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'हमें घर पहुंचा दो सरकार'...पटना में फंसे राजस्थान और पंजाब के 200 प्रवासी लगा रहे गुहार

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Published : May 10, 2020, 6:38 PM IST

पटना में फंसी प्रवासी मजदूर रज्जो देवी ने बताया कि वे सभी रोजाना प्रयास करते हैं कि अपने गांव जाने की कोई व्यवस्था हो जाए लेकिन, कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है. उनके बच्चे पंजाब में काफी समस्या में हैं और वे लोग यहां फंसे हुए हैं.

migrant laborers are stranded in patna, rajasthan news
बिहार में फंसे राजस्थान के श्रमिक

पटना/जयपुर. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में लॉकडाउन जारी है. इस दौरान प्रवासी मजदूरों के आने का भी सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन कुछ मजदूर ऐसे भी हैं जो राजस्थान और पंजाब के रहने वाले हैं और लॉकडाउन के कारण बिहार में फंसे हुए हैं. इन मजदूरों ने ईटीवी भारत के माध्यम से राज्य की सरकारों से अपील की है कि उन्हें घर पहुंचा दें.

बिहार में फंसे राजस्थान और पंजाब के श्रमिक

पटना में घूम-घूमकर बेचते थे सामान

दरअसल, पटना में अभी करीब 200 प्रवासी मजदूर ऐसे हैं जो राजस्थान और पंजाब के रहने वाले हैं. ये सभी पटना में स्टेशन पर और ट्रेनों में घूम-घूमकर सामान बेचा करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण इनका काम बंद हो गया और ये यहां फंसे हुए हैं.

जब ईटीवी भारत के टीम इनके पास पहुंची तो इन्होंने बताया कि ये लोग डेढ़ महीने से यहां पर फंसे हुए हैं. जिस मकान में ये रह रहे हैं, वहां किराया मांगा जा रहा है. इनके पास जो कुछ पैसे थे वे सभी पहले ही खत्म हो चुके हैं. इसलिए किराए के लिए एक रुपया भी नहीं है.

पढ़ें- बाड़मेर से 1200 मजदूरों को लेकर बिहार रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन, घर वापसी की चेहरों पर दिखी खुशी

हो रही कई परेशानियां

इन मजदूरों ने बताया कि इनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है. सामाजिक लोगों की तरफ से जो कुछ भी राशन और खाना मिल जाता है, उससी से काम चला रहे हैं. वहीं, रमेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने राज्य लौटने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई उपाय नहीं हो पाया. उन्होंने बिहार सरकार और पंजाब सरकार से अनुरोध किया है कि सरकार उनके लौटने की व्यवस्था जल्द से जल्द करें.

पढ़ें- पैदल घर जा रहे श्रमिकों ने कहा- यहां मरें या रास्ते में क्या फर्क पड़ता है, जिंदा रहे तो घर पहुंच जाएंगे

'हमें घर पहुंचा दो सरकार'

वहीं, गुरमीत ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से हाथ जोड़ कर नम आंखों से अपील की कि यहां फसें सभी को जल्द से जल्द उनके घर पहुंचा दिया जाए. उन्होंने कहा कि पता नहीं सरकार क्या चाहती है. हम लोग शुरू से प्रयास कर रहे हैं जाने के लिए, लेकिन कोई उचित उपाय नहीं मिल पा रहा है. हमारे परिवार के लोग, छोटे बच्चे अपने गांव में अकेले हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से एक ही विनती है कि हमें हमारे घर पहुंचा दिया जाए.

पटना/जयपुर. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में लॉकडाउन जारी है. इस दौरान प्रवासी मजदूरों के आने का भी सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन कुछ मजदूर ऐसे भी हैं जो राजस्थान और पंजाब के रहने वाले हैं और लॉकडाउन के कारण बिहार में फंसे हुए हैं. इन मजदूरों ने ईटीवी भारत के माध्यम से राज्य की सरकारों से अपील की है कि उन्हें घर पहुंचा दें.

बिहार में फंसे राजस्थान और पंजाब के श्रमिक

पटना में घूम-घूमकर बेचते थे सामान

दरअसल, पटना में अभी करीब 200 प्रवासी मजदूर ऐसे हैं जो राजस्थान और पंजाब के रहने वाले हैं. ये सभी पटना में स्टेशन पर और ट्रेनों में घूम-घूमकर सामान बेचा करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण इनका काम बंद हो गया और ये यहां फंसे हुए हैं.

जब ईटीवी भारत के टीम इनके पास पहुंची तो इन्होंने बताया कि ये लोग डेढ़ महीने से यहां पर फंसे हुए हैं. जिस मकान में ये रह रहे हैं, वहां किराया मांगा जा रहा है. इनके पास जो कुछ पैसे थे वे सभी पहले ही खत्म हो चुके हैं. इसलिए किराए के लिए एक रुपया भी नहीं है.

पढ़ें- बाड़मेर से 1200 मजदूरों को लेकर बिहार रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन, घर वापसी की चेहरों पर दिखी खुशी

हो रही कई परेशानियां

इन मजदूरों ने बताया कि इनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है. सामाजिक लोगों की तरफ से जो कुछ भी राशन और खाना मिल जाता है, उससी से काम चला रहे हैं. वहीं, रमेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने राज्य लौटने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई उपाय नहीं हो पाया. उन्होंने बिहार सरकार और पंजाब सरकार से अनुरोध किया है कि सरकार उनके लौटने की व्यवस्था जल्द से जल्द करें.

पढ़ें- पैदल घर जा रहे श्रमिकों ने कहा- यहां मरें या रास्ते में क्या फर्क पड़ता है, जिंदा रहे तो घर पहुंच जाएंगे

'हमें घर पहुंचा दो सरकार'

वहीं, गुरमीत ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से हाथ जोड़ कर नम आंखों से अपील की कि यहां फसें सभी को जल्द से जल्द उनके घर पहुंचा दिया जाए. उन्होंने कहा कि पता नहीं सरकार क्या चाहती है. हम लोग शुरू से प्रयास कर रहे हैं जाने के लिए, लेकिन कोई उचित उपाय नहीं मिल पा रहा है. हमारे परिवार के लोग, छोटे बच्चे अपने गांव में अकेले हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से एक ही विनती है कि हमें हमारे घर पहुंचा दिया जाए.

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