. ऐसे में अब ग्रेटर नगर निगम को भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकालने के लिए महापौर ने पहल करते हुए एसीबी को निगाहें बनाए रखने के लिए पत्र लिखा है.

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