जयपुर. कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी भी जगजाहिर हो गई थी. यह गुटबाजी अब भी खत्म नहीं हो पाई है. गहलोत सरकार के खिलाफ सोमवार को किए गए हल्ला बोल कार्यक्रम से कई नेताओं की दूरी ने साफ कर दिया कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है.
कार्यक्रम में सभी पदाधिकारी, विधायक, पूर्व विधायक और विधायक प्रत्याशियों को बुलाया गया था. लेकिन जयपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र के कई विधायक और विधायक प्रत्याशियों ने कार्यक्रम से दूरी बनाई. ऐसे में कार्यकर्ता चर्चा करते नजर आए कि पार्टी विद डिफरेंस का दावा करने वाली बीजेपी में वाकई गुटबाजी हावी हो गई है, जिन नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बनाई, उनमें कई नेता वसुंधरा राजे खेमे के हैं.
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ये नेता नहीं पहुंचे...
कार्यक्रम में विधायक नरपत सिंह राजवी और अशोक लाहोटी नहीं पहुंचे. इसी तरह विधायक प्रत्याशी राजपाल सिंह शेखावत, मोहन लाल गुप्ता, अशोक परनामी सहित ग्रामीण क्षेत्र के कई विधायक और विधायक प्रत्याशी प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए. प्रदर्शन में विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, पूर्व विधायक सुरेंद्र पारीक, कैलाश वर्मा, शहर अध्यक्ष राघव शर्मा सहित अनेक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. हालांकि लाहोटी कोरोना संक्रमण के कारण होम क्वॉरेंटाइन हैं तो वहीं परनामी के परिजन भी कोरोना संक्रमित हैं. इसके चलते उन्होंने भी कार्यक्रम से दूरी बनाई.
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पूनिया ने संभाला मोर्चा, लेकिन ये नेता नहीं दिखे साथ...
हल्ला बोल कार्यक्रम में गुटबाजी भी साफ दिखी. पूनिया अकेले ही पुलिस से गुत्थमगुत्था होकर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहे. लेकिन कोई भी बड़ा नेता उनके साथ खड़ा नहीं दिखा. प्रदर्शन में विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, पूर्व विधायक सुरेंद्र पारीक, कैलाश वर्मा शामिल हुए थे. लेकिन वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ अलग नजर आए. ऐसे में सतीश पूनिया के साथ केवल कंधे से कंधा मिलाते हुए विधायकों के रूप में रामलाल शर्मा ही नजर आए और शर्मा ने ही सतीश पूनिया के साथ गिरफ्तारी भी दी. विरोध प्रदर्शन के दौरान अंत में राजपाल सिंह शेखावत भी पहुंचे.